Kahani Pyar ki - 60 in Hindi Fiction Stories by Dr Mehta Mansi books and stories PDF | कहानी प्यार कि - 60

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कहानी प्यार कि - 60

थोड़ी देर में संजना को तैयार करके जुले पर बिठाया गया... और आगे की रस्म निभाई गई.. अनिरूद्ध हर वक्त संजू के पास ही रहता था ताकि वो उसका खयाल रख सके... अब तक फंक्शन में सब अच्छा ही हो रहा था...

किंजल और करन पास में ही कुर्सी पर बैठकर सब रस्में होती हुई देख रहे थे...
" किंजल तुमने आगे क्या सोचा है ? "
करन के इस प्रश्न से किंजल नासमझी के भाव से उसे देखने लगी...
" मेरा मतलब है तुम्हारी वो ऐप की लॉन्चिंग के बारे में..."

" हा सोचा तो है मैने ... हमारी टीम ने दो दिन बाद ऐप को लॉन्च करने का सोचा है..."

" बस दो दिन बाद ही ? तो सब तैयारिया कैसे होगी ? "

" वो सब हो गया है मैने सब पहले से ही सोच के रखा था और पार्टी के प्लेस से लेकर खाने के मेन्यू में क्या रखना है सब सेट है...."

" नाइस यार.. तुमने अकेले ही यह सब कर दिया ? "

" नही हमारी स्पॉन्सर कंपनी और हॉस्पिटल्स के मेंबर्स ने भी मेरी मदद की है आखिर वो सब भी इस पार्टी का हिस्सा बनने वाले है ..."

" किंजल तुम मुझसे भी तो कह सकती थी ना ? आखिर मेरी कंपनी भी तुम्हारी इस ऐप के साथ काम करने वाली है..."

" आई एम सोरी करन अब ऐसा नहीं करूंगी कभी .. अब तो तुम होना मेरे साथ फिर ? अब थोड़ा मुस्कुरा भी लो..."

किंजल की बात से करन के चहेरे पर भी मुस्कुराहट आ गई...

" में तो बहुत ही ज्यादा एक्साइटेड हु ... संजना , अनिरूद्ध , सौरभ सब के फेस देखने के लिए की वो ये न्यूज सुनकर क्या रिएक्ट करेंगे..." किंजल की आंखो में एक चमक सी थी ... उसकी होठों की मुस्कुराहट करन को आकर्षित कर रही थी....

किंजल बोलती ही जा रही थी और करन उसे बिना पलके जपकाए देख रहा था...
" करन करन.... तुम सुन भी रहे हो में क्या कह रहा हु..." अनिरूद्ध ने करन के चहेरे के सामने हाथ हिलाते हुए कहा..
तभी करन होश में आया...
" किंजल ? किंजल कहा गई ? " करन शॉक्ड होकर इधर उधर देखने लगा..

" वो अभी तो गई मेरे सामने... पर तेरा ध्यान कहा था ? " कुछ नही ..." करन का चहेरा ब्लश कर रहा था..

अनिरूद्ध उसे देखकर हसने लगा...
" पागल है तू पूरा ... अब चल खाना खाने हम सब तेरा वैट कर रहे है..."

" हा चल..." करन ने बोला और अपने माथे पर हाथ फेरते हुए चला गया...

सब ने साथ मिलकर लंच किया..
लंच के बाद किंजल खड़ी हुई और उसने बोलना शुरू किया...
" सुनो सुनो सुनो आप सब के लिए एक अनाउंसमेंट है..."

" अनाउंसमेंट पर किस चीज का...? " संजना ने हैरानी से पूछा..

" बताती हु संजू ... तो सुनिए आज से दो दिन बाद होटल सीटी पार्क में आप सब के लिए एक सरप्राइस पार्टी है और आप सब को ठीक पांच बचे वहा पहुंच जाना है... इन्विटेशन कार्ड आप सब के यहां पहुंच जाएगा... "
किंजल की बात सुनकर सब आपस में बाते करने लगे..
अनिरूद्ध और संजना भी एक दूसरे की और देखकर इशारे में ही एक दूसरे से पार्टी के बारे में सवाल पूछ रहे थे...

" एक मिनिट किंजल कही तुमने कोई लड़का पसंद तो नही कर लिया ? और उस दिन तुम दोनो कही सगाई तो नही करने वाले हो ना ? "

" नही सौरभ... और तुम प्लीज अपने मन से यह सब मत बनाओ ... सब को उलझन में डाल दोगे ... तुम बस चुप रहो और पार्टी में आ जाना सब समझ आ जायेगा..."
किंजल ने कहा और वो वहा से जाने लगी..

किंजल के पीछे करन भी खड़ा होकर जाने लगा..

" रुको करन " अनिरूद्ध और सौरभ ने करन के पास आकर कहा..

" हा बोलो.."

" हमे पता है की तू किंजल की इस सरप्राइज़ के बारे में जानता है तो प्लीज यार बता ना.." सौरभ ने करन का हाथ पकड़कर कहा..

" नही यार में भी इस बारे में कुछ नही जानता हु.."

" जूठ मत बोल... हम जानते है की किंजल तुजसे तो कुछ छिपा ही नहीं सकती.. "
अनिरूद्ध की बात सुनकर करन उसे घूरने लगा..

" ठीक कहा .. में जानता हु पर आई एम सोरी में तुम्हे नही बता सकता हु... सो तब तक के लिए बाय.. और मुझे अब पूछने के लिए कोल मत करना .. ठीक है ना सौरभ..." बोलकर करन भी चला गया..
अनिरूद्ध और सौरभ मुंह बिगाड़े उसे जाते देखते रहे...

कुछ देर बाद वैशाली भी सबसे छुपती हुई घर से बाहर निकल गई..उसकी गाड़ी जगदीशचंद्र और हरदेव जिस होटल में ठहरे थे वहा जाकर रुकी...

वैशाली ने रिसेप्शन पर जाकर जगदीशचंद्र का नाम दिया...
तभी वही पास से अनिरुद्ध का एक दोस्त विवान गुजर रहा था तो उसकी नजर वैशाली पर गई..
" ये तो अनिरुद्ध की चाची है ... पर ये यहां अकेली किस से मिलने आई है ? " वो सोच में पड़ गया...
वैशाली के जाते ही विवान तुरंत रिसेप्शन पर आया..
" एक्सक्यूज मि मेम क्या आप पता सकते है की अभी जो लेडी यहां आई थी वो किससे मिलने आई थी ? "

" सोरी सर पर हम ऐसे ही किसी की इन्फॉर्मेशन आप को नही दे सकते ये हमारे रूल्स के खिलाफ है..." उस लड़की ने कहने से मना कर दिया था..

" ठीक है " बोलकर विवान वहा से चला गया...

वैशाली और जगदीशचंद्र आमने सामने खड़े हुए थे...
" आप अनिरुद्ध की चाची होकर भी उससे इतनी ज्यादा नफरत करती होगी ऐसा हमने कभी सोचा नहीं था..." जगदीशचंद्र एक शैतानी मुस्कुराहट के साथ बोले...

" में उसकी कोई सगी चाची नही हु... और हा उससे नफरत करने के मेरे पास बहुत सारे रीजन है ..ये नफरत सालो पुरानी है और ये कभी भी मिटने नही वाली है "

" ओह अब समझ में आया.. बहुत सालो पहले जिसने हमे फोन करके अनिरुद्ध के प्लान के बारे में बताया था वो आप ही थी है ना ? "

" हा वो में ही थी... मैंने है तुम्हारे लोगो को घर में सब से बचकर एंट्री दिलाई थी ... ताकि वो लोग उस अनिरुद्ध का काम तमाम कर सके...पर अफसोस वो अब भी मेरी जिंदगी में शनि की तरह मंडरा रहा है..." वैशाली के चेहरे पर खीज थी...

" आप इस बार हमारा साथ दीजिए... हम साथ मिलकर उसी दिन की तरह उसे ख़त्म कर देंगे और इस बार हमेशा के लिए... "

" और फिर संजना मेरी होगी...." हरदेव ने जगदीशचंद्र की बात को बीच में काटते हुए कहा...

" पर में तुम लोगो का साथ क्यों दू? अगर पहले की तरह तुम दोनो पकड़े जाओगे तो साथ में में भी पकड़ी जाऊंगी में अब कोई रिस्क लेना नही चाहती... "

" इस बार ऐसा कुछ नही होगा.. हम अपनें प्लान की किसीको भनक भी नही लगने देंगे... और तुम सोच लो अगर हम कामियाब हो गए तो अनिरुद्ध की सारी प्रॉपर्टी तुम अपने नाम करवा सकती हो ..."

यह सुनते ही वैशाली सोच में पड़ गई...
" एक बार ये अनिरुद्ध और संजना मेरे रास्ते से हट जाए फिर मेरा काम आसान हो जायेगा... इससे पहले की अनिरुद्ध , सौरभ और करन तीनो की कंपनी एक हो जाए मुझे अनिरुद्ध के शेर अपने नाम करवाने होगे..." वैशाली मन ही मन सोच रही थी...

" बोलो तो क्या सोचा तुमने ? "

" ठीक है बोलो मुझे क्या करना है ? "

जगदीशचंद्र ने अपना प्लान वैशाली को समझाया...

" अब बस हमे यह प्लान कब एक्सीक्यूट करना है वो तय करना है..." हरदेव ने आगे कुछ सोचते हुए कहा..

" दो दिन बाद... होटल सीटी पार्क में एक बड़ी पार्टी है वो जगह सही रहेगी.. "

" पार्टी पर किसकी ? " जगदीशचंद्र हैरानी के साथ बोले...

" संजना की बहन किंजल ने कोई सरप्राइस पार्टी रखी है , और उस वक्त हम अपने प्लान पर काम कर सकते है..." मोनाली की बात सुनकर जगदीशचंद्र और हरदेव के चहेरे पर मुसकुराहट आ गई..

" और एक बात सुनो .. तुम ये पता लगाने की कोशिश करो की अनिरुद्ध और उसके दोस्त गवर्नमेंट के साथ कौन से प्रोजेक्ट पर काम करने वाले है ? "

" ठीक हैं पर आप इतनी टेंशन मत लीजिए.. क्योंकि पंद्रह अगस्त तक अनिरुद्ध बचेगा तो ये प्रोजेक्ट होगा ना ..! और अगर होगा तो वो प्रोजेक्ट में साइन करूंगी..." वैशाली पूरे कॉन्फिडेंस के साथ बोली..

" ये बहुत ज्यादा ओवरकॉन्फिडेंट हो रही है.. ऐसे में ये हमारा काम भी बिगाड़ सकती है .. इसे अपना पूरा प्लान बताना सही नही होगा.. मुझे प्लान में कुछ चेंजेज करने होंगे..." जगदीशचंद्र मन ही मन सोचने लगे

" ठीक है अब तुम जा सकती हो..."
जगदीशचंद्र के कहने के बाद वैशाली वहा से चली गई..


अनिरूद्ध अपने कमरे में कुछ देर के लिए आराम कर रहा था तभी उसके फोन पर इंस्पेक्टर रघुवीर का नाम फ्लैश होने लगा...

अनिरूद्ध की आंख फोन की रिंग की वजह से खुल गई...
उसने तुरंत फोन उठाया..

" सुनो अनिरुद्ध जगदीशचंद्र और हरदेव कल ही जेल से रिहा हो गए है ..."

" क्या ..? " अनिरुद्ध अपनी जगह से एकदम खड़ा हो गया ...

" कैसे ? वो इतनी जल्दी कैसे छुट सकते है..."

" जेल में उनके अच्छे बर्ताव से वो जल्दी छूट गए होंगे शायद "

" ठीक है थैंक यू.."
अनिरूद्ध ने फोन रख दिया.. उसके चहेरे पर टेंशन की लकीर खींच आई थी..

तभी अनिरुद्ध के फोन पर विवान का कोल आ रहा था...

" हा विवान बोलो..."

" अनिरूद्ध तुझे कुछ बताना था .."

" हा बोल ना.."

" वो तुम्हारी चाची है ना.. वैशाली चाची... "

" हा तो ? "

" वो अभी ब्लू प्लाजा होटल में आई थी..."

" क्या ? पर वो कुछ घंटे पहले तो यही थी हमारे साथ..."

" वो अभी डेढ़ घंटे पहले ही आई थी और अभी मैने उनको यहां से बाहर जाते हुए देखा है..."

" कोई था उनके साथ ? "

" नही और वो शाल ओढ़कर अपना चहेरा छिपा रही थी इसीलिए मुझे अजीब लगा और तुझे फोन कर दिया.."

" सही किया तूने.. थैंक्स यार ... "

" इट्स माय प्लेजर... "

अनिरूद्ध की परेशानी वैशाली ने और बढ़ा दी थी..

" अब चाची आपने कोई भी साजिश रची तो मुझे भोलेनाथ की कसम में आपको पुलिस के हवाले करने में जरा सी भी देर नहीं करूंगा.." अनिरूद्ध गुस्से से बोला और बाहर चला गया...

अनिरूद्ध ने अपने एक दोस्त जय को फोन किया जो एक पुलिस ऑफिसर था..
" जय मेरी बात सुनो.. जगदीशचंद्र और हरदेव कहा है ये पता लगाओ... और पता लगते ही मुझे फोन करना..."

" ठीक है अनिरुद्ध में अभी पता लगाता हु..."
जय ने फोन काटा और अपने काम में लग गया...

अनिरूद्ध ने तुरंत करन , सौरभ , किंजल और मोहित को कॉन्फ्रेंस कोल किया..

" आप सब लोग इसी वक्त मेरी ऑफिस आ जाइए.. में भी वही पहुंच रहा हु..."

" पर अनिरुद्ध हम घर पे ही आ जाते है ना.. संजना को वहा तक आना नही.." किंजल ने कहा..

" नही किंजल ये बात हम घर पर नहीं कर सकते और संजू नही आ रही है.. हम उसे इन सब से दूर रखे यही बहेतर होगा... "

" पर बात क्या है ? " करन ने चिंतित स्वर में पूछा..

" करन में वहा आकर सब बताता हु... "
बोलकर अनिरुद्ध ने फोन काटा और गाड़ी लेकर चला गया...

इन सब से अनजान संजना आराम से सो रही थी.. उसे आने वाले इस खतरे का जरा सा भी अंदाजा नही था..

अनिरूद्ध की ऑफिस में इस वक्त माहोल बहुत गंभीर था...
अनिरूद्ध की बात से सब टेंशन में आ चुके थे..
" तो अब हमे क्या करना है ? " मोहित ने गंभीरता से कहा...

" मोहित एक बार हमे पता चल जाए की जगदीशचंद्र और हरदेव कहा है फिर हम आगे क्या करना है ये सोचते है...पर हमे अभी से वैशाली चाची पर नजर रखनी होगी.."

" ठीक है अनिरुद्ध तो में वहा आ जाती हु " किंजल ने तुरंत कहा..

" नही किंजल... तुम्हे और भी काम होंगे... और पार्टी की तैयारिया.. इन सब में तुम नजर नहीं रख पाओगी.." करन ने किंजल को टोकते हुए कहा...

" आप सब कहो तो में ये काम कर सकती हु..." इस आवाज से सब का ध्यान दरवाजे की और गया...

" मीरा? " सौरभ हैरानी के साथ बोला..

" हा वो मैं तुमसे मिलने आई थी और यहां आकर मैने आपकी सब बाते सुनी... "

" मीरा क्या सच में तुम कर पाओगी ? " अनिरूद्ध ने मीरा के पास आते हुए कहा..

" हा अनिरुद्ध... में संजू का खयाल रखने के बहाने वहा आऊंगी.. और सिर्फ कुछ ही दिन की तो बात है.. "

" ठीक है सौरभ तो तुम घर में सब को बता देना की मीरा संजू का खयाल रखने कुछ दिन हमारे घर पर आने वाली है..."

" हा में बोल दूंगा..."

" और हम सब कोई भी बात संजू के सामने नही करेंगे.. अगर उसे पता चला तो वो परेशान हो जायेगी.. में उसकी हेल्थ के साथ कोई समझौता करना नही चाहता हु.."

" हम ध्यान रखेंगे.." सब ने कहा और फिर अपने अपने काम में लग गए...

क्रमश: