थोड़ी देर के इंतज़ार के बाद उनके कैबिन का डोर नॉक हुआ था। ज़मान खान से अंदर आने की इजाज़त मिलते ही एक पैन्तालिस साल की ग्रेसफुल औरत अंदर आई।
“अससालामु अलैकुम मिसेज़ सिद्दीकी कैसी है आप?” उन्हें सलाम करते हुए ज़मान खान अपनी कुर्सी से उठ गए थे। उन्हें ऐसा करते देख अरीज भी खड़ी हो गई थी और अज़ीन तो वहाँ पर रखे मैगज़ीन को उलट पलट कर देख रही थी।
“वालेकुम सलाम मिस्टर खान...अल्हमदुलिल्लाह...मैं बिल्कुल ठीक हूँ.... आप कैसे है?”
“अल्हमदुलिल्लाह बोहत बढ़िया... इनसे मिलिए ये है मेरी बेटी... अरीज और अज़ीन।“ ज़मान खान उनके पास आए थे और उन्होंने अरीज और अज़ीन का introduction करवाया था। मिसेज़ सिद्दीकी ज़मान खान की बात से काफी हैरान हुई थी।
“अससालामु अलैकुम” अरीज और अज़ीन ने साथ साथ कहा था।
“वालेकुम सलाम।“ उन दोनों को जवाब देकर वह ज़मान खान से मुखातिब हुई थी।
“मिस्टर खान मज़ाक मत कीजिए और मुझ से सही सही इनका introduction करवाइए।“ वह थोड़ा तंग होते हुए कह रही थी।
“इब्राहिम की बेटियां है।“ ज़मान खान ने थोड़ा संजीदा होते हुए उन्हें बताया। उनकी बात सुन कर मिसेज़ सिद्दीकी पहले से भी ज़्यादा हैरान हुई थी।
“इब्राहिम की बेटी?.... Your mean… इंशा और इब्राहिम की बेटियां?” मिसेज़ सिद्दीकी की आँखें हैरानी के मारे अब फट गई थी। उनकी बात पर ज़मान खान ने मुस्कुरा कर अपना सर हाँ में हिलाया था।
“मैं अपने दिल में तभी सोच रही थी की इतनी प्यारी और खूबसूरत लड़कियाँ तो आप ही के खानदान की हो सकती है.... खैर बोहत बोहत मुबारक हो आपको.... आखिरकार आपकी तलाश खत्म हुई।“ मिसेज़ सिद्दीकी खुशी से उन्हें मुबारक बाद दे रही थी।
उसके बाद ज़मान खान ने उन्हें सब बता दिया की वह अरीज से कैसे मिले... इंशा की चिट्ठी... इंशा और इब्राहिम का फौत (मर) हो जाना... सब कुछ... सिवाए उमैर और अरीज के निकाह... उन्होंने इस बात को उनसे पोशीदा रखा था। मिसेज़ सिद्दीकी सोफे पर बैठ कर सब बड़े ध्यान से सुन रही थी।
“मैं चाहता हूँ की आप मेरी थोड़ी सी हेल्प करें।“ ज़मान खान ने उनसे कहा था... Suspense में तो अभी तक अरीज भी थी की आखिर वह आगे क्या करने वाले है।
“आप हेल्प मत मांगिये मिस्टर खान... बस हुक्म कीजिए... “ मिसेज़ सिद्दीकी ने बोहत एहतराम के साथ उनसे कहा था।
“मेरी अरीज बोहत जल्द कॉलेज जाने वाली है।“ उन्होंने अरीज की तरफ़ देखते हुए कहा था... उनकी बात पर अरीज ने उन्हें बेयकिनि से देखा था... वह उसके लिए इतना सोचते थे... क्या फ़र्क बाकी रह गया था उन में और उसके बाबा में... इतना ख़्याल तो बस एक बाप ही रख सकता था।
“मैं चाहता हूँ आप मेरी अरीज को कॉलेज के लिए तैयार करें... उसे ग्रूम करें... उसके अंदर इतना confidence भर दें की वह हर चुनौती का डट कर सामना कर सके... मगर फिर भी एक चीज़ का ख़्याल रखें मिसेज़ सिद्दीकी के... मेरी अरीज की मासूमियत को बरकरार रखते हुए आपको ये सब करना होगा।“ वह बड़ी आस लेकर उनसे कह रहे थे। उनकी बात सुन कर अरीज की आँखे नम होने लगती है।
“आप फ़िक्र मत करें मिस्टर खान आप जैसा चाहते है वैसा ही होगा।“ मिसेज़ सिद्दीक़ी ने उन्हें यकीन दिलाया।
“और ये अज़ीन के बालों को आप देख रही है ना... Actually इसे सर पर चोट लग गई थी तो stiches देने के लिए डॉक्टर ने इसके आगे के बालों को बेतरतिबि से काट दिया है... आप इस कटे हुए बालों के हिसाब से कुछ नया hair cut करवा दीजियेगा ताकि ये बाल भी मैकअप हो जाएं।“ ज़मान खान उन्हें समझा रहे थे। उनकी बात समझते हुए मिसेज़ खान अपना सर हिला रही थी।
“ठीक है मिस्टर खान तो अब मैं चलती हूँ... आओ बेटा... आप दोनों भी चलो मेरे साथ।“ मिसेज़ सिद्दीक़ी ने ज़मान खान से इजाज़त ली थी।
अरीज उनके साथ जाने से पहले ज़मान खान के गले लग गई थी और फिर अल्लाह हाफ़िज़ कह कर वह तीनों वहाँ से चले गए थे।
मिसेज़ सिद्दीक़ी उनके एक दोस्त अज़ीज़ सिद्दीक़ी की वाइफ़ थी। किसी ज़माने में financial crisis की वजह से उन्हें बोहत मुश्किल दौर से गुज़रना पड़ा था लेकिन जब ज़मान खान को इस बात का इल्म हुआ वह तुरंत उनकी मदद के लिए आगे बढ़े थे। अपने दोस्त को अपने यहाँ ना सिर्फ़ जॉब पर रखा बल्कि उनकी वाइफ़ को भी अपने पैरों पर खड़े होने के लिए हर तरह की हेल्प की। आज मिसेज़ सिद्दीक़ी एक बोहत बड़े ग्रूमिंग स्कूल की मालकिन थी। Air hostess से लेकर modelling की फील्ड से जुड़े हर तरह के स्टूडेंट्स थे उनके पास। उनकी स्कूल बोहत तरह के professionals के साथ जुड़ी थी। वह चाहे fashion designers हो... Make-up artists हो... Event organisers… मिसेज़ सिद्दीक़ी हर एक के साथ जुड़ी हुई थी क्योंकि सब उनकी अकादेमी के लिए काम करते थे।
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अरीज ने वही कपड़े पहने हुए थे जो कल ज़मान खान ने उसे दिलाया था इसलिए मिसेज़ सिद्दीक़ी को कपड़े और उसके सैंडल से कोई issue नहीं था। वह अरीज और अज़ीन को डिरेक्ट् अपने अकैडेमी की ब्यूटी सलोन लेकर आई थी। बेशक अरीज की स्किन से लेकर हेयर, उसकी नैल्स से लेकर एड़ियाँ सब कुछ अल्लाह ने बना और सवार कर उसे इस दुनिया में भेजा था। मिसेज़ सिद्दीक़ी को उसके लिए ये सब करवाने में सिर्फ़ वक़्त का ज़ाया होना लग रहा था मगर फिर भी उन्होंने ब्यूटिशियन से सब कुछ करने को कहा था। Actually वह खुद भी देखना चाहती थी की ये सब कुछ होने के बाद अरीज और कितनी खूबसूरत लगेंगी।
“सपना अरीज के बाल माशा अल्लाह बोहत खूबसूरत है इसलिए इन्हे ज़्यादा कुछ मत करना... बस shampoo, conditioning के बाद हल्का सा ट्रिम कर देना, और serum लगा कर सेट कर देना... डाय वगेराह मत करना... ये ऐसे ही नैचरल अच्छा लग रहा है।
मिसेज़ सिद्दीक़ी सपना को जो की वहाँ की हेड ब्यूटिशियन थी उसे एक के बाद एक चीजें समझा रही थी। कितनी देर वह वहाँ पर खड़ी हो कर उन्हें हिदायत भी देती रही थी.... उसके बाद उनकी कॉल आ गई और वह वहाँ से चली गई। लगभग तीन घंटे के बाद अरीज की जान इन सब चीज़ों से छूटी। तभी शीशे का दरवाज़ा धकेलती मिसेज़ सिद्दीक़ी अंदर आई थी। दरवाज़े के ठीक सामने आईने में उन्हें अरीज का अक्स दिखा था और वह उसे देखती रह गई थी और यही कुछ हाल खुद अरीज का भी था। जब ब्यूटिशियन ने उन्हें हो गया कहा तब जा कर अरीज सीधी होकर खुद को आईने में देखी तो कुछ लम्हों के लिए वह खुद को देखती रह गई थी।
आखिर असल में क्या वजह थी के ज़मान खान ने अरीज को ग्रूमिंग अकैडेमी भेजा था?
क्या वह दुनिया को अरीज की हक़ीक़त बताने वाले थे?
या फिर वो उमैर को दिखाना चाहते थे?
या फिर जो उन्होंने मिसेज़ सिद्दीक़ी से कहा था वही सच था?
क्या होगा आगे?