Mahila Purusho me takraav kyo ? - 59 in Hindi Human Science by Captain Dharnidhar books and stories PDF | महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 59 - क्या केतकी जिंदा है ?

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महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 59 - क्या केतकी जिंदा है ?

बद्री काका से केतकी के घर की सारी जानकारी दामिनी को मिल गयी थी । लेकिन दामिनी का पुलिसया दिमाग मानने को ही तैयार नहीं है कि केतकी मर गयी है । दामिनी के पति अभय ने कहा ..दामिनी ! हो सकता है बद्री काका सही कह रहे हो । तुम बेवजह केतकी पर शक कर रही हो । दामिनी ने अभय से कहा ..अभय ! आप केतकी के साथ सिर्फ दो महिने रहे हो ..आप क्या जानो उसे । अच्छा एक बात बताओ ...कौन ऐसी लड़की होगी जो ससुराल में आते ही अपने पति से शर्त लगाना शुरू कर दे ...कहे कि तुम उसके साथ मुंबई मे रहोगे । और तुम अपने मा बाप के साथ नही रहोगे । कभी तुम्हारा ध्यान गया कि वह अपने मायके गयी तब सारा कीमती सामान..गहने वगैरह अपने साथ ही ले गयी । दामिनी की यह बात सुन अभय की मा कस्तुरी बोली ... बेटा वे गहने तो मैने ही ले जाने को कहा था । मैने कहा था तुम्हारी नयी नयी शादी हुई है तो वहा कोई फंकसन होगा तो पहन लेना । दामिनी ने अपनी सास से कहा ..मम्मी जी आपने कुछ गहने के लिए कहा होगा .. सारे गहने ले जाने को थोड़े ही कहा होगा । दामिनी ने अपने शक को कस्तुरी के दिमाग में भी डाल दिया ...अब कस्तुरी भी दामिनी की तरह सोचने लगी । कस्तुरी ने कहा मैंने जो मुँह दिखाई में जो गहना दिया था वह भी अपने साथ ले गयी थी, तुम ठीक कह रही हो । अभय के पापा ने कहा ..अरे कस्तुरी वह तुम्हारी दी हुई सोने की चैन अपने मम्मी पापा को दिखाने के लिए ले गयी होगी, इसमे कौनसी बड़ी बात है ? फिर दामिनी को देखकर कहा ..बहु ! तुम पुलिसवाली बनकर सोच रही हो । पुलिस का काम ही होता है हर बात पर शक करना, तुम बिना बात के टेंशन कर रही हो । दामिनी ने मुस्कुराकर कहा ..पापा जी मै क्या करू, किसी ओर पर तो मै विश्वास कर सकती हूँ , पर केतकी पर नही । दामिनी का ससुर बोला ..तो अब क्या करोगी ? गड़े मुर्दे फिर से उखाड़ोगी ?
दामिनी थोड़ी देर विचार कर चुटकी बजाते हुए बोली ... मै खुद मुंबई जाऊंगी ।
अभय का पापा अपनी पत्नी कस्तुरी की ओर देखकर फिर दामिनी की तरफ देखने लगा .. चेयर के दोनो हत्थे पकड़कर खड़ा होते हुए बोला ..ठीक है यह भी करके देख लो ..मुझे नही लगता कि, केतकी जिंदा है ।
दामिनी अपने चेहरे पर आई लट ऊपर करते हुए अभय से बोली ..अभय आप मेरी टिकट बनवा दो ... ठीक है ?
अभय ने अपनी मा की ओर देखकर कहा ..मम्मी ! मैं भी चला जाऊं दामिनी के साथ ? ..आपकी पोती को भी तो रखना पड़ेगा न वहां .. क्या कहती हो ?.. चला जाऊं ?.. अभय की मा ने कहा ..हां हां क्यों नही ..एक से भले दो .. अपने पापा से भी पूछ लो ...अभय के पापा ने तुरंत कह दिया ..मेरी भी हां है ..अपनी मा को भी ले जाओ ..यह भी घूम आयेगी ... अभय की मा ने मना कर दिया ..नही नही तुम ही चले जाओ .. यहां तुम्हारे पापा परेशान हो जायेंगे .. अभय ने अपने पापा से कहा ..पापा ! आप भी चलो ना हमारे साथ ? .. पूरणसिंह ने थोड़ा जोर देकर कहा ..नही , मैं नही जाऊंगा आप चले जाओ ...
दामिनी ने कहा ..मम्मी जी ! पहले हम दोनों जायेंगे ..फिर वहां ठीक लगा तो आपको भी बुला लेंगे ...
अभय ने दो टिकट अगले दिन की बन वाली । दामिनी ने बद्री काका को फोन करके कह दिया कि अभी वे वहीं पर ही रहे .. वह खुद मुंबई आरही है ।