Beauty of silence... in Hindi Spiritual Stories by Saroj Verma books and stories PDF | मौन का सौन्दर्य...

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मौन का सौन्दर्य...

महात्मा बुद्ध ने कहा है कि....
सभी समस्याओं का समाधान मौन होता है....

मौन में वह ताकत होती है जिसमें हमारी अंतर्शक्ति को जगाने का सामर्थ्य होता है, वास्तव में मौन साधना की अध्यात्म में बड़ी महत्वता बताई गई है, इसलिए जितना जरूरी है, उतना ही बोलो,शब्दों में बहुत ऊर्जा होती है उसे व्यर्थ नहीं गँवाना चाहिए...
कहा भी गया है कि- वाणी का वर्चस्व रजत है, किंतु मौन कंचन है.....
हम कितना ही अच्छा व श्रेष्ठ क्यों न बोल दें, वह केवल और केवल रजत की श्रेणी में आता है, परन्तु व्यक्ति का मौन स्वर्ण कहलाता है, कहते हैं कि महात्मा बुद्ध को जब बोद्ध प्राप्ति हुई, तो वें सात दिनों तक मौन ही रहे,उनका मौन समाप्त हुआ तो उनके शब्द थे.....
जो जानते हैं, वे मेरे कहे बिना भी जानते हैं और जो नहीं जानते, वे मेरे कहने पर भी नहीं जानेंगे, जिन्होंने जीवन का अमृत ही नहीं चखा उनसे बात करना व्यर्थ है, इसलिए मैंने मौन धारण किया था, जो आत्मीयव्यक्तिगत है, उसे कैसे व्यक्त किया जा सकता है?

कहा गया है ......
मौन सर्वार्थ साधनम् ....मतलब मौन रहने से सभी कार्य पूर्ण होते हैं, मौन ही जीवन का स्रोत है, मौन दैवीय अभिव्यक्ति है, जब लोग क्रोध के वशीभूत होते हैं तो पहले चिल्लाते हैं और फिर बाद में मौन हो जाना ही एकमात्र विकल्प बचता है उनके लिए, कोई जब दुखी होता है, तब मौन की शरण में जाता है,इसलिए कह सकते हैं कि मौन साधना जीवन को संचालित करने का मूल मंत्र है।
सांसारिक झंझटों से उपजती मानसिक अशांति हमारे जीवन के लिए बहुत घातक है इससे बचने के लिए मौन साधना ही अचूक उपाय है, जहां शोर उच्च रक्तचाप, सरदर्द और हृदयरोग इत्यादि देता है वहीं मौन इन सबके लिए औषधि का कार्य करता है, मौन के द्वारा ही चित्तवृत्ति को विचलित होने से बचा सकते हैं, आत्मिक दृष्टि से मौन महत्वपूर्ण साधना है,ये हमारे चित्त को एकाग्र रखती हैै, चुप रहने से वाणी के साथ व्यय होने वाली मानसिक शक्ति की भी बचत होती है, इस बचत को आत्मचिंतन में लगाकर सुखद अनुभूति प्राप्त होती है...

मौन का अर्थ सिर्फ चुपचाप रहना नहीं है, बल्कि मौन का अर्थ है मन का ना होना, शोरगुल, वाणी का प्रभाव या आवाज का बंद हो जाना मात्र मौन नहीं है, बल्कि मौन है अस्तित्व गत हो जाना, मौन अस्तित्व की भाषा है मौन अन्तर्मन का स्वरहीन संगीत है, जो मन के विसर्जन से ही उपलब्ध होता है,
मौन यानी मन का विसर्जन अर्थात् मन ही नहीं रहा, मिट गया, शून्यवत हो गया, भीतर तक का कोलाहल खत्म हो गया, फिर जो घटना घटती है, वह मौन की घटना है,यह घटना मनुष्य की आत्मा को परमात्मा से जोड़ देती है,जीवन को सम्पूर्णता प्रदान करती है, इस घटना के बाद मनुष्य वह नहीं रह जाता, उसके विचार, उसके चिन्तन में एक अलग तरह की चमक आ जाती है।
जब हम मौन होते हैं, तब हमारी वाणी तो मूक होती है, परन्तु हम शरीर से बोलने लगते है, लिखकर, इशारे तथा अन्य अनेक भाव-भंगिमाओं से बातचीत शुरू कर देते हैं,परन्तु यह मौन नहीं है, मौन का तात्पर्य है ,अपनी अन्तरात्मा शुद्ध करना,यानि कि हम अपने विचारों में पवित्रता का भाव ला सकें,
जब हम मौन धारण करते हैं, तो एक अपूर्व आनंद की प्राप्ति होती है, जिससे हमारे शरीर में एक ऊर्जा प्रसारित होती है, यह ऊर्जा हमें एक सकारात्मक शक्ति प्रदान करती है,इसलिये शास्त्रों में मौन को सर्व श्रेष्ठ माना है, क्योंकि मौन के माध्यम से हमें जो शक्ति प्राप्त होती है, वह अपने आप में ही अद्वितीय होती है,
जब आप मौन धारण करेगें,तो अनुभव करने लगेंगे कि सही अर्थों में आपके जीवन में कुछ परिवर्तन आने लगा है, अगर आप निरन्तर प्रयास करेंगे तो जरूर आपके जीवन में बदलाव होगा, मौन में बहुत शक्ति होती है आप चाहें कितना ही मंत्र जप, योग, हवन, आदि की क्रिया कर लें पर जब तक कुछ क्षण का मौन नहीं धारण करेंगे तब तक आपको कुछ अनुभव नहीं होगा,
मौन एक आंतरिक यात्रा है, इस यात्रा में कोई संगी-साथी, सम्बन्धी नहीं होता, अकेले ही यह लम्बी यात्रा तय करनी पड़ती है,मौन में शरीर तथा मन की वाणी खो जाती है, हम शून्य हो जाते हैं, नितांत स्वयं के साथ मन का भी विसर्जन हो जाता है, तभी ध्यान एवं समाधि के सुमन खिलते हैं, जिससे जीवन में प्रेम माधुर्य रस की प्राप्ति संभव हो पाती है,
मौन भाषा का सम्बन्ध हृदय अथवा आत्मा से है मौन का महत्व बहुत अधिक है, इसकी भाषा बहुत शक्तिशाली, अर्थयुक्त और प्रभावशाली होती है,इसके प्रभाव और बल के समक्ष कोई भी मातृभाषा, साहित्य की भाषा अथवा किसी भी देश की भाषा कमजोर ही सिद्ध होती है, संसार की प्रत्येक लौकिक भाषा की तुलना में मौन का अलौकिक स्थान है , इसका कारण यह है कि संसार की अन्य भाषाएँ तो मनुष्य द्वारा निर्मित हैं, जबकि मौन की भाषा प्राकृतिक है,इसलिए मौन अपने आप में ही सुन्दर है तो ये होता है मौन का सौन्दर्य जो हमारे जीवन को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है.......

समाप्त.....
सरोज वर्मा.....