Saat fere Hum tere - 23 in Hindi Love Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | सात फेरे हम तेरे - भाग 23

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सात फेरे हम तेरे - भाग 23

नैना ने कहा अरे बाबा जाने दो ना।। पता है वहां निलेश को कितना सम्मानित किया गया आज वह होता तो उसका हक था।


माया ने कहा हां वो तो है पर आज निलेश हमारे बीच नहीं हैं पर विक्की तो है और वो नैना से प्यार करता है और अपनी नैना भी।।।

पर कहते हैं कि जब जो होता है वो होकर रहता है ज्यादा सोचो मत ओके। नैना ने कहा आज अगर मैं जिन्दा हुं निलेश की वजह से।

माया ने कहा हां पर निलेश तो नहीं है तुम्हारी वजह से उसको जाना था पर जाते जाते अपनी आंखें देकर गया।

नैना ने कहा मैं खुश हुं हर शाम मैं निलेश को उन तारों के बीच देखती हुं। उससे बात करती हुं और कल रात निलेश सपने में आकर।।

माया ने कहा हां क्यों क्या हुआ रूक क्यों गई।। निलेश ने क्या कहा।

नैना रोते हुए कमरे में चली गई। फिर देखी तो मोबाइल पर बहुत सारे विक्की के मेसेज थे।


नैना ने सारे मेसेज पढ़ें और फिर उसे कुछ समझ नहीं आया कि क्या ज़बाब दे।
फिर नैना सो गई।


शाम को चाय के समय माया ने जगाया और कहा चलो अब चाय पीने चलें।कब से सो रही हो।
नैना ने कहा हां पता नहीं कब सो गई और नींद आ गई।
अच्छा ठीक है मैं चाय यहां लेकर आती हूं।
नैना ने कहा अरे नहीं मैं अभी आती हूं।
फिर दोनों टीवी देखने लगे और चाय पीने लगे कुछ देर बाद ही अतुल और बिमल समोसे छोले लेकर आ गए।
फिर सभी बड़े चाव से गर्म गर्म समोसे खाने लगे। कुछ देर बाद ही विक्रम सिंह शेखावत का विडियो कालिंग आ गया। माया ने जल्दी से उठा लिया। माया विक्की को देखते ही खुश हो गई। कैसे हो? विक्की ने कहा अच्छा हुं पर आप लोगों के साथ ज्यादा अच्छा था। दादा जी और दादी भी आपको याद कर रही है। माया ने कहा अच्छा निलेश के दोस्तों से मिलो। विक्की ने कहा हां, हां ज़रूर। फिर विमल को दिखाते हुए कहा माया ने ये विमल है।विमल विक्की को देखते ही कहा अरे निलेश।। विक्की ने कहा नहीं नहीं दोस्त मैं विक्रम सिंह शेखावत हुं। फिर अतुल ने कहा अरे वाह इतना बड़ा नाम।।
अतुल ने कहा पता है निलेश बड़े नाम से बहुत चिढ़ जाता था। विक्की ने कहा अच्छा। तो तुम लोग मुझे विक्की कह सकते हो।


फिर विक्रम ने कहा अरे वाह सबसे मुलाकात हो गई। माया ने कहा नैना ओ नैना। विक्की ने कहा अरे जाने दो दीदी। चलो अब चलते हैं कह कर विडियो बन्द हो गया।

नैना जान कर वहां से चली गई और फिर मेसेज आया कि जितना दूर जाओगी हमें उतना ही पास पाओगी।

नैना ने कहा समझता क्या है अपने आप को।
माया ने कहा चलो अब डिनर करने चले। नैना ने कहा दीदी मुझे खाने का मन नहीं है। माया ने कहा एक रोटी खा लो।

फिर सब मिलकर खाना खा लिया। अतुल और बिमल घर के लिए निकल पड़े।

माया ने कहा अब कल से हमारा भी स्कूल।

फिर दोनों सोने चले गए।
नैना फोन पर विक्की का मेसेज देखने लगीं।
विक्रम ने लिखा जाग रही हो? नैना ने लिखा आप क्यों मुझे जीने नहीं देते। विक्रम ने लिखा अब मैंने क्या किया? नैना ने कहा क्यों मेसेज देते हैं हां कसूर तो मेरा है। विक्रम ने लिखा तुम एक अधुरी जिंदगी जीना चाहती हो जो आसान नहीं है। नैना ने लिखा मैं जीयु या मरूं आप से क्या।

विक्रम ने लिखा अब ये हक तो तुमने दिया नहीं एक बार आगे बढ़ कर देखो दुनिया कितनी खूबसूरत है।


नैना ने कहा अब कुछ नहीं देखना है मैं निलेश को धोखा देना नहीं चाहतीं।

विक्रम ने लिखा अब ये किसने कहा कि तुम निलेश को धोखा दे रही हो। निलेश चाहता है कि तुम खुश रहो।

नैना ने लिखा डर लगता है अब मैं मनहुश हुं। विक्रम सिंह शेखावत ने कहा अब ये सब मत बोलो।


फिर कब नैना की आंखें लग गई और वो सो गई और उधर बेचैन सा बैठा रहा विक्की। एक मजनू एक आशिक़ की तरह।।

सुबह देर से आंख खुली तो देखा माया तैयार हो गई थी और मुझे उठा रही थी। क्या हुआ तबीयत ठीक नहीं है? नैना ने कहा हां थोड़ी सी हरारत है बस,आज नहीं जाती हुं।
माया ने कहा हां ठीक है मैं चलती हूं। चाय गर्म करके पी लो। पराठा सब्जी रखा है खा लो। नैना ने कहा ओके।
कुछ और देर सोने का मन बना लिया था नैना ने।
फिर लगातार मेसेज आ रहे थे।


नैना चाहे जितना दिखाने की कोशिश करें पर उसका जो एक प्यारा सा दिल है वो किसी के लिए धड़कता है।। कितना भी खुद को सम्हाल कर रहे पर ये किसी के वश में कहा होता है


घड़ी की सुई तो जिंदगी की तरह निकल जाती है।बारह बजे तक नैना बेडरूम में पड़ी हुई थी।ये कैसी उलझन है मैं क्या करूं जिंदगी क्या, क्या
दिखाएंगी।

नैना उठ कर नहाने चली गई। फिर कुछ देर पौधों के साथ बात करने लगी जैसा पहले करती थी।
फिर चाय पीने लगीं। कुछ देर पेपर पढ़ने लगीं। उसके बाद नाश्ता कर लिया।

फिर निलेश के बनाएं गए तस्वीरें देख कर रोने लगी। निलेश ने कितना सुन्दर मेरी तस्वीर बनाई है।


ऐसा प्यार कहां? क्या सच में चाहता है वो मुझे। क्या सच में मेरा इंतजार है उसे। क्यों मैं इतना सोच रही हूं इतना इन्तजार कर रही हुं।

फिर कब आंख लग गई पता नहीं चल पाया।

इसी तरह एक साल बीत गए। नैना को अब यकीन हो गया था कि वो विक्की को चाहने लगीं हैं।पर वहां कभी कह नहीं सकती।।

माया को हमेशा लगता है कि विक्की आयेगा जरूर और शायद निलेश की जगह वो सब कुछ सम्हाल देगा।

नैना स्कूल से घर आ गई और बोली दीदी पता है कल हमारे स्कूल का वार्षिकोत्सव है तो आप , विमल अतुल सब को आना होगा ये है कार्ड।।

नैना को पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा था कि कुछ होने वाला है उसके जीवन में शायद।। नैना सोचने लगी क्या विक्की आने वाला है क्या?

दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर नैना तैयार होने लगी उसने निलेश का दिया हुआ साड़ी पहनी और फिर अपने बालों को खुला छोड़ दिया।
माया ने देखते ही कहा नजर ना लगे किसी कि।।

नैना हंसने लगी और बोली अब किसकी नजर लगेगी? चलो मैं चलती हूं।।आप लोग समय से आ जाना।


कमश: