Vishwash - 15 in Hindi Human Science by सीमा बी. books and stories PDF | विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 15

Featured Books
Categories
Share

विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 15

विश्वास (भाग --15)

भुवन ने नं सेव करके उसे फोन दिखाया, टीना ने देखी उसका नं भुवन ने शेरनी(tigeress) के नाम से सेव किया था। उसने इशारे से इसका कारण पूछा तो बिना जवाब दिए मुस्करा कर चला गया। एक मिनट बाद दुबारा आकर उमा जी को बोल कर गया," दादी जिस दिन आपकी ये पोती मुझे फोन करके बुलाएगी उस दिन मैं आऊँगा, अब ये इस पर है कि कितने दिन लगाती है बोलने में, पर मुझे पता है बोलेगी तो जरूर"। भुवन की बात सुन कर टीना को हाँ में सिर हिलाते देख उमा जी बहुत खुश हुई।

मन ही मन उमा जी ने हजारों आशीर्वाद दिए और टीना के ठीक होने की कामना भी की। टीना भी खुश थी कि कल इतने दिनों बाद घर जाएगी। उसके कॉलेज के दोस्त जो करीब थे वो भी उससे मिलने यहाँ एक ही बार आए थे। उसको याद है कि एक दिन उसने अपने दोस्तों से मैसेज से बात करने की कोशिश की तो सब ने बस हालचाल पूछ कर "अभी बिजी हैं, थोडी देर बाद बात करते हैं", कहा तो उसको बहुत बुरा लगा था। वो तो हमेशा सबके काम आती थी।

अदिति जो उसकी सबसे अच्छी सहेली है। उसका इग्नोर करना कितना दुखी कर गया था। किसी ने भी दुबारा मैसेज या कॉल नही किया था जो उसको शारीरिक तकलीफ के साथ मानसिक तकलीफ भी दे गया। धीरे धीरे उसने अपने आप को समेट ही तो लिया था। भुवन ने दोस्ती का हाथ बड़ा कर मानो उसको अँधेरों से बाहर निकाल दिया।
कुछ ही दिनों की दोस्ती उसमें एक पॉजीटिव एनर्जी ले आयी है। यही सब सोचते सोचते कब उसकी आँख लग गयी उसको पता ही नही चला।

उमा जी को भी खुशी थी कि जो काम डॉं और हम सब मिल कर नहीं कर पाए वो भुवन ने कुछ दिनों में कर दिया। आगे सब भी अच्छा होगा के विश्वास से उनको भी चिंता मुक्त नींद ने अपनी आगोश में ले लिया।

अगली सुबह दादी- पोती दोनों को सुहानी सी लग रही थी। डॉ ने रात को ही स्टॉफ को डिस्चार्ज पेपर वर्क करने को कह दिया था ते बहुत ज्यादा टाइम नहीं लगना था। सरला जी चाय नाश्ता देने और उनसे मिलने आयीं तो उमा जी ने उमेश का परिचय करवाया। उमेश ने उनके चरण स्पर्श कर नमस्ते की। "माँ आप लोग ब्रेकफास्ट करो मैं बिल क्लियर कर आता हूँ"।

"ठीक है बेटा तुम हो कर आओ तब तक मैं भी सामान पैक कर लेती हूँ"। "दीदी आपने बहुत अच्छे संस्कार दिए हैं बच्चों को। आप सब से मिल कर बहुत अच्छा लगा"। सरला की बातें सुन कर उमा जी मुस्करा दी। "सरला कोशिश तो यही थी कि बच्चे हमेशा अपनी जड़ों से जुडे रहें, जब कोई बच्चों की तारीफ करता है तो लगता है हमारी कोशिश रंग लायी है, अब देखो हमारी ये पीढी़ कितना समझती है"।

"दीदी आप की यह पीढी भी समझदार है आप चिंता मत करो"। "अच्छा काफी हो गई तारीफ , भाई साहब की छुट्टी कब होगी"? उमा जी ने विषय बदला । "परसों होगी, फिर 1 महीने बाद आना है", सरला ने बताया। बातों के साथ साथ उमा जी ने सामान समेटना शुरू किया। सरला ने मदद करना चाहा तो उमा जी ने भाई साहब अकेले हैं, तुम जाओ , मैं कर लूँगी। डॉ के आने का भी टाइम था, सो वो चली गयी।

उमेश बिल पे करके डॉ. से मिल कर आगे के ट्रीटमेंट और दवाइयों की बात कर कमरे में आए तो सब तैयारी हो गयी थी। टीना को व्हील चेयर पर बिठा उमेश जी लिफ्ट की ओर जाने लगे तो टीना ने इशारे से सरला जी को मिल कर चलते हैं का इशारा किया।

"अच्छा भाई साहब हम जा रहे हैं , आप अपना ध्यान रखिए और आप जल्दी से अच्छे हो जाएँ"। उमा जी ने कहते हुए हाथ जोड़ दिए तो मास्टर जी ने भी हाथ जोड़ कर उनकी हेल्प के लिए धन्यवाद कहा। "सरला अगली बार जब चेकअप के लिए आना तो घर जरूर आना। फोन नं और एड्रेस तुम्हारे पास है, और वहाँ जा कर भी अपनी दीदी को भूल मत जाना, फोन करती रहना"।

"दीदी आप लोगों को हम कभी नहीं भूल सकते, हम जरूर आएँगे, टीना बेटा तुम अब जल्दी से अच्छी हो जाओ, फिर सबके साथ हमारे गाँव घूमने आना"। कह सरला जी ने टीना के सिर पर हाथ फेरा और उमा जी से गले मिली। उमेश और टीना मुस्करा दिए। कमरे से बाहर तक सरला जी छोड़ने आयीं। नर्स डॉली और सबको दादी पोती ने थैंक्यू कहा। उमेश स्टॉफ के लिए मिठाई लाया था, उसने अपनी माँ के हाथ में दिया। उमा जी ने मिठाई और कुछ रूपये अपने पर्स से निकाल कर डॉली को सबमें बाँटने के लिए दे दिए।

उमा जी खुश थी क्योंकि वो फोन पर मिठाई लाने के लिए बोलना भूल गई थी।फिर भी उमेश ले आया। उमेश सोच रहा था कि माँ जहाँ जाती हैं, वहाँ सबको प्यार से अपना बना लेती हैं। उसको पता था माँ अभी भूल गयी है, पर बिना स्टॉफ का मुँह मीठा कराए वो आएँगी नही, वहाँ जा कर लेने से बेहतर पहले ले जाने में समझदारी है। टीना ये सब देख कर खुश है और सोच रही है कि मैं भी दादी और पापा जैसी बनूँगी।
क्रमश: