Hum Garib hai Sahab - last part in Hindi Horror Stories by DINESH DIVAKAR books and stories PDF | हम गरीब है साहेब - अंतिम भाग

Featured Books
Categories
Share

हम गरीब है साहेब - अंतिम भाग

अब तक...
एक फाइव स्टार होटल में राममुर्ती की बेटी पुजा का जन्मदिन मनाया जा रहा था लेकिन तभी वहां अचानक एक साया नजर आता है जो राममुर्ती को बड़ी बेदर्दी से मार देता है जिसके बाद पुजा रोते हुए उस साए से पुछती है की उसने मेरे पापा को क्यो मारा तब वह साया बोलता है..
अब आगे..

वह साया पुजा की बात सुनकर बोलता है - इस शहर का एक छोटा सा इलाका जिसे आमा नाका कहते हैं वहा 40-50 परिवार रहते थे दिन भर की मेहनत के बाद उन्हें दो वक्त की रोटी नसीब होती थी। फिर भी वे खुशी खुशी अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे। वहां कोई छोटा बड़ा नहीं था सभी एक दूसरे से मिल कर रहते अगर किसी के घर में खाना नहीं होता तो पुरा परिवार अपने घर से थोड़ा थोड़ा अनाज उन्हें दें देते।

उसी परिवार में से मैं भी था मेरा नाम है गणेश। मैं बचपन से अनाथ था लेकिन उन्होंने मुझे कभी अनाथ महसूस नहीं होने दिया। और मुझे अपने परिवार जैसा रखा, मेरे पिता वहां के मुखिया था इसलिए उनके बाद उन्होंने मुझे मुखिया चुना। मैं भी पुरे लगन से उनकी सेवा का कार्य करता। जब भी कोई मुसिबत आती तो मैं सामने खड़ा हो जाता।

तभी एक दिन एक ऐसा तुफान आया जिसने हमारी जिंदगी को तहस-नहस कर दिया वो था राममुर्ती उर्फ राणा दग्गुबाती

पुजा चौक गई - राणा दग्गुबाती !

वह साया बोला - हां राणा दग्गुबाती मुम्बई का सबसे बड़ा डान, उसने बचपन से ही मार पीट और खून खराबा शुरू कर दिया था। उसे जैसे पैसे कमाने का भुत सवार था पैसों के लिए वह कुछ भी कर सकता था। समय बीतता गया।

लेकिन डान बनने के बाद भी वह खुश नहीं था क्योंकि उसमें पैसे कम और पकड़े जाने का डर ज्यादा था, हालांकि पुलिस तो क्या कोई मंत्री भी उसके नाम से ही डरते थे लेकिन फिर भी यह बात उसके मन में हमेशा चलतीं रहती। शादी होने के बाद पुजा का जन्म हुआ जिसके बाद उसकी पत्नी चल बसी वह अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता था जिसके बाद वह खून से उब चुका था।

फिर एक दिन उसने MLA बनने का फैसला लिया जिसमें बिना मारकाट के भी बहुत पैसा कमाया जा सकता था और वो भी अनगिनत। काफी समय के बाद वह अपने पावर और पैसे से MLA बन बैठा। जिसके बाद उसका जुनून पागलपन में बदल गया।

एक बहुत बड़ी कंपनी ने 10000 करोड़ का एक प्रोजेक्ट शुरू किया जिससे अनेक शापिंग माल सिनेमा इत्यादि का निर्माण किया जाने वाला था। लेकिन जिस जगह पर उनका ये कान्टैक्ट बनना था उनका परमिट और आदेश उनके पास नहीं था। उसके लिए उन्होंने राममुर्ती यानी की तुम्हारे पिता से हाथ मिलाया।

इसके लिए उन्हें 100 करोड़ रुपए मिले इसके बदले उन्हें उस कंपनी को उस जगह का परमिट और आदेश जारी करवाना था और सबसे बडा काम था उस जगह को खाली करवाना जहां वो शापिंग माल सिनेमा आदि बन सकें।

उस जगह का नाम था आमानाका। हां आमानाका यानी हमारा घर। कुछ लोगों के साथ तुम्हारे पापा हमारे सामने आए और बोलने लगे की हमें यह जगह ख़ाली करना पड़ेगा, अब यहां बड़े बड़े शापिंग माल और बिल्डिंग्स बनेंगी।

हम सभी ये सुनकर चौंक गए अगर यहां वो माल बनेंगे तो हम कहां जाएंगे हम कहां रहेंगे हम लोगों ने उनसे विनती की की आप कही और शापिंग मॉल और अपनी बिल्डिंग बना लीजिए यहां हम गरीब बहुत मुश्किल से रह रहे हैं अगर यहां से चले गए तो हम तो बेघर हो जाएंगे हम कहां रहेंगे और हमारे बच्चे क्या खाएंगे।

उसके बाद उन्होंने हमें पैसो का लालच दिया और कहा - जाओ और कहीं और जाकर रहो।

लेकिन पैसों से हमारा क्या होता हमें तो रहने के लिए छत चाहिए थी जिसने नीचे हमारे बच्चे रह सकें। हम नहीं माने और सभी एकसाथ मिलकर उनका विरोध करने लगें। जिससे उन्हें हार मानना पड़ा।

तभी एक दिन उनका एक प्रस्ताव आया की उस जगह और घरों के बदले उन्हें दूसरे जगह पर घर बनाकर दिया जाएगा और काम भी जिससे वे कमाकर अपना पेट भर सकते थे। हम सभी ये सुनकर खुश हो गए चलों हमें घर और काम तो मिल जाएगा सभी राजी हो गए। तब उन्होंने मुझे यानी की मुखिया को बुलाया ताकी बाकी की बातचीत हो सके।

मैं अकेले ही उनके घर चला गया वहां राममुर्ती के अलावा और चार पांच लोग थे उन्होंने नक्शे में बताया की किस जगह हमें घर मिलेगा वह जगह काफी बड़ी थी जहां हमारा परिवार अच्छे से रह सकता था मैं मन ही मन खुश हो रहा था की चलो अब हमारे दुःख के दिन खत्म हो जाएंगे। उन्होंने मुझे 5 करोड़ का चेक दिया ताकि हम उन पर भरोसा कर सकें मैंने वह चेक ले लिया।

तभी एक तेज धार वाला तलवार मेरे शरीर के आर-पार हो गया मैं दर्द के मारे चीख पड़ा फिर मुड़कर देखा तो उनके हाथों में तेज धार वाले चाकू और तलवार थे और उनके चेहरों में कुटिलता भरी मुस्कान। मैं वहीं गिर पड़ा।

तब राममुर्ती बोला - तुम लोग हमें उस जगह पर शापिंग मॉल बनाने से रोकोगे हां हां हां जो कोई भी हमारे रास्ते में आएगा उसका यही हस्र होगा।

मै समझ गया हमारे साथ धोखा हुआ है। मेरी सांसें रूक गई और मेरी आत्मा मेरे शरीर से अलग हो गई। दूसरे दिन वे उस इलाके में ग‌ए इस बार उनके पास बहुत सारे आदमी भी थे और बड़े बड़े बुलडोजर वहां जाकर वे घरों को तोड़ने लगें। वे लोग भागते हुए राममुर्ती के पास आए की ये सब क्या हो रहा है

तब राममुर्ती बोला- अरे यही तो डील हुई थी गणेश से हम लोगों ने उसे कल 5 करोड़ दिया है इस जगह के बदले और उसने वादा किया था की ये जगह अब हमारी हुई यकीन नहीं तो गणेश से पुछ लो।

तब वे बोले - गणेश तो कल रात से ही घर नहीं आया है

तब राममुर्ती अनजान बनते हुए बोला- क्या कहीं वो सारे पैसे लेकर भाग तो नहीं गया।

वे घबराते हुए बोलें- नहीं गणेश ऐसा नहीं कर सकता !

राममुर्ती - क्यो नही कर सकता ये देखो हम लोगों ने उसे 5 करोड़ रुपए दिए थे कल यह कहकर उसने वो फोटो दिखाई। देखा वो इतने पैसों को देखकर तुम सभी को अकेला छोड़कर भाग गया।

अब वो भाग गया ये तुम लोगों की चिंता है हम लोगों ने यह जगह खरीद लिया है हम इस पर हमारा अधिकार है यह जगह ख़ाली कर दो नहीं तो मारे जाओगे। वे लोग उनसे ऐसा न करने की भीख मांगने लगें लेकिन उनके बुलडोजर और आदमियों ने पुरे घर को तोड दिया और जो भी सामने आया उसे मार मार के अधमरा कर दिया डर के मारे वे वहां से भाग गए। ये देखकर वे लोग कुटिलता से मुस्कुराने लगे।

मैं उन दृश्यों को देख रहा था लेकिन कुछ नहीं कर पाया और वे बेचारे दर दर भटकने लगे तब मैंने कसम खाती की इस राममुर्ती को जिंदा नहीं छोडूंगा।

पुजा चुपचाप सुनती रही।

तब वह साया रोते हुए बोला- तुम यह सब रोक सकती हो तुम उस जगह पर शापिंग मॉल बनने से रोक सकती हो ताकी वो बेघर लोग वहा रह सकें। अपने पापा से कहना यह सब रोक दे वरना मुझे मजबुरन उन्हें मारना पड़ेगा....

क्या पुजा ये सुनकर चौंक गई- लेकिन आपने तो पापा को मार दिया है.........

तभी एक आवाज आई- पुजा बेटी उठो क्या हुआ तुम्हें

और तभी पुजा की चेहरों पर किसी ने पानी की छींटे मारें पुजा हड़बड़ाकर उठ बैठी। वो हैरान नजरों से चारों ओर देखने लगी फिर अपने पापा को देखने लगी जो सही सलामत थे। पुजा हैरान थी।

राममुर्ती परेशान नजरों से पुजा को देखते हुए बोले- क्या हुआ बेटी तुम अचानक से बेहोश कैसे हो ग‌ई

पुजा याद करते हुए बोली- क्या हुआ था पापा

राममुर्ती - तुमने जैसे ही केक काटने के लिए हाथ बढ़ाया तभी तुम बेहोश होकर गिर पड़ी मैं तो डर गया था। तुम ठीक हो ना बेटी !!

पुजा- हां पापा मैं ठीक हूं।

राममुर्ती - भगवान का शुक्र है जो तुम ठीक हो अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो मैं तो मर ही जाता । राममुर्ती घबराते हुए बोलें।

कुछ ही देर में सब नार्मल हो ग‌ए सिवाय पुजा के उसके मन में यही चल रहा था की वो सपना था या.. और उसने जो कहा.. क्या वो सच होगा.....

तब राममुर्ती बोले - चलों बेटी केक कांटों सभी इंतजार कर रहे हैं।

पुजा ने अपनी आंखों को बंद कर लिया फिर एक लम्बी सांस लेकर बोली - पापा मुझे आपसे कुछ पुछना है

राममुर्ती - हां पुछो !

पुजा - लेकिन वादा कीजिए की आप सत्य बोलेंगे

राममुर्ती - अच्छा ठीक है पुछो !

पुजा ने वह सब कह सुनाया जो अभी कुछ देर पहले उसने सपने में देखा था फिर उसके बाद वह बोली- क्या आपने सच्ची ये सब किया है ? क्या आपने गणेश को मारा था ? और उन लोगो को उनके घर से बेघर किया था ?

राममुर्ती गंभीर हो ग‌ए उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले !

पुजा - बताइए पापा आपको मेरी कसम, अगर आपने झुठ बोला तो मेरा मरा हुआ चेहरा देखेंगे

राममुर्ती - नहीं बेटी ये क्या बोल दिया

पुजा रोते हुए- बताइए पापा

राममुर्ती - हां ये सब मैंने ही किया था, हम लोगों ने ही मिलकर गणेश को मारा और उन लोगो को उनके घर से जबरदस्ती भगा दिया।

ये सुनकर पार्टी में शामिल सभी लोग चौंक गए। पुजा बोली- क्यो पापा क्या मिला आपकों ये सब करके मां भी आपसे दूर हो गई और अब मैं भी।

राममुर्ती - नहीं बेटी ऐसा मत कहो ये सब मैंने अपने लिए और अपने परिवार के लिए किया।

तभी वहां CID के कुल लोग राममुर्ती को घेर लिए जो क‌ई सालों से राममुर्ती के खिलाफ सबूत ढूंढ रहे थे जिन्हें आज वो सबूत मिल गया उन्होंने राममुर्ती को गिरफ्तार कर लिया। पुजा अपने पापा से नजरें फेर कर रो रही थी।

राममुर्ती भी बोला - बेटी मेरी तरफ देखो, मुझे माफ़ कर दो अब से मैं ये सब छोड़ दूंगा बस एक बार तुम मुझे माफ़ कर दो। प्लीज़ बेटी मैं तुम्हारे बिना जी सकता मुझे अपनी गलतियों को सुधारने का एक मौका दो।

पुजा- ठीक है पापा, अगर आपने उन बेघर हुए लोगों को उनका घर दिला दे और उस प्रोजेक्ट को रोक कर गरीब लोगों की मदद करें तो मैं आपको माफ कर दूंगी।

राममुर्ती- तुम जैसा चाहती हो वैसा ही होगा बेटी।

इसके बाद राममुर्ती की मदद से CID ने उस कंपनी वालों को गिरफ्तार कर लिया और उस प्रोजेक्ट को हमेशा के लिए बंद कर दिया और उन गरीब लोगों को पुनः उस जगह पर ले जाया गया उनके लिए घर की व्यवस्था की गई और उनके खाने की भी।

सब ठीक हो गया तब पुजा बोला - मैं आपसे बहुत खुश हूं पापा, मैंने आपकों माफ किया चलीए अब घर चलते हैं।

राममुर्ती बोला- नहीं बेटी अभी नहीं

पुजा चौंकते हुए बोली - क्या हुआ पापा ?

राममुर्ती - मैंने इन गलतियों का तो प्रयाश्चित कर लिया लेकिन मैंने जो और पाप कीए है उनकी सजा तो मुझे मिलनी ही चाहिए।

पुजा - लेकिन पापा...

राममुर्ती - नहीं बेटी मुझे जाने दो अब जो राममुर्ती तुम्हारे पास आएगा वो होगा तुम्हारा पिता इस राममुर्ती को मुझे मारना होगा। यह कहकर वह उन CID वालों के साथ चला गया।

पुजा वहीं बैठी रोती रही। रात की गहराइयों में जब पुजा छत से नीचे आने को हुई तो एक आवाज आई- धन्यवाद पुजा जी मुझे मुक्ति दिलाने के लिए और मेरे परिवार को उनका घर दिलाने के लिए।

पुजा अपने आंसूओं को पोंछते हुए नीचे आ गई और इंतजार करने लगी अपने पिता का और साथ ही पुरी मेहनत से पढ़ाई करने लगी ताकी वो गरीब लोगों की मदद कर सकें।

10 साल बाद

आज पुजा अपने दम पर MLA बन गई है और गरीब लोगों की हर संभव मदद कर रही है ताकी कोई भी भुखा ना रहें। और जब राममुर्ती जेल से बाहर आया और अपनी बेटी की लोगों के मुंह से तारिक सुनी तो उसका सीना गर्व से चौड़ा हो गया।

जब दोनों बाप बेटी मिलें तो एक दूसरे के गले लग कर रोने लगे।
HAPPY ENDING

®®®DINESH DIVAKAR "Ᏼᴜɴɴʏ"