Mahila Purusho me takraav kyo ? - 56 in Hindi Human Science by Captain Dharnidhar books and stories PDF | महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 56 - बद्री काका पहुंचा डाक्टर के घर

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महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 56 - बद्री काका पहुंचा डाक्टर के घर

केतकी का पापा अपनी पत्नी संतोष को जुड़वा संतान होने की जानकारी दे रहा है । पत्नी संतोष अवाक् होकर सब सुन रही है । बद्री काका सारी कहानी भी सुन रहा है और दोनों के हावभावों का भी अध्ययन कर रहा है । क्योंकि दामिनी ने पहले ही कह दिया था कि केतकी नौटंकीबाज है वह कुछ भी नाटक कर सकती है । आपको यह भी पता लगाना है कि नाटक में घर वालों का कितना हाथ है ?
सारी कहानी सुन केतकी की मा संतोष अपने चेहरे को दोनों हाथों से ढककर रोने लगी ... अपने पति विजय को कहने लगी ..तुमने मुझे धोखे मे रखा , तुम धोखेबाज हो ..मै तुम्हे अपना सबकुछ समझती रही , तुम पर विश्वास किया , जो तुमने कहा वह मैने मान लिया । तुम मेरी कोंख के हत्यारे हो । तुम समझते हो कि, मै कहा जाऊंगी तुम्हे छोड़कर..अब बुढापा काटना अकेले । हे राम यह जमीन जायदाद मेरी कोंख की कीमत मे मिली है ..
केतकी का पापा बोला ..अरे संतोष तू धीरज रख ..तेरी तबियत खराब हो जायेगी ।
संतोष बोली मुझे कुछ नही होगा ...ओर होगा तो हो ..अरे हरजाई तुम्हे शरम भी नही आई ..तू अपनी दूध पीती बच्ची का सौदा कर आया ..केतकी का पापा बोला ..ये बद्री जी क्या समझेंगे ? इनके सामने तो ऐसा मत बोल ...बद्री काका बोला ..यह सब मेरा ही किया कराया है ...मुझे यह बात ही नही करनी थी ..संतोष बोली ..ना ना आप अपने आपको क्यो दोष देते हो ? भला हो आपका जो आप आये तो यह भेद खुला ...मै पढी लिखी नही पर भला बुरा समझती हूँ । केतकी के पापा ! आज आपने मुझे जीते जी ही मार दिया ..केतकी का पापा हाथ जोड़कर बड़ा गंभीर होकर बोला ...अब तू यह बता कि मैं ऐसा क्या करूं जो तेरा गुस्सा शांत हो जाये ।
संतोष रोते रोते बोली मै कुछ नही जानती , जो भी मेरी बेटी की एवज मे लिया है वह सब वापस कर दो और मेरी बेटी को वापस ले आवो । केतकी का पापा बोला ..संतोष यह कैसे हो सकता है , अब तो वह बेटी बड़ी हो गयी है ..पहली बात तो वह खुद ही नही आयेगी ..हमे कहा मम्मी पापा मानेगी ...उसकी तो शादी भी हो गयी है ... संतोष बोली ..तब तो उसके दो पीहर हो जायेंगे ...आप तो ढूंढो उसे । केतकी का पापा बोला ..इसमे हमारी और उसकी दोनो की बदनामी होगी ।
अब बद्री काका बोला आप इस तरह से न करके ..उसे हमशक्ल बताकर बेटी बना सकते हो ..दोनो तरफ कोई झमेला नही होगा ।
केतकी का पापा ..थोड़ा रूक कर हां आप ठीक कह रहे हो ... अभी दोपहर हो आई ..शाम को जाता हूँ डाक्टर साहब के बंगले पर ... बद्री काका बोला ..भाई जी आप कहो तो मै भी चलूं आपके साथ ...केतकी के पापा को भी अच्छा लगा कि एक से भले दो ही ठीक रहेंगे ...ठीक बद्री जी हम शाम को चल रहे है ..पर आपकी श्रीमती जी ... संतोष बोली आप उनको भी यहा ही बुला लीजिए। फिर एक साथ यहां से चले जाना होटल ।