Aansu Pashyataap ke - 3 in Hindi Moral Stories by Deepak Singh books and stories PDF | आंसु पश्चाताप के - भाग 3

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आंसु पश्चाताप के - भाग 3

भाग 3

आँसु पश्चाताप के


प्रकाश का संकेत मिलते ही कल्पना और राणा किस्ती में सवार हो गये ।
वह उनको अपनी किश्ती में लेकर उस पार जाने लगा , इसी बीच उनकी किश्ती बीच भंवर में फंस गई वो घबरा गये , किश्ती डग मगाने लगी और डूबने के कगार पर आ गई और दहशत से प्रकाश स्वप्न में चीखने लगा ।

उसकी चीख सुनकर ज्योती घबराकर उठी और प्रकाश को अपने बाहों में भरली . . .
क्या हुआ प्रकाश ?
कुछ नहीं ,
क्यों डर रहे हो ?
मैं स्वप्न में डर गया ।
डरो मत मैं तुम्हारे साथ हूँ , ज्योती प्रकाश को अपने बाहों में पकड़कर फिर से सो गई ।


" धीरे धीरे रात के काले सन्नाटे को भोर का उजाला निगलने लगा , बृक्षो की टहनियों पर बैठे पक्षी रात की खामोशी को तोड़ने लगे , मन्दिरों की घंटिया बजने लगी , समुचे वातावरण में चहलकदमी बढ़ने लगी . . .

नित्य की तरह प्रकाश और ज्योती भी अपने दिन चर्या में लग गये नास्ता करने के पश्चाताप प्रकाश अपने काम पर चला गया और ज्योती घर का काम निपटा कर ड्राईग रूम में टेलीविजन देखने लगी ।


तोते मैंने की कहानी अब पुरानी हो गई देखो छोटी सी मोना अब सयानी हो गई . . .
गीत गाती चहल कदमी करती मोना प्रकाश के घर में प्रवेश की . . .

वाह मोना वाह तुम्हारी आवाज तो लता जी की तरह शुरीली है ।
और क्या भाभी - वैसे मैं गीत गानो की ज्यादा शौकीन नहीं हूँ । अच्छा, हाँ भाभी यह तो मन बहलाने के लिये कभी कभी गुनगुना लेती हूँ ।
मोना जीवन में संगीत का बहुत महत्व है ।
ये तो भाभी आप ठीक कह रही है, परन्तु मुझे सैर सपाटे में ज्यादा मजा आता है ।
हाँ सैर कर दुनिया की गालिब जिंदगानी है कहाँ , जिंदगानी है तो नौजवानी है कहाँ . . .
अरे वाह तुम तो बहुत अच्छी शायरी भी कर लेती हो ।
और क्या लेकिन यह बताओ कहाँ कहाँ का सैर कर चुकी हो ?
कई रमणीक ऐतिहासिक और सोमनाथ, द्दारका , नागेश्वर जैसे धार्मिक स्थानों का भी इसके अलावा अजमेर दिल्ली लखनऊ का भूल भुलैया भी घूम चुकी हूँ ।
इसका मतलब तुम्हारे मन को भ्रमण करना बहुत ज्यादा भाता है ।
जी कल मैं बनारस सागर और बनसती घूमने गई थी ।
फिर वहाँ क्या देखकर आई हो ?
बनसती में तो कुछ खास नहीं लेकिन बनारस सागर में जो देखी वह कभी भूल नही पाऊंगी ।
"क्यों ?
क्योंकी वह नजारा मेरी आंखों ने पहली बार देखा ।
जरा हमें भी बताओ कल तुम्हारी आंखों ने ऐसा कौन सा नजारा देखा जो तुम कभी भूल नहीं पाओगी ।
ढलती शाम के धुध्ले प्रकाश में दो खूबसूरत जोड़ों को एक दूसरे के साथ प्यार से मिलते हुवे ।
अरे यह तो मामूली बात है अकसर ऐसे एकान्त और सुन्दर स्थान पर प्रेमी प्रेमिकाओ का मिलन होता है ।
लेकिन मजे की बात यह है की वे प्रेमी प्रेमिका मेरे लिए अजनबी नहीं थे ।
क्या वह तुम्हारे परचित थे ?
सिर्फ मेरे नहीं वो आपके भी परिचित थे ।
ज्योती मोना को आश्चर्य से निहारते हुए बोली , यह तुम क्या कह रही हो ?
भाभी मैं जो भी कह रही हूँ , सत्य कह रही हूँ अगर आप उनका नाम जानना चाहती हो तो बोलो , मैं उनका नाम भी बता सकती हूँ ।
तो फिर उनका नाम बताओ ।
हाँ मगर एक शर्त पर बताऊंगी कि उनका नाम जानने के बाद आप कभी किसी के सामने मेरा नाम नहीं प्रकट करोगी ।
ठीक है , मैं कभी किसी के सामने तुम्हारा नाम प्रकट नहीं करूंगी , अब तो बोलो वे कौन थे ?

"कल्पना और प्रकाश भैया ,
मोना के मुंह से यह सुनकर ज्योती को लगा जैसे किसी ने उसके सर पर हथौड़े का जबर दस्त प्रहार किया हो , वह तील मिला कर रह गई ।
नहीं तुम झूठ बोल रही हो , यह नहीं हो सकता , तुम्हारी बातों पर मुझे विश्वास नहीं है ।
भाभी मेरी बात पर यकीन करो मैं सत्य कह रही हूँ , मेरा मन धोखा खा सकता है लेकिन मेरी आंखें कभी धोखा नहीं खा सकती और मैंने अपनी आंखों से देखा ।
वहाँ पर वे दोनों एक दूसरे की आंखों में आंखें डाल कर बातें करने में इतने मशगूल थे , की मै उनकी सारी हरकते देखती रही लेकिन वे मुझे नहीं देख सके ।इश्क अँधा होता है ज्योती को लगा जैसे किसी ने उसके कानों में पिघलता हुआ शीशा डाल दिया हो , वह दर्द से तड़प उठी . . .
बस मोना बस बहुत हो गया , अब इसके आगे कुछ मत बोलो वरना मेरे कान फट जायेंगे ।
माफ करना भाभी मेरी बातें सुनकर आपके दिल को ठेस पहुंचा लेकिन मैं नहीं चाहती , कि आप जैसी खूबसूरत पत्नी को छोड़कर प्रकाश भैया एक विधवा के आगोश में समाकर अपना मान सम्मान सब खो दे , अगर समय रहते आपने प्रकाश भैया को नहीं रोका तो एक दिन उसके इश्क में पड़कर वो उसीके बनकर रह जायेंगे , उनके दिल में आपकी जगह वह ले लेगी और आप कुछ नहीं कर पाओगी , आप समझ रही है ।
हाँ मोना तुम ठीक कह रही हो , मुझे सब समझ में आ गया ।
ठीक है भाभी अब मैं चलती हूँ ।

पति पत्नी के प्यार भरे जीवन में वह नफरत का बीज डालकर अपने घर चली गई ।

ज्योती का मन उदास हो गया , वह ड्राइंग रूम में बैठे बैठे अपने बीते लम्हों में खो गई ।

प्रकाश के प्यार में मत पड़ो ज्योती मैं तुम्हारी शादी किसी अच्छे घराने में करूंगा , तुम उसके बहकावे में मत पड़ो ।

पापा प्रकाश ईमानदार और नेक इंसान है मैं उससे प्यार करती हूँ ।
वह जो भी है पर हमारे बराबरी का नहीं है , शादी हमेशा अपने बराबरी के लोगों में की जाती है , अगर ऐसा नहीं हुआ तो लोग हमेशा यही कहेंगे कि सेठ धर्मदास अपनी बेटी की शादी एक साधारण परिवार में क्यों किया ? तुम जिस माहौल में पली बड़ी हो यह तुम्हे प्रकाश के घर नहीं मिलेगा ।

पापा जब लड़की की मांग भर जाती है तो पिता का घर मायके बन जाता है और उसका ससुराल ही उसका अपना घर होता है ।

लेकिन अपनी बेटी का हाथ पीला करने से पहले उसके बाप को बहुत कुछ सोचना पड़ता है ।
पापा आप ठीक कह रहे हैं , पर मेरी किस्मत मेरे साथ है और इसे आप बदल नहीं सकते ।
बेटी कर्म वह चाबी है जो किस्मत का दरवाजा खोल देती है अभी तुम्हारे अन्दर बचपना है तुम नहीं समझोगी प्रकाश के प्यार में तुम अंधी हो गई हो ।