Deh kee Dahaleej - 1 in Hindi Women Focused by prashant sharma ashk books and stories PDF | देह की दहलीज़ - भाग 1 

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देह की दहलीज़ - भाग 1 

आप इस जाॅब के इंटरव्यू के लिए आई हैं। इंटरव्यू लेने वाले शख्स ने रोशनी से सवाल किया था। 

जी, सर। रोशनी ने बड़े ही सलीके साथ जवाब दिया।

क्या आपको पता नहीं है कि रिज्यूम में अपने नाम के साथ पिता का नाम भी लिखा होता है। 

इंटरव्यू लेने वाले शख्स के इस सवाल का जवाब देने में रोशनी कुछ संकोच कर रही थी। फिर उसने कहा जी, जानती हूं सर।

फिर भी आपके पिता का नाम इसमें नहीं लिखा है, जान सकता हूं क्यों ?

जी, जी वो.... 

ओह, पिता के साथ कोई इश्यू लगता है आपका। 

जी, नहीं सर पिता के साथ कोई इश्यू नहीं है। 

तो फिर आपके रिज्यूम में पिता का नाम क्यों नहीं है ?

जी वो मुझे मेर पिता का नाम नहीं पता है। 

इस बार इंटरव्यू लेने वाले शख्स ने रोशनी को देखते हुए पूछा- मतलब ?

अब तक संकोच कर रही रोशनी ने इस सवाल का जवाब एकदम सटीक दिया और कहा क्योंकि मेरी मां वेश्या थी, इसलिए मुझे मेरे पिता का नाम नहीं पता है। 

इस बार इंटरव्यू लेने वाला शख्स चौंक जाता है और बड़े गौर से रोशनी को देखता है। फिर सवाल करता है और तुम यहां नौकरी करने आई हो ?

हां, कुछ साल मैंने भी वहीं काम किया जो मेरी मां किया करती थी, पर अब मैं यह नौकरी करना चाहती हूं। 

मेरे पास आपके लिए कोई नौकरी नहीं है। इंटरव्यू लेने वाले शख्स ने रोशनी की फाइल उसकी ओर लगभग फेंकते हुए कहा। उसके इस व्यवहार में एक तिरस्कार की भावना स्पष्ट नजर आ रही थी। 

रोशनी ने अपनी फाइल उठाई और एक बार मुस्कुराते हुए उसने कहा- मेरे सच को सुनने के बाद मुझे आपसे बिल्कुल इसी व्यवहार की उम्मीद थी। फिर भी मुझे एक बार मौका देने के लिए थैक्यू सर। 

रोशनी ने अपनी फाइल को सलीके से जमाया और बैग लेकर वहां से उठकर चलने लगी। अभी वो गेट तक ही पहुंची थी कि उस इंटरव्यू लेने वाले शख्स ने उसे रोका और कहा- एक मिनट, एक शर्त पर तुम्हें ये जाॅब मिल सकता है। 

रोशनी ने तुरंत कहा- मैं जानती हूं सर कि आपकी शर्त क्या है। पर जिस दलदल से निकलकर मैं आई हूं उस दलदल मैं फिर से उतरना नहीं चाहती हूं। यहां नहीं सही पर कहीं तो सिर्फ मेरी शिक्षा, मेरी मेहनत के बल पर मुझे नौकरी मिलेगी ही। जिस्म बेचकर मैं खुद को साबित नहीं करना चाहती हूं सर। मैं अपनी मेहनत से सफल होना चाहती हूं। यह बात बोलते हुए उसकी आंखों में एक आत्मविश्वास नजर आ रहा था। उसने एक बार फिर उस इंटरव्यू लेने वाले शख्स को थैक्यू कहा और वहां से चली गई। 

उस ऑफिस की सीढ़ियां उतरते हुए रोशनी कुछ मायूस हो गई थी। उसके मन में सवालों का तूफान मचल रहा था। उसे ऐसा लग रहा था कि उसे अपनी जिंदगी के सबसे बड़े सच से नफरत है। ये उसकी जिंदगी का वो हिस्सा है, जिसे वो चाहकर भी नहीं बदल सकती और न ही किसी से छिपा सकती है। उसकी जिंदगी का यह अतीत कभी न कभी उसके वर्तमान को प्रभावित करेगा ही। ऐसी ही कई बातों को सोचते हुए रोशनी अब अपने घर पहुंच गई थी। उसने अपना बैग, जाॅब के लिए तैयार की फाइल को टेबल पर रखा और पानी का एक गिलास भरकर पास रखी कुर्सी पर बैठ गई थी। बहते आंसूओं के बीच रोशनी का मन जिंदगी के किताब के पन्नों को पलटने लग गया था।

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पूरे क्षेत्र में वो आंटी के नाम से ही मशहूर थी। भारी-भरकम शरीर, भारी आवाज और चेहरे पर दिखने वाला रौब। आंटी का किरदार ही कुछ ऐसा था कि कोई भी उनके सामने बोलने से पहले डरता था। आंटी एक कोठे का संचालन करती थी और आंटी के कोठे पर छोटी-बड़ी मिलाकर 50 से ज्यादा लड़कियां थी। आंटी के यहां एक तरह से रिवाज बन गया था कि लड़की का जन्म होता है तो धूमधाम से खुशियां मनाई जाए। रोशनी की मां चारू ने जब रोशनी को जन्म दिया था वो रिवाज अनुसार भरपूर खुशियां मनाई गई थी। रोशनी के जन्म पर आंटी बहुत खुश हुई थी इसका एक कारण यह भी था कि रोशनी के जन्म के समय ही बहुत खूबसूरत नजर आ रही थी और दूसरा यह कि उसके कोठे की किसी लड़की ने पांच साल बाद किसी लड़की को जन्म दिया था। दुनियां के लिए खूंखार महिला के तौर पर जानी पहचानी जाने वाली आंटी अपने कोठे की लड़कियों के लिए किसी मां से कम नहीं थी। वो अपनी लड़कियों पर जान लुटाने को तैयार रहती थी। रोशनी के जन्म पर तीन दिनों तक कोठे पर जश्न का माहौल बना रहा था।

कोठे पर आने वाला ग्राहक अगर आंटी की किसी लड़की के साथ कोई जबरदस्ती करने की कोशिश करता था तो आंटी का रौद्र रूप बाहर आ जाता था और उस ग्राहक को सबक सिखाया जाता था। आंटी के पूरे क्षेत्र में बहुत धाक थी। खैर वक्त बीतता गया और रोशनी की उम्र भी बढ़ती गई। आंटी ने हालांकि रोशनी को स्कूल की शिक्षा भी दी थी। अब रोशनी 17 साल की हो गई थी और आज उसका 12वीं का परिणाम आने वाला था। रोशनी को थोड़ा डर लग रहा था, पर आंटी उसे दिलासा दे रही थी कि चिंता मत कर तू हमेशा की तरह अच्छे नंबरों से ही पास होगी। रोशनी पढ़ाई में काफी अच्छी थी और हर क्लास में बहुत ही अच्छे नंबरों से पास होती रही थी।

एक ओर जहां रोशनी काॅलेज जाकर आगे की पढ़ाई करने के सपने देख रही थी, वहीं आंटी ने चारू से रोशनी की नथ उतराई की रस्म को लेकर बात करना शुरू कर दी थी। आंटी का कहना था कि रिजल्ट आने के कुछ दिन बाद रोशनी की नथ उतराई की रस्म करना चाहती है। हालांकि चारू भी चाहती थी कि रोशनी को इस काम में ना उतारा जाए बल्कि उसे आगे पढ़ने दिया, जाए पर आंटी के सामने कोई बोल नहीं सकता था और आंटी ने जो कह दिया वो उसे कोठे के लिए पत्थर की लकीर हो जाता था। खैर रिजल्ट आया और रोशनी ने हमेशा की तरह बहुत अच्छे नंबरों से 12वीं पास कर ली थी। फिर एक दिन आंटी ने चारू और रोशनी दोनों को अपने पास बुलाया और उनसे रोशनी को लेकर बात की। 

आंटी- तो रोशनी अब तो तुने 12वीं भी पास कर ली थी। अब मुझे लगता है कि तुझे अब अपने काम में लग जाना चाहिए। तेरी उम्र भी हो गई हैै। 

रोशनी- आंटी मैं यह काम नहीं करना चाहती हूं, मैं आगे पढ़ना चाहती हूं। 

आंटी- रोशनी वैसे तो मैं अनपढ़ हूं, पर पढ़ाई कितनी जरूरी है यह भी समझती हूं। तू पढ़ने में भी अच्छी है, मुझे यह भी पता है। पर अपना काम भी तो है ना। अब तू इस काम को नहीं करेगी तो फिर कैसे चलेगा। 

रोशनी- आंटी मैं पढ़ लिखकर डाॅक्टर बनना चाहती हूं। 

आंटी- चल ठीक है मान लिया कि तू पढ़ना चाहती है, पर फिर ये ता कि हमारे काम का क्या होगा। ऐसे ही मेरी हर लड़की पढ़ने की जिद करेगी तो मुझे तो मेरा कोठा ही बंद करना पड़ जाएगा। आज तू पढ़ने को जिद करेगी, कल फिर कोई और, फिर कोई और। ऐसे में तो मेरा पूरा काम ही खराब हो जाएगा। 

रोशनी- पर आंटी...

आंटी- चारू अपनी लड़की को समझा। जितना पढ़ाना था, मैंने पढ़ा दिया अब मुझे मेरा काम भी देखना है। 

चारू- ठीक है आंटी मैं समझाती हूं। 

रोशनी- पर आंटी मैं यह काम नहीं करना चाहती।

आंटी- चाहती तो मैं भी नहीं थी रोशनी, पर मुझे यह काम करना पड़ा। तुने अभी दुनियां देखी नहीं है। तू जब तक यहां है आंटी के साए में हमेशा सुरक्षित रहेगी। बाहरी दुनियां में जानवरों की कमी नहीं है। यहां भी ना जाने कितने ही जानवर आते हैं, अपनी हवस की भूख मिटाने के लिए। पर मजाल है किसी की मेरी किसी बेटी को मेरी और उसकी इजाजत के बिना हाथ लगा दे। बाहरी की दुनियां में लोग तो गिद्ध की तरह नोचने के लिए बैठे हैं। फिर तू पढ़ लिख भी लेगी तो तुझसे शादी कौन करेगा। तू ठहरी एक वैश्या की बेटी, जिसका कोई हाथ नहीं थामता। दुनियां में लोगों के जितने उजले चेहरे हैं दिल उतने ही काले हैं। 

रोशनी- पर आंटी मैं पढ़ लूंगी तो मेरी जिंदगी बन सकती है, समाज में इज्जत के साथ रह सकती हूं। 

आंटी- बेटी तूझे एक कड़वी सच्चाई बता रही हूं। हम और तुम जाने अंजाने ही सही जिस दुनियां से जुड़ चुके हैं  उस दुनियां में औरतों की कोई इज्जत नहीं करता। ये एक ऐसा दाग है, जिसे ना तो किसी पानी से साफ किया जा सकता है और ना ही इसे कभी मिटाया जा सकता है। हमारी दुनियां में औरतों को सिर्फ एक जिस्म भर समझा जाता है। तू इस दुनियां से बाहर भी निकल गई तो भी इस दुनियां का साया तेरा पीछा नहीं छोड़ने वाला है और इस साये के कारण हर पल तुझे तेरे जिस्म पर भूखे भेड़ियों की नजरों का आभास होता रहेगा। तेरे नाम के साथ तेरे बाप का नाम नहीं है, पर तेरे नाम के साथ कोठा शब्द जुड़ा है और ये तुझे कभी भी चैन से जीने नहीं देगा। जब तक तेरे पास तेरा ये सुंदर शरीर है तब तक लोगों तेरे आगे पीछे घूमेंगे और जब इसकी सुंदरता चली जाएगी तो तुझे कोई देखने के लिए भी नहीं आएगा। 

रोशनी- पर आंटी...

आंटी- बेटी मैं तेरा बुरा नहीं चाहती हूं। पर तू चाहे या ना चाहे पर ये कोठा ही तेरी दुनियां है। हमारी किस्मत में बस यही लिखा है। उसके अलावा ना तू कुछ कर पाएगी ना ही मैं। इसलिए जिद छोड़ और अपने काम में मन लगाने की कोशिश कर। जा चारू रोशनी को ले जा और इसे समझा। 

इसके बाद रोशनी और चारू वहां से चली जाती है। इधर आंटी मन ही मन कहती है कि रोशनी मुझे माफ कर दे पर तेरा जितना ख्याल मैं इय कोठे पर रख सकती हूं उतना इस कोठे के बाहर की दुनियां में नहीं रख पाउंगी। तू भी मेरी बेटी है और कोई भी मां अपनी बेटी को भूखे भेड़ियों के सामने नोंचने के लिए नहीं फेंक सकती। यहां मैं ही उन भेड़ियों के दांतों को तोड़ने के लिए पर बाहर मैं नहीं आ सकती हूं।