Pyar ek anokha rishta - 10 in Hindi Love Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग १०

Featured Books
Categories
Share

प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग १०

फिर सब अन्दर रूम में आ गए।
हिना मासी के साथ किचन में चली गई।
और दोनों बातें करने लगी।
बातों बातों में मासी ने हिना का दिल टटोला और फिर हिना भी अपने मन की बात कहने लगी और जैसे ही उसे राज के बारे में बताने लगी थी तो वहां राजीव पहुंच गया और फिर बोला अरे मासी एक ब्लैक काफ़ी चाहिए।
हिना राजीव को देखते ही जैसे होश में आ गई और फिर अपने दिल पर हाथ रख दिया और फिर उसका दिल जोर जोर से धड़कने लगा।
मासी ने कहा अरे हिना क्या हुआ तुझे ठीक है ना।।

हिना ने कहा हां, हां मैं ठीक हूं और अभी आती हूं कहते हुए वहां से निकल गई।
राजीव ने कहा अरे इसे क्या हुआ?
मिनल मासी ने कहा हां, ठीक थी अभी तक फिर पता नहीं।।
राजीव ने कहा ओह।
मासी ने कहा तुम बैठो मैं अभी लाती हूं।
फिर कुछ देर बाद ही मासी ने पकौड़े कटलेट सिजलर बना कर साथ ही काॅफ़ी सबके लिए लेकर आ गई।।

सब एक साथ बैठ गए और पकौड़े और काॅफ़ी का मजा लेने लगें।।
पर मिनल ने कहा अरे हिना कहां है?
आभा ने कहा मैं बुलाती हुं।
कुछ देर बाद हिना आ गई और फिर बोली अरे मम्मी जी आपका फोन बज रहा था।
मिनल ने कहा कल के लिए सब गर्म कपड़े रख लेना।
रमेश ने कहा मैं तो अभी से पहन रखा हुं यहां काफी ठंड है।
फिर सब बातें करने लगे।
कुछ देर बाद ही राजीव ने एक टूरिस्ट गाइड लाइन और एक ओला बुक करने के बाद डाक्टर से बात करने लगे।
राजीव ने बात करने के बाद बताया कि कल सुबह सात बजे तक आएगा।
संबने हामी भर दी।



फिर सब खाना खाने के बाद सोने चले गए।
हिना रात भर सोचती रही कि वो किस वजह से यहां रूक गई क्या सिर्फ राज के लिए?? हिना ने कहा मुझे यह सब सोचना भी पाप है।
पर जब तक राज की शादी नहीं हो जाती मुझे जीना नहीं आता।।
और फिर अगर सबको पता चल गया कि हम दोनों एक दूसरे को जानते है तो सबको तकलीफ ही मिलेगी।
फिर कब सुबह हो गई पता नहीं चल पाया। दरवाजा की दस्तक ने हिना को जगा दिया।
हिना ने कहा ओह मैं लेट हो गई।
बाहर तो मिनल मासी खड़ी थी हिना बेटा!
हिना ने कहा हां, अभी आई।
फिर हिना ने दरवाजा खोला।
मिनल ने कहा यह चाय ले लो और तैयार हो जाओ।
हिना ने कहा ओह थैंक यू।
फिर हिना चाय का कप लेकर पीने लगी।
और फिर मासी के जाते ही हिना ने दरवाजा बंद कर दिया और बाथरूम में चली गई।
फिर सूटकेस से राज का खरीदा हुआ एक सूट निकाला और फिर जल्दी से तैयार हो गई।
और उधर उस पल के इन्तजार में था कब हिना को उस लिबास में देखेंगा जिसमें हिना बनी थी।
फिर हिना खुलें बालों में सीढ़ियों से नीचे उतरने लगीं।
राजीव उसे देखता रहा हिना सब कुछ समझ रही थी पर एक विधवा जैसा करती है वो भी वैसा करने में खुद को मदद कर रही थी।
मिनल बुला देखते हिना को गले से लगा लिया।
फिर सब खाने की टेबल पर चाय नाश्ता करने लगे।
मिनल ने हिना के प्लेट में पुरियां देते हुए कहा बेटा ठीक से नाश्ता कर लो देखो तुम्हारे पसंद कि बनी है।
हिना के चहरे पर एक नया मुस्कान छा गया और फिर बोली आपको।
मिनल ने कहा अरे वाह राजीव और तेरी पसंद काफी मिलती है।
फिर राजीव ने कहा अरे पुरियां तो सबको पसंद है।।
फिर सब खाने लगे।
राजीव बार बार हिना देख रहा था शायद कुछ कहना था पर कैसे कहता हिना तो उसको देख तक नहीं रही थी।
कुछ देर बाद ओला ड्राइवर भी आ गया।
फिर सब जाकर बैठने लगे।
रमेश ने कहा हिना बेटा मेरे पास बैठेंगी।
राजीव डाईवर के साथ वाली सीट पर बैठ गया।

फिर गाड़ी चलने लगी।‌डाईवर ने कहा आप लोगो को अभी मैं एक ओडियो सुनाता हूं।
थोड़ा सा जानकारी दे रहा हूं।।।
रेडियो चालू कर दिया।।।
ऊटी नीलगिरी की सुंदर पहाड़ियों में स्थित एक सुंदर शहर है। इस शहर का आधिकारिक नाम उटकमंड है तथा पर्यटकों की सुविधा के लिए इसे ऊटी का संक्षिप्त नाम दिया गया है। भारत के दक्षिण में स्थित इस हिल स्टेशन में कई पर्यटक आते हैं। यह शहर तमिलनाडु के नीलगिरी जिले का एक भाग है।

ऊटी शहर के चारों ओर स्थित नीलगिरी पहाड़ियों के कारण इसकी सुंदरता बढ़ जाती है। इन पहाड़ियों को ब्लू माउन्टेन (नीले पर्वत) भी कहा जाता है। कुछ लोगों का ऐसा विश्वास है कि इस स्थान का नाम यहाँ की घाटियों में 12 वर्ष में एक बार फूलने वाले कुरुंजी फूलों के कारण पड़ा। ये फूल नीले रंग के होते हैं तथा जब ये फूल खिलते हैं तो घाटियों को नीले रंग में रंग देते हैं।
शहर के इतिहास की जानकारी तोड़ा जनजाति से मिल सकती है क्योंकि 19 वीं शताब्दी में ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन प्रारंभ होने के पहले यहाँ इसी जनजाति का शासन था।
आभा ने कहा अरे बेटा ये तो बस जानकारी है हमें तो शहर घुमाना है।
ड्राईवर ने कहा हां, आंटी जी।

ऊटी में तथा इसके आसपास पर्यटन स्थल

बोटेनिकल गार्डन, डोडाबेट्टा उद्यान, ऊटी झील, कलहट्टी प्रपात और फ्लॉवर शो आदि कई कारण हैं जिनके लिए ऊटी पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। एवलेंच, ग्लेंमोर्गन का शांत और प्यारा गाँव मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान आदि ऊटी के कुछ प्रमुख पर्यटन स

ऊटी का मौसम

ऊटी की स्थिति के कारण यहाँ का मौसम पूरे वर्ष खुशनुमा रहता है। हालाँकि ठंड में दक्षिण भारत के अन्य भागों की तुलना में यहाँ का मौसम अधिक ठंडा होता है।

औपनिवेशिक विरासत इस शहर में ब्रिटिश संस्कृति तथा वास्तुकला का प्रभाव देखा जा सकता है। वास्तव में कई पर्यटकों ने गौर किया है कि यह हिल स्टेशन सुंदर अंग्रेज़ गाँव की तरह दिखता है। शायद यही कारण है कि इस शहर को अधिकतम आय पर्यटन से होती है।

ब्रिटिश यहाँ की जलवायु तथा प्राकृतिक सुंदरता से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इस स्थान का नाम ऊटी “क्वीन ऑफ हिल स्टेशन” रखा। उनके लिए यह एक छिपे हुए खजाने के समान था क्योंकि वे दक्षिण भारत के किसी भी अन्य शहर के गर्म और नम मौसम को सहन नहीं कर सकते थे।

वे इस क्षेत्र पर अपना दावा प्रस्तुत करने के लिए इतने उत्सुक थे कि उन्होंने ऊटी के निकट स्थित वेलिंगटन शहर में मद्रास रेजीमेंट की स्थापना की। उस दिन से वेलिंगटन में मद्रास रेजीमेंट का केंद्र बना हुआ है। इसके कारण ऊटी ब्रिटिश लोगों में ग्रीष्म / सप्ताहांत स्थान के रूप में लोकप्रिय हुआ। इस शहर को मद्रास प्रेसीडेंसी की ग्रीष्मकालीन राजधानी होने का गौरव प्राप्त है।

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने ऊटी का विकास भी किया तथा यहाँ नीलगिरी में चाय, सागौन और सिनकोना का उत्पादन प्रारंभ किया। ऊटी में तथा इसके आसपास चाय और कॉफ़ी के अनेक बागान हैं।

ऊटी का लुप्त इतिहास

ऊटी में पुराने विश्व का एक आकर्षण है जो आज भी बेजोड़ है। जब आप ऊटी में भ्रमण करते हैं तब यहाँ की वास्तुकला तथा कुछ इमारतों के डिज़ाइन को देखकर आप पुराने समय में पहुँच जाते हैं। वे आपको बीते हुए समय की याद दिलाती हैं। ऊटी के पतन का कोई इतिहास नहीं है। ब्रिटिश लोगों के आने के बाद इसका उदय प्रारंभ हुआ। हालाँकि इन बीती दो शताब्दियों में इस शहर ने ऐसा इतिहास बनाया है जो पहले कभी नहीं था या जो हमारे लिए लुप्त था।

आधुनिक विश्व के लिए ऊटी का इतिहास ब्रिटिश लोगों के आने के बाद से प्रारंभ होता है, मुख्य रूप से सिपाहियों के आने के बाद से। जैसे ही आप इस शहर में प्रवेश करते हैं वैसे ही आपको यह पता चल जाता है कि इस शहर पर ब्रिटिश लोगों का प्रभाव है। कला और इमारतों की वास्तुकला, घरों के डिज़ाइन और निर्माण की शैली सभी कुछ ब्रिटिश काल से मिलता जुलता है।

यहाँ के स्थानीय लोगों के जीवन पर ब्रिटिश परंपराओं का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा है। स्थानीय खाद्य पदार्थों पर भी अंग्रेज़ी डिशेज़ (खाद्य पदार्थों) का प्रभाव दिखाई देता है। इसके परिणामस्वरूप आपको ऊटी में अंग्रेज़ी और भारतीय मसालों के सम्मिश्रण से बना सबसे उत्तम खाना खाने मिल सकता है।

ब्रिटिश लोगों ने मेहनती स्थानीय लोगों के साथ मिलकर ऊटी को सफलता दिलवाई। समृद्ध सांस्कृतिक विरासत केवल ऊटी में ही देखने मिलती है। अत: आज यह कहना गलत होगा कि ऊटी का कोई ऐतिहासिक भूतकाल नहीं है

ऊटी अन्य शहरों और नगरों से अच्छे रास्तों द्वारा जुड़ा हुआ है। विभिन्न शहरों जैसे चेन्नई, कोयंबटूर, मैसूर, बैंगलोर, कोच्चि और कालीकट से ऊटी तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। अनेक लोग ऊटी जाने के लिए राज्य परिवहन की बसों का उपयोग भी करते हैं क्योंकि वे आरामदायक होने के साथ साथ निजी टैक्सियों की तुलना में सस्ती भी होती हैं। यदि आप अपने स्वयं के वाहन द्वारा रास्ते से यात्रा करने की योजना बना रहे हैं तो यह अच्छा होगा कि ऊटी की यात्रा प्रारंभ करने के पहले आप विभिन्न रास्तों की जांच कर लें।




अब हमलोग बोट हाऊस में आ गए हैं।

हम लोग बोटिंग करेंगे।
सभी पहुंच गए।
राजीव ने काउंटर पर जाकर टिकट कर लिया।
हिना को थोड़ा सा मौसम खुशनुमा लग रहा था।
फिर सब मिलकर बड़े से बोट के पास जाकर खड़े हो गए।
राजीव ने एक एक करके सब को हाथ पकड़ कर बैठा दिया।पर अब हिना को बैठना था अब राजीव ने हाथ बढ़ाया पर हिना ने थैंक यू कहा और आगे बढ़ गई और फिर खुद ही धीरे-धीरे से बोट में जाकर बैठ गई।
राजीव भी जाकर बैठ गया।
फिर सब लोग खुब बात करते हुए इधर उधर देखने लगें।
राजीव की नजर हिना पर थी और उसे गुस्सा भी आ रहा था कि हिना क्या समझती है खुद को।।
फिर वहां नजारा देखने लायक़ था। बहुत से कपल जो खुब मस्ती कर रहे थे।
हिना को उनका यह सब देख कर रोना आ गया और फिर किसी तरह अपने आंसुओं को पोंछने लगी ताकि कोई न देख पाएं।पर कहते हैं ना कि आप आंसु जितना छुपाते हो पर जिसे देखना होता है वो‌ देख लेता है।

हिना ओह हिना !मिनल ने पुकारा।
हिना ने कहा हां मासी,
इधर आ मेरे पास बैठ।
हिना उठकर आभा और मिनल के बीच में बैठ गई।




ऊटी बोथहाऊस


ऊटी बोथहाउस भी कहा जाता है जो नीलगिरी जिले के ऊटी में स्थित है। ऊटी झील ऊटी में घूमने के लिए सबसे ताज़ा और खूबसूरत जगहों में से एक है। ऊटी झील 65 एकड़ के क्षेत्र में फैली हुई है, और इसकी नींव जॉन सुलिवन ने रखी थी जो 1824 में कोयंबटूर के कलेक्टर थे। यह उन लोगों के लिए एक आदर्श स्थान है जो वास्तव में फोटोग्राफी में रुचि रखते हैं। झील सुंदर जल पक्षियों से भरी हुई है जिसकी पृष्ठभूमि में विदेशी नीलगिरि पर्वत श्रृंखलाएं हैं।

झील का मुख्य आकर्षण पैडल बोट, मोटरबोट,और नावों को यहां बोथहाउस में पेश किया जाता है, और कई पर्यटक इन नौका विहार सवारी का आनंद लेने के लिए यहां आते हैं। यहां एक बगीचा, एक मिनी ट्रेन और एक मनोरंजन पार्क भी मौजूद है। घुड़सवारी एक ऐसी चीज है जो ऊटी की यात्रा पर आपके दिमाग में जरूर आएगी।
सागर ने कहा वो देखिए पैंडल बोट ।।
रमेश ने कहा हां, याद है अमर को बहुत पसंद था पैंडल बोट करना।
हिना ने सुनते ही कहा हां, पापाजी अमर ने मुझे कहा था।
फिर हिना का फोन बजने लगा अरे ये जीनत का फोन।
हिना ने फोन रिसीव किया और फिर बोली हां, बोल।
जीनत ने कहा अरे कहां है?
हिना ने कहा हम सब ऊटी आएं हैं।
जीनत ने कहा ओह! great !
हिना ने कहा हां, बात क्या है?
जीनत ने कहा एक गुड न्यूज़ है!
हिना ने कहा हां, क्या?
जीनत ने कहा मेरी marriage fix हो गया।
हिना ने कहा ओह माई गॉड। मुबारक हो।
जीनत ने कहा आना है तुझे।
हिना ने कुछ नहीं कहा।
जीनत ने कहा ओके चल बाद में बात करते हैं।
आभा ने कहा अरे हिना,जीनत की शादी है?
हिना ने कहा हां, मम्मी।
मिनल ने कहा हां, अच्छा है जाना जरूर।
हिना ने कुछ नहीं कहा।।
इसके बाद सब लोग एक बाग में जाकर बैठ गए।
राजीव अपनी फोटोग्राफी करने में विजी हो गया था।

राजीव ने कहा अरे मासी चलिए मिनी ट्रेन की सवारी भी कर ले।
सब हंसने लगे।
क्यों मौसा जी।
रामदेव ने कहा हां, हां ज़रूर।
फिर सब मिलकर मिनी ट्रेन में जाकर बैठ गए।
और कुछ ऐसा हुआ कि दोनों को एक साथ बैठना पड़ा। और फिर हिना उठने लगी तो राज ने कहा अरे बाबा अब बैठ भी जाओ जगह नहीं है, कहीं।।
हिना भी तब जाकर बैठ गई। दोनों बहुत सालों के बाद युही बैठे थे। दोनों की राहें जो एक थी अब अजनबी बन बैठे हैं।
कुछ देर बाद ही सब नीचे उतर आए।
राजीव ने कहा आप लोग सब जाकर पार्क में बैठ जाओ।मैं आता हूं।
आभा ने कहा पर कहां?
राजीव ने कहा अरे बाबा थोड़ा सा घुड़सवारी कर लूं।
आभा ने कहा पर राज तुम्हें तो कभी।
राजीव ने कहा क्या मां जो पहले नहीं किया वो अब करना है।
हिना ने भी धीरे से कहा कि अगर मम्मी जी मना कर रही है तो क्या जरूरत है?
राजीव ने कहा ओह हिना अब तु तु !
राजीव ने खुद को सम्हाल लिया और फिर चला गया।
मिनल ने कहा अरे ये राज हिना को भाभी नहीं कहता है?तू तुम बोल रहा था।
आभा ने कहा अरे नहीं नहीं ऐसा नहीं है।
हिना थोड़ी सी अनमानी हो गई।
उधर राजीव जाकर घोड़े पर सवार हो गया और फिर घोड़ा पहले तो अड़ा रहा पर जैसे ही पीछे से घोड़ा चालक ने एक चाबुक दिया तो घोड़ा एक दम से वहां से निकल गया और शायद कुछ पागल सा हो कर एक दम हवाओं में निकल गया।
इधर आभा और बाकी सब घबडा गए।
हिना मन ही मन भगवान शिव को पुकारने लगी थी।
क्योंकि वो घोड़ा पर उस जगह से आगे निकल गया था।
पर राज ने हिम्मत नहीं हारी। घोड़े ने बहुत कोशिश किया कि राज गिर जाएं पर राज उसे बहुत कस कर पकड़ रखा था।
बस फिर क्या था अब राज किसी को नहीं दिख रहा था।
अब वो चालक ने जल्दी से किसी को फोन करके यह सूचना देते हुए कहा कि वो घोड़ा शायद पागल हो गया है।
उधर वो घोड़ा रूकने का नाम नहीं ले रहा था।
राजीव ने उसे बहुत ही सहलाया और पुचकारा अब शायद घोड़े को समझ आ गया था कि वो इंसान अच्छा है और कोई नुक्सान नहीं पहुंचाएगा।
फिर घोड़े ने अपनी चाल धीमी कर दिया और फिर वापस वहां पर आ गया।
सारे लोग ये अद्भुत नजारा देख कर ताली बजाने लगे।
आभा तो रोने लगी कि एक बेटा तो को खोकर अब दूसरे को नहीं खो सकती है।।

राजीव ने आकर कहा अरे मां तुम भी ना।।
रमेश और रामदेव ने कहा अरे बेटा हमें तो डरा दिया था।
चलो अब यहां से काफी देर हो गई।
सब जाकर गाड़ी में बैठ गए।
ड्राईवर ने कहा अब हम एमराल्ड झील में जा रहे हैं।
फिर राजीव ने पानी पिया और फिर गाड़ी निकल गई।
कुछ देर बाद ही सब गाड़ी से उतर गए और फिर एक दूकान पर चाय पीने लगे।

कुछ देर बाद फिर गाड़ी में बैठ गए।
कुछ देर बाद ही एमराल्ड झील के किनारे गाड़ी रोक दी।


आभा ने कहा यहां पर सबकी फोटो ले लो।
हिना चुपचाप इधर उधर देखने लगीं।
कुछ फोटो लेने के बाद राज ने हिना को कहा smile please वो भी पहले की तरह और हिना भी पटल कर वहींsmile face पर आ गई और फिर राज ने फोटो खिंचा और फिर हिना को जैसे होश में आया तो खुद को वहां से आगे बढ़ गई।
राजीव वहीं खड़ा हुआ देख रहा था।



वहां पर एक गाइड सबको बता रहा था।
एमराल्ड झील तमिलनाडु में नीलगिरी जिले के एमराल्ड गांव के पास स्थित है। यह ऊटी शहर से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर है। झील इस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण पर्यटन और पिकनिक स्थल है। झील अपनी विभिन्न प्रकार की मछलियों और स्थानीय पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है। यह झील के पास सुंदर सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्यों के लिए भी उल्लेखनीय है। आसपास के क्षेत्र के बेहतर अनुभव के लिए पर्यटक झील के किनारे ट्रेकिंग और माउंटेन बाइकिंग का भी लुत्फ उठा सकते हैं।



राजीव ने कहा आप लोग यहां रहना मैं माउंटेन बाइकिंग करके आता हूं।

हिना और बाकी सब वहां पर एक जगह बैठ गए।
मिनल ने कहा हिना बेटा तुम भी वकालत पढ़ी हो ना? अपने राज़ की तरह।।
हिना ने कहा हां,मासी।
मिनल ने कहा हां पर एक ही कालेज में थे पर कभी मिले नहीं ऐसा कैसे?
हिना ने कहा हां,मासी कालेज इतना बड़ा है कि कभी मिले ही नहीं।।


कुछ देर बाद राजीव आ गया और फिर बोला चलिए कुछ खाना खा लिया जाएं।
फिर सब मिलकर एक रेस्तरां में पहुंच गए।
राजीव ने खाना आर्डर कर दिया।
कुछ देर बाद खाना भी आ गया।

सब खाना खाने लगे।
रमेश ने कहा अब वापस चलें।
राजीव ने कहा हां, ठीक है आप लोग थक गए हो ।।

फिर सब गाड़ी में बैठ गए और ड्राईवर को बोला कि गाड़ी अब घर की तरफ लिजिए।


क्रमशः
नया अध्याय हर शुक्रवार।