Saat fere Hum tere - 19 in Hindi Love Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | सात फेरे हम तेरे - भाग 19

Featured Books
Categories
Share

सात फेरे हम तेरे - भाग 19

नैना ने कहा दीदी देखा कैसे पीछे पड़ गए हैं। देखा ना कि हम अकेले हैं। माया ने कहा नहीं नैना मेरा तजुर्बा कहता है कि ये नेक दिल इंसान हैं। नैना ने कहा दीदी आप निलेश का हमशक्ल है ये सोच कर आप बोल रही है कि निलेश जैसा ही होगा। माया ने कहा नहीं निलेश जैसा कोई नहीं हो सकता है पर ये आर्मी चीफ आफिसर है। नैना ने कहा चलो उधर घुमते है और भी बहुत सारे लोग बहुत ही मजा कर रहे थे।
फिर वहां पर सभी को लंच करने के लिए बुलाया गया।


सभी वहां पर बहुत ही हंस कर बात करने लगे थे। नैना और माया भी वहां पहुंच कर थोड़ा बहुत खाना प्लेट में ले लिया।
नैना ने कहा दीदी देखो वो आ गया। विक्रम सिंह शेखावत। विक्रम भी अपने दोस्तों के साथ प्लेट लेकर खड़े होकर बात करने लगे।

माया ने कहा नैना हमें एक बार बात करनी चाहिए। विक्रम सिंह शेखावत से। नैना ने कहा हमें क्या काम है दीदी। हमें कुछ नहीं चाहिए जो है सब बहुत है। फिर कुछ देर बाद ही विक्रम सिंह शेखावत आ गए और फिर बोला कि ऐसा क्या है मेरे चहरे पर जो आप लोगों की मुस्कान छिन रहा है। माया ने कहा मैं तुम्हारे साथ बात करना चाहती है। हां ठीक है मैं कल मिलता हुं। होटल में। नैना ने कहा अरे आपको कैसे पता कि हम किस होटल में रूके हुए हैं। विक्रम सिंह शेखावत ने हंसते हुए कहा अरे मैम मुझे तो सब कुछ पता है। नैना ने कहा अच्छा ठीक है। नैना वहां से प्लेट रखने चली गई।

विक्रम सिंह शेखावत ने कहा अरे क्या बात है आपकी बहन ऐसी क्यों है? माया ने कहा वो मेरी बहन नहीं है पर वो कभी ऐसी तो नहीं थी। जिंदगी ने बहुत कुछ दिखा दिया उसको।।
विक्रम सिंह शेखावत ने कहा हां जिंदगी हमें बहुत कुछ सिखा जाती है पर हम कैसे उसके अच्छे बुरे को समझ कर आगे बढ़ जाते हैं। माया ने कहा हां कहना बहुत आसान है पर जिस पर बीती हो उसे ही पता।

विक्रम सिंह शेखावत ने कहा लगता है कुछ ज्यादा ही बुरा हुआ होगा वैसे कल मैं जरूर आऊंगा। वैसे आप लोग कहां से हो? माया ने कहा कानपुर। विक्रम सिंह शेखावत ने कहा ओह अच्छा दिल्ली में मेरी बुआ रहती है।

माया ने कहा अच्छा अब चलते हैं नैना कहा चली गई।ये बोल कर माया भी वहां से चली गई। विक्रम सिंह शेखावत बहुत गहरी सोच में डूब गए कि क्या हुआ होगा पर नैना मुझे इतनी क्यों अच्छी लगने लगी उसकी सादगी मेरे दिल को छू गई। मुझे उसे अपनी दिल की बात बतानी होगी।
फिर सभी लोग जो जो वहां पहुंचे थे सभी वापस होटल में आकर अपने कमरे में चलें गए। नैना फेश हो कर आ गई और फिर बोली दीदी कुछ कहा क्या तुमने उस विक्रम को। माया ने कहा हां पर कल वो आने वाला है। नैना ने कहा पर दी तुम उस पर विश्वास मत करो। माया ने कहा कुछ खोने का डर अब कहां है। नैना ने कहा हां पर फिर भी। माया ने कहा पता नहीं क्यों उस पर विश्वास करने का दिल करता है। निलेश की यादें ताजा हो जाती है वहीं हंसी, वहीं अंदाज, वहीं तेवर। पता है नैना तेरे लिए रात भर रोता रहता था। मैंने देखा है उसको तड़पते हुए। नैना ने कहा हां दीदी चलो अब सो जाते हैं।कह कर दोनों सो गए।
किसी तरह वो दिन गुजर गए और फिर दुसरे दिन सुबह जल्दी तैयार हो कर नीचे पहुंच गए। और एक टेबल जो विक्रम सिंह शेखावत ने पहले से बुक करवाया था वहां पर ही दोनों बैठ गई। कुछ देर बाद ही विक्रम सिंह शेखावत आ गया और साथ में एक गुलाब का गुलदस्ता माया के तरफ बढ़ाते हुए कहा हेलो।
फिर विक्रम बैठ गए।।
विक्रम सिंह शेखावत ने कहा नाश्ता क्या लेंगी? माया ने कहा उपमा ही खा लेंगे दोनों। विक्रम सिंह शेखावत ने नाश्ता आॅडर किया। फिर बातें शुरू हो गई। विक्रम सिंह शेखावत ने कहा अब आप बताइए कि क्या हुआ था। माया ने कहा मेरा भाई निलेश एक बस दुर्घटना की चपेट में आ गए थे पर उसने अपनी प्रवाह किया बिना जख्मी लोगों बच्चों को बचा कर खुद विदा ले लिया। विक्रम सिंह शेखावत ने कहा ओह माई गॉड।पर नैना से क्या रिश्ता है। माया ने कहा हां नैना निलेश की जिंदगी थी। नैना की आंखें एक दुर्घटना में चली गई थी और फिर निलेश को किसी भी तरह नैना की आंखें वापस करनी थी तो मेरा निलेश मरने से पहले अपनी आंखें नैना को दे गया। विक्रम सिंह शेखावत ने कहा ओह बहुत ही दुखत। विक्रम सिंह शेखावत ने फिर पुछा कि आप लोग मेरे चहरे को देख कर चौंक क्यों गए।
माया ने कहा हां ठीक कहा तुमने। माया ने कहा एक मिनट फिर एक बैग में से एक एलबम निकला। और बढ़ाते हुए कहा ये देखो निलेश की तस्वीर। विक्रम सिंह शेखावत ने एलबम हाथ में लेकर कहा हां ज़रूर।बस जैसे ही निलेश की तस्वीर देखने लगा तो चौंक गए और फिर कहा ये कैसे हो सकता है? ओह माई गॉड।ये निलेश है हूबहू मेरी तरह। कैसे हो सकता है। फिल्म में देखा था पर जिंदगी में।।आपको की कहानी सुनकर मैं बहुत ही अपसेट हो गया। माया ने कहा हां जब हम पहली बार देखें तो लगा निलेश वापस आ गया। विक्रम सिंह शेखावत ने कहा दीदी मैं आपको एक वादा कर सकता हूं निलेश को मैं वापस तो नहीं ला सकता पर मैं आपका भाई बनना चाहता हुं।
माया ने कहा हां ठीक है। विक्रम सिंह शेखावत ने कहा दीदी ये मेरा कार्ड रख लिजिए कभी कोई जरूरत हो तो कालॅ करिए। माया ने कहा हां ठीक है कार्ड लेकर बैग में रख दिया। नैना ने कहा हम किसी पर युही भरोसा नहीं कर सकते हैं।
विक्रम सिंह शेखावत ने कहा हां ठीक है नैना तुम मुझे पर भरोसा मत करो पर मुझे ख़ुद पर भरोसा है। फिर आॅडर किया था जो वो आ गया। फिर सबकी प्लेट में परोस कर चला गया वेटर।। माया ने गाजर का हलवा देख कर बोल पड़ी कि ये क्या गाजर का हलवा तुम्हें भी पसंद है? विक्रम सिंह शेखावत ने कहा हां ये तो फेवरेट डिश है। क्यों ये निलेश को भी पसंद था क्या? माया और नैना एक साथ बोल पड़ी कि हां तो।। विक्रम सिंह शेखावत ने कहा अच्छा हमशक्ल होने के साथ साथ-साथ मेरा और निलेश की पसंद भी एक है ये कहते हुए नैना की तरफ देखा।पर नैना तुरंत दुसरी तरफ देखने लगी।
फिर खाना खाने के बाद विक्रम सिंह शेखावत ने एक पैकेट देते हुए कहा कि ये कुछ है आप दोनों के लिए।। माया ने कहा पर ये कैसे ले सकतें हैं? विक्रम सिंह शेखावत ने कहा ना मत बोलिए मैं तो निलेश की जगह नहीं ले सकता पर जब आपको बहन माना है तो ये रखना होगा।
माया ने पैकेट लेते हुए कहा थैंक यू। विक्रम सिंह शेखावत ने एक स्माइल दी और फिर बोला अच्छा अब मैं चलता हूं।कह कर निकल गए। माया ने कहा देखा नैना कितना नेकदिल शरीफ़ है। नैना ने कहा हां कुछ ज्यादा ही है।
फिर दोनों कमरे में जाकर बैठ गए। माया ने वो पैकेट खोला तो एक में नैना का नाम लिखा था और दूसरे पर माया का नाम लिखा था। माया ने अपना पैकेट खोला तो देखा कि एक बहुत ही खूबसूरत सा स्वेटर और एक बैग है। माया को बहुत ही पसंद आया।
नैना ने कहा अब मैं देखती हूं कि क्या है
नैना ने पैकेट खोला और देखा तो चौंक गई थी और फिर बोली अरे ये शाॅल तो वहां मार्केट में देखा था पर महंगा था इसलिए नहीं लिया ये विक्रम सिंह शेखावत को कैसे पता चला वहीं शाॅल लाकर दिया। माया ने कहा हां मुझे लगता है वो तुमसे से प्यार करने लगा है। नैना ने कहा दीदी आप भी ना।आपको तो पता है निलेश के सिवा मैं किसी के बारे में सोचना नहीं चाहतीं। माया ने कहा हां ठीक है पर अगर निलेश ऐसा ही चाहता हो तो? शायद इसीलिए हम दोनों इतने दूर आ गए। नैना ने कहा दीदी ये सब सुनना मेरे लिए पाप है। माया ने कहा तू क्या लगता है तूझे दुखी देखकर कर निलेश खुश रहेगा। नैना ने कहा पर मैं, नहीं, नहीं ऐसा नहीं कर सकतीं हुं। माया ने वो शाॅल नैना के माथे पर ओढ़ दिया। फिर नैना को उस पैकेट मेरे एक चिट्ठी मिली। माया ने कहा चल तू पढ़ लें मै आराम करती हूं। नैना ने कहा हां ठीक है।

चिठ्ठी को खोल कर पढ़ने लगती है।

नैना मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूं पर कह नहीं पा रहा हूं।अब जब मुझे ये पता चल गया कि मेरा चहेरा निलेश से मिलता है तो मैं कुछ भी नहीं कह सकता हूं।पर इतना कहना चाहता हूं।।
कि तुम बहुत बहादुर हो और एक बहुत ही साफ दिलवाली है। मैने जब पहली बार तुम्हें देखा तो पता नहीं कैसे तुम्हें ही हर जगह पर देखता रहा।उस दिन जब तुमलोग मार्केट गई थी तो मैंने तुम्हें वो स्टोल पसंद करते देखा था पर तुमने वो खरीदा नहीं मैंने वो तुम्हारे लिए खरीद लिया।
मैं इतना भी बुरा नहीं हुं हां तुम शायद मुझे पसंद नहीं करती हो।पर कभी भी तुम मुझे दिल से याद करोगी मुझे अपने साथ पाओगी।
विक्रम सिंह शेखावत (विक्की) लोग मुझे प्यार से विक्की भी कहते हैं।

नैना के आंखों में आसूं आ गए थे और फिर नैना सोचने लगी ये क्या मैं विक्रम सिंह शेखावत के लिए रो रही हुं। नहीं ऐसा नहीं हो सकता। मुझे तो निलेश से ही प्यार है हां पर उसका चेहरा मुझे निलेश की याद दिलाता है।। इसका मुझे डर था मैं निलेश को धोखा नहीं देना चाहती हुं। ये कहते हुए सो गई नैना।

कमश: