Shesh Jeevan (Stories Part 27) in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | शेष जीवन (कहानियां पार्ट 27)

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शेष जीवन (कहानियां पार्ट 27)

शेष जीवन
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ट्रेन का रूट आगरा होकर नही था।लेकिन जयपुर खण्ड में रेल दुर्घटना होने के कारण इस ट्रेन को इधर होकर गुजारना पड़ा था।जब उसे पता चला कि ट्रेन आगरा होकर जाएगी।तब भी उसके मन मे यह विचार नही आया था कि वह आगरा उतर जाए।इस शहर में उसने वर्षो गुजारे थे।यहां ही पैदा हुआ और पला बड़ा हुआ था।उसने इस शहर में आये परिवर्तनों को देखा था।उतरने का इरादा नही था लेकिन आगरा स्टेशन पर ट्रेन खड़ी हुई तो वह अपने को रोक नही सका और ट्रेन से उतर गया था।
उसने अपना सामान क्लॉकरूम में जमा कराया और फिर स्टेशन से बाहर आया था।पूरे तीस साल बाद वह इस शहर में आया था।तीस साल का समय कम नही होता।बच्चे जवान हो जाते है और जवान बूढ़े।स्कूल कालेज के अनेक साथी उसे इस शहर में मिल सकते थे।लेकिन न वह किसी को ढूंढना चाहता था और न ही किसी से मिलना।वह सिर्फ सायरा की वजह से ही यहाँ उतरा था।
बाहर आते ही उसे ऑटोवालों ने घेर लिया।
"बाबूजी कहां चलना है?
"सदर भट्टी
"आइए साहब
और वह एक ऑटो के अंदर बैठ गया।वह रास्ते मे सोचता रहा।सायरा और अपने बारे में और गली के नुक्कड़ पर पहुंचकर वह ऑटो से उतरते हुए बोला,"यही रुको।'
और वह सायरा के पुश्तेनी मकान पर जा पहुंचा।मकान पर ताला लगा था।उसने पास के घर मे दस्तक दी
" कहिए/"एक अधेड़ ने दरवाजा खोलकर पूछा था।
"आप क्या सायरा के बारे में बता सकते है?"
"सायरा क्यू वी में प्रिंसिपल हो गयी है और वह वही कालेज के बंगले में रहती है।'
वह वापस ऑटो में बैठते हुए बोला,"क्यू वी
और वह पूछकर सायरा के बंगले पर जा पहुंचा
"आपको किस्से मिलना है?"लॉन में काम कर रहे बूढे माली ने उससे पूछा था।
"प्रिंसिपल सायरा मेडम से "
"आइए।"बूढ़ा माली उसे अंदर ले गया।ड्राइंगरूम में उसे बैठाते हुए बोला,",मै मेडम को बता कर आता हूँ।"
कुछ देर बाद वह लौटकर बोला,"आप बैठिए।मेडम आ रही है।"
वह कहकर चला गया।वह बैठा हुआ ड्राइंगरूम को निहारने लगा।कुछ देर बाद सायरा ने ड्राइंगरूम में प्रवेश किया था।तीस साल का अंतराल कम नही होता।तपन बूढ़ा होने के साथ गंजा भी हो गया था।उसकी आँखों पर चश्मा भी लग चुका था।सायरा के बाल सफेद होने के साथ वह मोटी भी हो गयी थी।उसकी आँखों की रोशनी भी कम हो गयी थी।
दोनो में आये शारीरिक परिवर्तन की वजह से एक दूसरे को पहचानने में कुछ मिनट लगे थे।पहले तपन बोला,"सायरा
"तपन तुम उसकी आवाज सुनकर सायरा बोली थी।

"शुक्र है।तुम मुझे पहचान तो गयी।मेँ तो समझा था।भूल गयी होगी।
"इतने साल तक तुम कहाँ रहे।"तपन को सामने पाकर वह अपनी भावनाओं पर काबू नही रख सकी और उससे लिपटकर रो पड़ी।
"इस तरह कोई अपनो से रूठकर जाता हैं।तीस साल तक तुमने कोई खोज खबर नही ली।सायरा जिंदा है या मर गयी।जानने की कोशिश नही की।क्या इसी को प्यार कहते है।क्या यही तुम्हारा प्यार था।"सायरा रोते हुए न जाने क्या क्या बड़बड़ाती रही।"तपन उसकी पीठ को सहलाते हुए उसे सांत्वना देता रहा।दिल का गुबार निकल चुकने के बाद वह चुप हुई थी।
"बैठो।मै तुम्हारे लिए चाय बनाकर लाती हूँ।फिर बैठकर बाते करेंगे।"सायरा,तपन को बैठा कर किचन में चली गयी