दामिनी की इच्छा थी कि वह खुद केतकी का पर्दाफाश करे , उसे लग रहा था कि बद्री काका ने बहुत से पहलुओं पर विचार नही किया । उसने बहुत जल्दी ही विश्वास कर लिया कि यह केतकी की जुड़वा बहिन है । दामिनी के ससुर व सास की दिलचस्पी इस मेटर में नही थी । वे तो न चाहते हुए ही मौन समर्थन कर रहे थे । अभय के माता पिता दामिनी की अनुपस्थिति में चर्चा करने लगे ...अभय के पापा ने अपने बेटे से कहा ...अभय ! यह बहु केतकी में इतनी दिलचस्पी क्यों ले रही है ? माना कि वह केतकी ही है, तो क्या हो जायेगा ? सब ठीक-ठाक चल रहा है, बेवजह की टेंशन क्यों करना । तुम समझाओ बहु को...केतकी का चक्कर छोड़े , अपना काम से काम रखे । मुझे डर है कही इस छानबीन के चक्कर मे केतकी के पीहर वालो से रिश्ता खराब न हो जाये । अभय ने कहा पापा ! दामिनी समझदार है, वह कोई काम ऐसा नही करेगी , जो परेशानी का कारण बने । उसे शक है तो उसे अपना शक दूर कर लेने दीजिए। अभय का पापा बिना कुछ कहे उठकर अपने रूम मे चला जाता है , उसके पीछे पीछे कस्तुरी भी चली जाती है ।
दामिनी व अभय रेल मार्ग से मुम्बई के लिए रवाना हो जाते हैं । अभय का मन अपनी पूर्व पत्नी की हमशक्ल को देखने के लिए उत्साहित है । वह सोच रहा है जब वह मेरे सामने आयेगी तो वह उससे क्या बात करेगा ..वह मुझे देखते ही समझ जायेगी कि वह ट्रेन में मिला वही है । हां पर उस समय उसे पता नही था कि वह किसी की सच मे जुड़वा बहिन है । अब उसे पता लग गया होगा ..वह कैसे रीएक्ट करेगी ? ऐसे ढेर सारे सवाल अभय के दिमाग मे आरहे थे । इस तरह के विचारों की आवा-जही मे अभय को नींद आगयी । अगले दिन सुबह मुम्बई रेलवे-स्टेशन पर चाय बेचने वालों की आवाजे, रेल्वे की उद्घौषणायें व साथ में चेतावनी, रेल यात्री कृपया ध्यान दे किसी भी लावारिस वस्तु को न छूयें उसमे बम हो सकता है । कही पर लावारिस बैग दिखाई दे तो कृपया रेल्वे पुलिस को सूचना दे । उतरते हुए यात्रियों के शोर से अभय की नींद खुल गयी .. उसने देखा दामिनी अपना सामान समेटकर बैग मे रख रही है । दामिनी ने कहा ..अभय ! उठ गये आप ! जल्दी करो ..मुम्बई आगया ..उतरना नही है क्या ? अभय तुरंत उठकर अपने बैग मे पानी की बोतल रखकर जूते पहनने लगा , सीट की रेल्वे से मिली कंबल चद्दर को एक तरफ रख दी , रेल कर्मचारी आया और चन्द्र कंबल उठाकर बगल की सीट पर उन सबको समेटकर रखने लगा ।
अभय और दामिनी अगले ही पल उतरकर स्टेशन से बाहर आजाते हैं ..
दामिनी ने बद्री काका को फोन किया ..बद्री काका ने फोन उठाया ..हां मेडम जी ! आप कहां हैं ? मैं टेक्सी स्टेंड के पास खड़ा हूँ आप यही आजाइए !
बद्री काका तक पहुंच ने मे भीड़ के कारण बड़ी मशक्कत करनी पड़ी । औपचारिक रूप से नमस्कार प्रणाम किया ...फिर टेक्सी बुक करके बद्री काका के साथ पहले होटल गये ..वहां पर फ्रेस होकर ब्रेकफास्ट किया फिर चाय पीते हुए दामिनी ने योजना बनाई, कि वे केतकी घर पर कैसे जायेंगे , वहां किसको क्या करना है ।
तय हुआ कि बद्री काका इस छानबीन से अलग रहेंगे । क्योंकि बद्री काका हमारी टीम के है इसका पता उन्हें नही लगना चाहिए । दामिनी ने कहा ..बद्री काका आप ! मुम्बई मे घूम फिर लीजिए ..आपको केतकी के घर नही जाना है ..जबतक हम नही कहें .. हां एक काम आप जरूर कर दीजिए , हमें वह घर जरूर दिखा दीजिए जिस डाक्टर के पास आप और केतकी के पापा मिलने गये थे ...