बाल कविताएं -आभा दवे
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1)ईश्वर को करो प्रणाम
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सुबह सवेरे सबसे पहले
उठकर ईश्वर को करो प्रणाम
मुस्कुरा कर लो उसका नाम
फिर शुरू करो अपना काम।
काम तुम्हारा बन जाएगा
दिन तुम्हारा सँवर जाएगा
आए यदि कोई कठिनाई
स्मरण करो उसी का भाई।
कठिनाई वो हल करेंगे
सारे दुख वे दूर करेंगे
मानो मित्र उन्हें ही अपना
हरदम वे तुम्हारे साथ रहेंगे।
सुबह सवेरे सबसे पहले
उठकर ईश्वर को करो प्रणाम...
2)माँ सरस्वती
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माँ सरस्वती ! ज्ञान की वीणा बजा
अज्ञान का तिमिर मिटा
चले सब नेक रास्ते
ऐसी राह दिखा
तेरा हो सदा वंदन
सब में ऐसी प्रीत बढ़ा
कंठ में हो वास तेरा
ऐसी करुण कृपा बरसा
सत्य की राह चले सब
ऐसी मति सब में जगा
हे सरस्वती माँ ! लेखनी में वास कर
निर्मल धारा उसमें बहा
नमन तुझे माँ, नमन तुझे माँ
बस इतना ही उपकार कर सदा ।
3)माँ
जग से न्यारी माँ हमारी
हम बच्चों की प्यारी प्यारी
सूरज संग उठ जाती है
काम करते भी नहीं हारी।
हमको रोज हर विषय पढ़ाती है
दुनिया का सबक सिखलाती है
ममता के आंचल का दे सहारा
मधुर गीत वह गुनगुनाती है ।
घर की धुरी होती है माता
दिल से जोड़े वह सब से नाता
खुद की करती न कभी परवाह
उसका त्याग सब कुछ कह जाता।
4)मम्मी -पापा
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मम्मी - पापा हमको प्यारे
जग से है वो न्यारे
देते हैं वह सब जो
हम उनसे माँगे ।
ना कोई उनके जैसा
ना ही कोई होगा
इतना वह हमसे प्यार करें
जो हमसे भी ना होगा ।
हम बच्चे मतवाले होते
रहते अपनी धुन में है
मम्मी -पापा एक ऐसे हैं
जो बच्चों की खातिर अपना
जीवन समर्पित कर देते हैं ।
5)हम छोटे बच्चे
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हम छोटे-छोटे बच्चे हैं
दिल के बहुत सच्चे हैं
मजहब की दीवार नहीं
लगते सबको अच्छे हैं।
भेदभाव हम जाने न
किसी को गैर माने न
प्यार सभी से चाहे हम
नफरत को पहचाने न ।
मिलजुल कर रहें सभी से
मिली है जिंदगी तभी से
देश की शान हम बढ़ाएँगे
करना है तैयारी अभी से।
6)शिक्षक एवं विद्यार्थी
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शिक्षक विद्यार्थी की आशा है
विद्यार्थी शिक्षक की परिभाषा है
दोनों ही एक-दूसरे के पूरक
प्रेम ही इनकी मूक भाषा है।
मिलता रहे जो दोनों को
एक -दूसरे का सम्मान
लुटाते दे सर्वस्व अपना
दोनों ही गुणों की खान।
एक देता है एक लेता है
शिक्षक का ज्ञान महान
विद्यार्थी भी सच्चे दिल से
ग्रहण करें वो संज्ञान ।
7)शेर की सेना
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जंगल के राजा शेर ने सेना
अपनी एक बनाई
सभी जानवरों को दी उनके
काम की दुहाई।
राजा की सेना खुश होकर
करती जंगल में काम
सभी को चाहिए अपना -
अपना ही नाम
दिन भर करते मेहनत सभी कड़ी
शाम को पाते राजा से अपना-
अपना ईनाम।
जंगल में रहें सभी खुश शेर को
रहता इसका ध्यान
सभी के कामों को वह देता सम्मान
सभी जानवर जंगल में मंगल मनाते
एक दूजे का बनते सहारा और देते सबको सदा ही मान।
8)चींटी
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मैं चींटी नन्ही सी जां
उठा लेती हूँ आसमां
रुकती नहीं कहीं भी
घूमती हूँ सारा जहां ।
क्षणिक है मेरा जीवन
करती हूँ समर्पित तन
दिन -रात काम में लग
जुटाती भोजन साधे मन ।
मिलजुल कर करती काम
करती नहीं तनिक विश्राम
एक दूजे को देती हूँ संदेश
मिलना सभी अपने धाम।
9)चिड़िया
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चीं -चीं करती चिड़िया
दाना चुगती चिड़िया
फुदक -फुदक कर उड़ती
सबको भाती चिड़िया।
सब के घरों में जाती
सबको अपना पाती
तिनका चुन - चुन कर
अपना घर है बनाती।
भेदभाव वो जाने न
शत्रु किसी को माने न
हर आँगन उसका घर
बनती किसी की अनजाने न।
10)सूरजमुखी
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है अनोखा फूल सूरजमुखी
घूमे सूरज संग होता सुखी
पीला रंग सब को लुभाता
सुगंध नहीं इसमें फिर भी सुखी।
बीजों में छुपाए हैं अनगिनत गुण
रोगों के हर लेता है यह अवगुण
तेल से बनाते सभी स्वादिष्ट खाना
फूल मान करे, है उसमें सद्गुण।
अलग-अलग नामों से जाना जाता
हर नामों में वह इतराता, मुस्कुराता
सनफ्लावर कह कर सभी बुलाते
अपने को वह भाग्यशाली पाता।
11)बसंत
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डाली डाली फूल खिले हैं
पंक्षी भी देखो चहक उठे हैं
बसंत ऋतु आई मतवाली
भौंरे भी बागों में डोल रहें हैं।
बच्चों की किलकारियाँ गूँजी
माँ - पिता की यही हैं पूँजी
विद्या का दान देती है बसंत
ज्ञान की छुपी हुई है इसमें कुँजी।
दादा - दादी संग बच्चे करें पढ़ाई
ज्ञान में छुपी है जीवन की सच्चाई
खेल - खेल में पाएँ अनोखा ज्ञान
शिक्षा से ही सीखनी है सब अच्छाई।
आभा दवे
मुंबई