some expressions like this in Hindi Poems by Chitrvanshi books and stories PDF | कुछ भाव ऐसे भी

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कुछ भाव ऐसे भी

तुमसे बेहतर कोई नहीं सकल जीवन संसार में

तुमसे बेहतर कोई नहीं सकल जीवन संसार में

जब बनाया होगा तुमको उस परवरदीगार ने,
फुरसत से सजाया होगा तुमको बैठकर विस्तार में,
क्या खूब बनाया है तुमको इस विस्तृत आकार में,
तुमसे बेहतर कोई नहीं सकल जीवन संसार में ।
....

जब तुमको देखा था मैंने पहली रोज बाहर से,
घर के अंदर देख रहा था बालों को तुम्हे संवारते,
दिल आ गया देख कर तुमको इस अंदाज में,
तुमसे बेहतर कोई नहीं सकल जीवन संसार में ।
....

मां ने तो पूछा होगा क्यूं इतनी गुमसुम रहती हो,
रोती हो छुप छुप कर पर हमसे क्यों कुछ न कहती हो,
मेरे लिए रोना तुम्हारा उचित नहीं है प्यार में,
तुमसे बेहतर कोई नहीं सकल जीवन संसार मे ।
....

मेरे दिए उस झुमके को तुमने पहनकर खनकाया था,
माथे पर जो बिंदी तुमने छोटा सा ही लगाया था,
खूबसूरती और कही नही जो तुम्हारे चेहरे के उस निखार में,
तुमसे बेहतर कोई नहीं सकल जीवन संसार में ।
....

चेहरे की वो लाली जिसपर मन हमारा मोह गया,
आंखो का वो काजल जिसपर जग को हमने छोड़ दिया ,
दिल को हमारे सुकून दिया पायल की तुम्हारी झनकार ने,
तुमसे बेहतर कोई नहीं सकल जीवन संसार में ।
.....

फुरसत से बनाया है तुमको दिया वृहद आकर है,
क्या इन बाजारू संसाधन से चेहरे की ये चमकार है,
अरे सुंदरता की मूरत तुम दिल में तुम्हारे प्यार है,
फिर क्यों दर्द छलकता इन नयनों से क्या कमी हमारे प्यार में,
जब तुमसे बेहतर कोई नहीं सकल जीवन संसार में ।

भाषाएं गुम हो जाती हैं
जब मां से मिलना होता है
आंखे मेरी भर आती हैं
जब मां से मिलना होता है

लम्हा वही थम जाता हैं
जब मां से मिलना होता है
मन भी चुप हो जाता है
जब मां से मिलना होता है

मेरी दोस्त भोली भाली है

एक लड़की कितनी प्यारी है ,
अपने मां बाप की दुलारी है ,
उसकी तारीफ में क्या कहूं यार,
वो मेरी दोस्त भोली भाली है ।

थोड़ी सी दबंग है और थोड़ी बवाली है ,
जैसी भी है मेरी वो हर खुशियों की चाभी है ,
जिसका हर अदा है औरों से अलग ,
ऐसी, वो मेरी दोस्त भोली भाली है ।

किसी से डरती नहीं कभी , हर बात मनवाना जानती है ,
एक मैं ही हूं दोस्त उसका इसलिए शायद दोस्ती भी निभाना जानती है,
जिसकी एक मुस्कान पर मैं सब कुछ लुटा दूं,
ऐसी, वो मेरी दोस्त भोली भाली है ।

बहुत कुछ है लिखने को उसकी तारीफ करने को,
लेकिन ज्यादा नहीं कहूंगा शायद उसे नजर लग जाए ,
किसी और की अब क्या जरूरत जब ,
दोस्त ही इतना प्यार करने वाली है ।

नारी

आज जब स्त्रियों को माता माना जाता है ,
किंतु फिर भी क्यों उन्ही को माल पुकारा जाता है ,
ऐसे समाज में हम जीते है ,
जहां नारी का सम्मान गिराया जाता है ।

क्या मिलता है ये कर के तुमको ,
क्यों नारी को प्रताड़ित करते हो ,
नव रात्रि पूजन करके ,
क्यों ढोंग दिखावा करते हो ,

वो परमेश्वर की अनूठी रचना है ,
प्रेम हेतु है प्रेम की मूरत,
दुष्टों के लिए जगदम्बा है ।
इतनी प्यारी अनमोल है वो , उस नारी का तुम सम्मान करो,
थोड़ा तो डरो उस जगदम्बा से उस नारी से तुम प्यार करो।