Junoon Se Bhara Ishq - 36 in Hindi Love Stories by Payal books and stories PDF | Junoon Se Bhara Ishq - 36

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Junoon Se Bhara Ishq - 36

Ek Anokha Ehsaas

अभय के मुह से एक्जाइट लाइन सुन कर प्रिया चौंक गई।

प्रिया :- अ . . . . आ . . . . . . आपको कैसे पता ?

अभय :- पढी हुई है मै ने पहले। एक बार किसी भी बूक को पढ कर भूलता नही हू मै।

अब जाकर प्रिया को अभय की अजीब सी आवाज का मतलब समज आया था। जो उससे बूक का नाम लेते वक्त अभय से जवाब मे महसूस हुई थी।

मतलब अभय ने जान बुझ कर बूक के बारे मे उसे नही बताया।

अभय :- तो अब मुझे बेवकूफ बनाना बंद करो। ये बूक खुद तुमने चूस की है। तो अब तुम्हे इसे खत्म करना ही पडेगा। तो शुरु करो ता की मै सो पाऊ।

प्रिया का इस बूक को पढना बिल्कुल भी मन नही था। इसलिए उसने एक आखरी कोशिश की।

प्रिया :- क्या इसे चेन्ज नही कर सकती।

अभय :- नही ! तुमने खुद इस बूक को चुना है। अब उसे बिच मे खतम नही कर सकती। तुम्हे इसे तब तक पढना होगा जब तक मै सो न जाऊ। तो अब बहाने मारना बंद करो अब पढना शुरु करो और एक शब्द भी इधर से उधर हुआ तो याद रखना।

तुम्हे तुम्हारी पनिशमेन्ट वापस आकर दूंगा।

उसकी बात सुन कर प्रिया को उस पर बहुत गुस्सा आया। पर वो उसके अलावा और कर भी क्या सकते है। उसने ब्लैंकेट को कस कर अपनी मुठ्ठी मे पकड लिया।

जैसे वो ब्लैंकेट न होकर अभय का गला हो। ये आदमी सच मे एक नंबर का सनकी था। वरना आधी रात को ये सब कौन करवाता है। पर वो सिवाय मन मे गालिया देने के अलावा कर भी क्या सकती थी। कुछ भी हो अब उसे पढना ही होगा।

उसने एक लंबी सांस ली। और बूक पढना स्टाटॅ किया। आलाकी उसे पढने मे बेहद शमॅ आ रही थी। जब भी कोई इंटीमेन्ट सीन आता तो उसकी आवाज अपने आप ही कांपने लगी।

प्रिया शुरु से ही एक शमीॅ ली लडकी थी। इसलिए उसे ऐसी चीजे पढने मे शमॅ रही थी। पर जो भी था तो उसे पढना ही था। वो अगर एक शब्द भी गलत पढती तो अभय खुद उसे लाइन बाय लाइन बतायेगा।

इसलिए उसने इमानदारी से सारी लाइन पढी। पर वो इस बात से बिल्कुल अंजान थी की उसे मिलो दूर बेड पर लेटे अभय को उसकी आज कितनी सूकून पहुंचा रही थी।

प्रिया की आवाज बहुत सॉफ्ट और स्वीट थी जो अभय के कानो से सीधे रुह मे उतर रही थी। अभय को उसकी आवाज किसी रोशनी से कम नही लग रही थी।



जैसे छोटी सी रोशनी एक अंधेरे कमरे को रोशन कर देती है। ठीक वैसे ही अभय को उसकी आवाज खुश और रोशन कर रही थी। निंद तो जैसे अभय की आंखो मे थी ही नही।

पहले भले वो प्रिया के पास न होने की वजह से जाग रहा था। पर उसके जागने की वजह भी उसकी मुठ्ठी आवाज थी। अभय का दिल कर रहा था की वो अभी फ्लाइट लेकर प्रिया के पास चला जाये। और उसे कस कर गले लगा ले।





और कभी अपने से दूर न जाने दे। कुछ ही देर मे उसकी आवाज धीमी लगने लगी। वो कितनी देर से पढ रही थी। उसका अंदाजा उसे भी नही था। और यही वजह थी की निंद प्रिया से बदाॅश के बाहर हो गई। और वो धीरे धीरे सो गई।


प्रिया के सोने के बाद अभय के कानो मे उसकी लंबी लंबी सांसे की आवाज आने लगी। वो उसे उठाना चाहता था पर नजाने क्या सोच कर वो चुप चाप लेटी रहा। और फोन के रिसीवर को कान के पास रखे आंख बंद कर ली।




और उसकी सांसो को सुनते हुए उसे महसूस करने लगा। आज फिर एक रात उसने जागते हुए काट ली। पर बाकी रातो की तरह इस रात मे कुछ बदला था। और वो बदलाव और कोई नही बल्कि प्रिया थी।





पहले की हर एक रात वो परेशान और चिडचिडा हुआ सा लग रहा था। पर इस रात उसके दिल मे सूकून और एक अलग ही खुशी और एक बिल्कुल नया सा ठंडा अह्सास था जिसने उसे जागने पर मजबूर कर दिया था।




अगली सुबह प्रिया जल्दी ही उठ गई। क्योकी आज मंडे था तो उसे अब अपने ऑफिस जल्दी पहुंचना था। वो जल्दी से तैयार होकर नीचे आई। और शोफी और मैरी की मौजूद गई मे ब्रेकफास्ट किया। जैसा की अभय का ओडॅर था।



और फिर ड्राइवर के साथ ऑफिस के लिए निकल गई। कार मे बैठे प्रिया को बार बार ऊबासी आ रही थी। क्योकी कर रात वो अभय की वजह से वो अपनी नींद पूरी नही कर पाई थी। इसलिए वो थकान और आलस महसूस कर रही थी।

ऑफिस पहुंच वो तेजी से अपने केबिन की तरफ चली गई। और जैसे ही केबिन का दरवाजा खोलने को हुई की उसे निशा की आवाज आई। प्रिया ने पलटकर देखा तो सामने कुछ दूरी पर निशा और जय खडे थे।

उनको देख प्रिया को ललिता जी की बात याद आ गई।  और उसका दिल कड़वाहट से भर गया। पर उसने अपनी कड़वाहट को अपने चेहरे पर नही आने दिया। और हल्के से मुस्कुराई।



प्रिया :- दीदी ! हैल्लो, जय !

जय को प्रिया के मुरझाये चेहरे को देख अच्छा नही लगा।

जय :- हैल्लो !

निशा जल्दी से आगे आकर प्रिया के गले लग गई। उसकी आंखो मे प्रिया के लिए फिक्र थी।

निशा :- तु ठीक है ना पीयू ?

प्रिया :- हा, दीदी ! मै ठीक हू। आप लोग वापस आ गये।

निशा :- हा, पर ये क्या सुनने मे आया मुझे की तुमने घर छोड दिया। क्यो ? तुम्हे पता है मै कितनी परेशान हो गई थी।

हर वक्त बस तुम्हारी ही टेंशन थी मुझे। अगर तुम्हे अपने बॉयफ्रेंड के साथ ही रहना था तो आराम से भी बात कर सकती थी ना।

ये सब करने की क्या जरूरत थी। तुम्हे पता है की मॉम तुम्हारे जाने के बाद कितना टूट गई है।

जिस दिन तुमने घर छोडा उसी दिन से तुम्हे हररोज याद करके रोती रहती है। और तुमने क्या किया उसके साथ !

तुमने धक्का दिया, क्यू पीयू ?

प्रिया ने उसकी बात पर कुछ भी रियेक्ट नही किया। पर उसने घर छोडा कब था उसे तो निकाला गया था। अपनी ही मां के हाथो।

प्रिया :- दीदी ! वो . . . . .

पर फिर वो बोलते बोलते चुप हो गई। वो तो सोच भी नही सकती थी की ललिता जी निशा को ये कहानी सुना येगी। पर उन्होने निशा को ये सब कहा है तो शायद उसका सफाई देना बेमतलब होगा।

क्योकी अगर उसने कुछ भी कहा तो वो सब ललिता जी को जूठ साबित करेगा। और निशा उस पर विश्वास ना करे। इसलिए उसने चुप रहना ठीक समजा।

और सच तो ये था की वो खुद नही समझ पा रही थी की वो निशा को कैसे समझाऐगी। उसका तो कोई बॉयफ्रेंड था ही नही और ना ही उसने किसी के साथ रात बिताई थी।

बल्कि उसे तो एक पालतू जानवर की तरह अभय के पास रहना पड रहा था। एक अंतरंगी रिश्ते मे ना तो उसका कोई नाम था और ना कोई बजूद। इसलिए उसने अपने इमोशंस को छुपाने के लिए उसने सर को नीचे कर लिया।

उसकी हिम्मत नही थी की वो जय की तरफ भी देखे। नजाने ये सब सुन जय उसके बारे मे क्या सोच रहा होगा।

निशा :- अच्छा कोई बात नही, मै जानती हू की तुमने ये सब जान बुझ कर नही किया होगा। पर मै जब घर आई तो इन सबके बारे मे सुना तो परेशान हो गई थी तुम्हारे दिये।

पर अब तुम्हे देख मै भी खुश हू। दिल को राहत मिली। अब जाकर . . . . . .

अरे हा, मै तो यहा गुड न्यूज देने आई थी। और देखो ना क्या चीज लेकर बैठ गई हू।

हमारी शादी की डेट प्रीपोन हो गई है।

प्रिया :- प्रीपोन ! पर अचानक ?

निशा :- हा ! Actually,मै pregnant हू।

निशा की बात सुन प्रिया को जैसे लगा की उसने गलत सुन लिया हो।

निशा pregnant ! ! ! ! !

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