Shesh Jeevan (Stories Part 28) in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | शेष जीवन (कहानियां पार्ट 28)

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शेष जीवन (कहानियां पार्ट 28)

तपन बैठा हुआ सोचने लगा।
कालेज में तपन का सायरा से परिचय हुआ था।तपन हिंदी साहित्य का छात्र था जबकि सायरा कॉमर्स की स्टूडेंट थी।तपन को कविताएं लिखने का शौक था।उसकी एक कविता को अखबार में पढ़कर ही वह तपन की तरफ झुकी थी।तपन और सायरा दोस्त बन गए।सायरा तपन के व्यक्तित्व से प्रभावित थी।तपन सायरा की सादगी और सुंदरता पर मोहित था।
दोस्ती होने के बाद तपन और सायरा का काफी समय कालेज के बाहर भी साथ गुजरने लगा।धीरे धीरे समय गुजरने के साथ वे एक दूसरे को चाहने लगे।प्यार करने लगे।और एक दिन जब वे ताज गार्डन में बैठे थे।तपन अपने प्यार का इजहार करते हुए बोला,"सायरा मुझे तुमसे प्यार हो गया है।"
"तपन मै भी तुम्हे चाहने लगी हूँ।प्यार करने लगी हूँ।"
"सायरा में तुम्हे अपनी जीवन संगनी बनाना चाहता हूँ।"
"तपन तुम्हारी पत्नी बनकर मुझे खुशी होगी।"
"सायरा हम दोनों के धर्म अलग है।क्या तुम्हारी अम्मी हमारी शादी को राजी हो जाएगी?"तपन ने आसंका प्रकट की थी।
"अम्मी को हमारे निकाह पर ऐतराज होना तो नही चाहिए"
"मै तुम्हारी अम्मी से अपने रिश्ते की बात करूं?"तपन ने सायरा से पूछा था।
"तपन तुम रहने दो।पहले मै ही अपनी अम्मी से बात करती हूँ।"
सायरा की माँ शिक्षित औरत थी।वह एक स्कूल में टीचर थी।जमीला ने अपनी बेटी पर किसी तरह का प्रतिबंध नही लगाया था।उसकी हर इच्छा पूरी करने के साथ उसे पूरी आजादी भी दी थी।जमीला को मालूम था।सायरा और तपन दोस्त है।उसे उनकी दोस्ती पर कोई ऐतराज नही था।
लेकिन सायरा का ऐसा सोचना गलत निकला था।जमीला खुले दिल और विचारों की प्रगतिशील मुस्लिम औरत थीं।वह औरतों के अधिकार और पुरुषों से बराबरी की समर्थक थी।लेकिन उसकी बेटी एक हिन्दू लड़के को अपना शौहर बनाना चाहती है।यह सुनकर वह बिदक गयी।बेटी की बात सुनकर वह बोली,"क्या मुसलमान लड़को का अकाल पड़ गया है जो तू एक हिन्दू लड़के से निकाह करना चाहती हैं।"
"अम्मी शादी हिन्दू मुसलमान की नही होती।शादी एक मर्द और एक औरत की होती है"
"मुसलमानो में भी मर्द है"
"अम्मी औरत को निकाह उसी औरत से करना चाहिए जिससे वह प्यार करे।मै तपन से प्यार करती हूं"
सायरा ने अपनी माँ को समझाने का प्रयास किया था।पर व्यर्थ।जमीला ने बेटी की एक बात नही सुनी।वह अपना दो टूक फैसला सुनाते हुए बोली,"मै तेरा निकाह एक हिन्दू से हरगिज नहीं करूंगी।"
"तो अम्मी तुम भी मेरी एक बात कान खोल के सुन लो।मै अगर निकाह करूंगी तो सिर्फ तपन से।वरना आजीवन कुंवारी रहूंगी"
सायरा ने तपन को सब बात बता दी थी।
तपन दुनिया मे अकेला था।उसे अपनी जिंदगी के सारे फैसले खुद ही करने थे।सायरा की बाते सुनकर तपन बोला था,"अब?"
"माँ ने अभी तो मना कर दिया है,लेकिन मुझे विश्वास है।मै माँ को मना लुंगी।लेकिन समय लगेगा।"
"क्या सोच रहे हो?"सायरा की आवाज सुनकर तपन अतीत से वर्तमान में लौट आया था।सायरा की तरफ देखते हुए बोला,"वो ही पुरानी बातें"
सायरा ने दो कप में चाय बनाई थी।एक कप तपन की तरफ बढ़ाते हुए बोली,"लो चाय पीओ।"
चाय को घूंट भरते हुए तपन बोला,"अम्मी नजर नही आ रही।कहाँ है?
"अम्मी का तो कई साल पहले इन्तकाल हो। गया।"
"ओ हो--सायरा की अम्मी के इन्तकाल की बात सुनकर तपन ने अफसोस जाहिर किया था