विश्वास (भाग-19)
टीना मैसेज पढ़ कर उदास हो गयी। जब से भुवन से दोस्ती हुई थी तब से उसकी सोच पॉजीटिव हो रही थी। अब वो भी जल्द से जल्द ठीक होने के लिए अपना ध्यान रखने लगी। भुवन को मिस कर रही थी, पर उसका तो फोन ही बंद था। अब उसको भुवन की तरफ से ही इंतजार था।
जब हमें किसी का इंतजार होता है तो अपनी रफ्तार से चलता वक्त भी रुका हुआ लगता है। ऐसा ही टीना के साथ हो रहा था। वो भुवन से अपनी बातें शेयर करना चाह रही थी। 2 हफ्ते फिर दो महीने बीत गए।
टीना को उदासी एक बार फिर से घेरने को तैयार थी। उसको चिंता भुवन की तबियत की भी हो रही थी, फिर सोचती कि अपने परिवार के साथ है। इन सब बातों में अच्छी बात ये थी कि पहले जैसे दोस्त न होने की वजह से दुखी होने की वजह से जो उदासी उसको घेरने को तैयार खडी थी, उसको उसने खुद को बिजी करके झटक दिया था।
रोज के सब काम खत्म करके वो अपना टाइम मेडिटेशन और शाम को घर के सब बच्चों को पढा़ने और उनके साथ खेल कर बिताने लगी। सबका साथ और टीना की पुरजोर कोशिश रंग ला रही थी। छड़ी का सहारा ले कर कुछ कदम से चलना शुरु कर अपनी रफ्तार बड़ा रही थी। इतना ही नही अटकते हुए कुछ शब्द भी बोलने लगी।
भुवन से बात हुए तीन महीने होने वाले थे। टीना ने एक बार फिर नं मिलाया तो इस बार फोन की बेल बजी तो खुश हो गयी। दूसरी तरफ से फोन से हैलो की आवाज सुन एक पल को वो भूल ही गयी की वो बोल सकती है। फोन भुवन ने ही उठाया था तो उसने मेरा नं क्यो नही पहचाना दिमाग में आया।
दूसरी तरफ से फिर हैलो कौन सुन वो अपने सवालो को झटक धीरे से बोली "पहचाना"!! भुवन ने उसकी कभी आवाज नही सुनी थी तो दूसरी तरफ से आवाज आयी , सॉरी मैंने नहीं पहचाना, मेरा फोन खो गया था कुछ टाइम पहले तो मेरे पास
कॉटेक्टस सेव नहीं हैं, जैसे जैसे लोग कॉल कर रहे हैं मैं सेव कर रहा हूँ"।
"अच्छा तभी शेरनी को फोन नहीं किया"। टीना ने कहा, "मैं बोल सकती हूँ अभी थोड़ा रूक जाती हूँ पर जल्दी ही स्पीड से बोलूँगी"। टीना की आवाज सुन कर भुवन बहुत खुश हुआ। "वाह शेरनी !! कमाल कर दिया, मुझे तो पता ही था कि बिल्कुल ठीक हो जाओगी, मैं बहुत खुश हूँ तुम अपनी कमजोरी से जीत गयी, तुमने ठीक हो कर मेरे विश्वास को भी जीता दिया"।
"बस बाकी तारीफ आप मेरे सामने करना, आप बताओ आप कैसे हो? मैंने अपना वादा पूरा किया अब दादी से किया अपना वादा पूरा करने के लिए संडे को घर आ कर। साथ लंच करते हैं और बातें भी"। "मैं बिल्कुल ठीक हूँ टीना, मैं अपना प्रॉमिस पूरा करने संडे को जरूर आँऊगा , मेरी तरफ से दादी को नमस्ते कहना"।
टीना भुवन से बात करके खुश हो गयी। उसने दादी और मम्मी को भुवन के आने का बताया तो वो लोग भी खुश हो गए। भुवन से बातें करते हुए वो काफी कुछ सीख रही थी।भुवन की भगवान में गहरी आस्था है तो वो टीना को हमेशा खुश और हर कंडीशन में खुश रहने को समझाता।
संडे को भुवन ठीक टाइम पर आ गया। टीना के पापा तो काम के सिलसिले में देश से बाहर थे, पर दोनो चाचा भी बहुत प्यार से मिले। बच्चों और बड़ो दोनो के साथ वो बहुत जल्दी घुलमिल गया। शाम 6 बजे वो टीना के घर से बहुत सारा प्यार और सम्मान ले कर निकला।
कहाँ तो भुवन झिझक रहा था टीना के घर जाने से, उसे लग रहा था कि कॉलेज पढाने जाता है तो बस पढा कर आ जाता है। टीना का परिवार काफी अमीर है, उनका रहन सहन सब अलग होगा। गाँव में अमीर दरीब के रहने में ज्यादा अंतर नही। फिर सोचा अब वादा किया है तो थोड़ी देर बैठ कर वापिस आ जाएगा। पर उसका अनुमान कितना गलत था। जितना बड़ा घर था उससे बड़ा दिल है। जमीन से जुड़े हुए लोग भी बसते हैं अभी भी शहर में,आज देख आया।