Mahila Purusho me takraav kyo ? - 57 in Hindi Human Science by Captain Dharnidhar books and stories PDF | महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 57 - केतकी का केस बद्री काका ने किया

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महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 57 - केतकी का केस बद्री काका ने किया

केतकी की जुड़वा बहिन के घर जाने के लिए केतकी के पापा ने शाम का समय तय किया । बद्री काका ने अपनी पत्नी को फोन करके अपने पास बुला लिया था । बद्री काका की पत्नी लक्ष्मी संतोष के साथ बैठे बैठे बाते कर रही थी और उसके काम मे हाथ भी बटा रही थी ।
शाम का समय बद्री काका और केतकी का पापा विजय दोनो डाक्टर साहब के घर पहुंच गये थे । डाक्टर साहब घर पर ही मिल गये थे । चाय पी लेने तक आपस मे एक दूसरे का हालचाल ही पूछते रहे । फिर बद्री काका ने ही पूछा ...डाक्टर साहब आप अकेले ही रह रहे है आपकी श्रीमती जी नही दिखाई दी । कही बाहर गयी है क्या ? हां हां वह बेटी के साथ दिल्ली अपने भतीजे की सगाई करवाने गयी है । दिल्ली के पास ही कोई छोटा गांव है वहां लड़की वालो के घरबार देखने गयी है । दो दिन पहले फोन पर बात हुई थी । बद्री काका बोला बेटी का नाम वेदिका है क्या ? डाक्टर साहब ने कहा हां वेदिका ही है । आप कैसे जानते है मेरी बेटी को ? बद्री काका ने कहा मै ट्रेन मे मिल चुका हूँ । मेरा बेटा हमारा विडियो बना रहा था तब वे हमारी सामने की सीट पर ही थे । अब डाक्टर साहब चेयर से आगे की तरफ होकर ओह अब समझ मे आगया ..वह फोन पर आपकी ही बात कर रही थी .. हमारी बेटी की हमशक्ल फोटो दिखाने वाले आप ही है ..। जरा मुझे भी दिखाओ वे फोटो ...बद्री काका ने अपने मोबाईल से फोटो दिखाये ...डाक्टर साहब फोटो देखकर बोला हां हां ये फोटो तो मेरी बेटी के है , हमशक्ल के फोटो दिखाओ ..बद्री काका ने केतकी के पापा की ओर इशारा किया और बोला वह इनकी बेटी केतकी है । बुरा मत मानना डाक्टर साहब विजय जी ने मुझे सब बता दिया है । डाक्टर साहब ने विजय को ताड़कर देखा ... तो आपने पूरा भेद खोल ही दिया ... खैर मै तो इसे पहले भी नही छिपाना चाहता था । मेरी बेटी जानती है कि वह गोद ली हुई बच्ची है । पर उसे यह पता नही है उसके असली मा बाप कौन हैं ? वह शायद अनाथालय से लायी हुई समझती हो । मेरी पत्नी उसे ऐसी बात करने से रोक देती है । विजय क्या तुम्हारी लड़की भी ऐसी ही है । विजय ने कहा डाक्टर साहब है नही थी । क्या हो गया था ...विजय ने कहा डाक्टर साहब हमने तो उसकी शादी भी कर दी थी ..शादी के दो महिने बाद ही सर्प दंश से उसकी मौत हो गयी ...डाक्टर साहब ने कहा ओह ये तो बहुत बुरा हुआ ...? विजय संयोग देखिए दो साल पहले ही मेरी बेटी भी फूडपोइजन से मरते मरते बची थी । बद्री काका ने कहा एक बच गयी एक चली गयी ।
बद्री काका ने कहा मेरी वजह से ही यह बात सामने आई .. इनकी पत्नी जान गयी ..रोने लगी मुझे मेरी बेटी से मिलाओ ..
डाक्टर साहब बड़े सुलझे हुए थे उन्होने कहा ..अरे विजय इसके लिए इतनी भूमिका बनाने की क्या जरूरत थी आप सीधे ही कह देते । कोई बात नही .. आप हंसी खुशी से घर जाइए और अपनी पत्नी से कहना कि वेदिका की दो दो मम्मी हैं । वह एक दो रोज मे आजाएगी उसे मै खुद लेकर आजाऊंगा ।
अब विजय और बद्री काका दोनो के चेहरे पर मुस्कान आ गयी थी ।