new year new hope in Hindi Poems by Komal Dhamija books and stories PDF | नया साल नई उम्मीद

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नया साल नई उम्मीद

क्या लिखूं मैं इस के बारे में जो जिंदगी का हिस्सा बन चुका हैं सोचती हूं हर साल के खत्म होने पर कि ना सोचू इसके बारे में पर नए साल का सुनते ही फिर वह याद आने लगता है  जाते-जाते कुछ लोगों की असलियत दिखा देता है और कुछ लोगों को हमारी नजरों में अच्छा बना जाता है समझने की जरूरत है उन लोगों को जो कहीं ना कहीं हमें गलत समझते हैं इसको कुछ इस तरह से लिख सकते हैं :

चाहूं मैं भूलना तुझे पर भूल नहीं पाती हूं।

ठीक वैसे ही शायद मैं बोलना भी नहीं चाहती हूं,

हर साल नया नई उम्मीद लेकर आता है

न जाने क्यों जाते जाते यह सब ले जाता है

कई बार सोच चुकी हूं इसके बारे में 

कि अगले साल नहीं सोचूंगी ऐसा

पर क्या करें यह नया साल उम्मीदें ले आता है

अब इस दौर में क्या सोचूं अगले के बारे में

यह खुद ही आशाएं बढ़ाता है ओर जाते जाते खुद ही समझाता है 

कुछ लोग जिंदगी में आते हैं और फिर समझा कर चले जाते हैं जैसे साल खत्म होता है वैसे लोग भी तुम्हारी जिंदगी से एक पल के लिए चले जाते हैं बहुत कम लोग होते हैं जो हमारे साथ रहते हैं क्या कहूं इस नए साल के बारे में यह जितना देता है उतना लेता भी है कई बार सोच में डाल देता है नए लोगों को जिंदगी में ले आता है फिर जाते-जाते उनके बारे में बहुत कुछ बोल भी जाता है जो आज अच्छा लगता है इस साल के ढलते ढलते वही बुरा भी लगने लग जाता है ना जाने यह सिलसिला कब तक ऐसे ही चलता रहता है बुरे वक्त मे जो साथ होता है वह साथ रहना छोड़ देता है बस अब क्या कहूं इस ढलते हुए नए साल के बारे में बस एक नया चैप्टर है जिंदगी का ।

पर अब ना मुझे यह कहना है

हर साल की तरह मुझे ऐसे नहीं गवाना है

कुछ नया करके दिखाना है

कब तक सोचूं यह ढल रहा है अब तो इसको जी के दिखाना है

जिंदगी तब तक आसान करनी है जब तक वह खुद ना कह दे बस तेरे साथ हूं मैं

कब तक इन लोगों से उम्मीद लगाए रखेंगे

खुद उठकर नाम कमाना पड़ता है

यह तो वही चार लोग हैं

जो कभी सलाह देते हैं और कभी मारने की बात करते हैं

ना डर तू इस उम्मीद से 

ना बैठ असहाय बनकर

इस साल को इतना अच्छा कर ले

जो देखे वह भी कह दे

तू यह कैसे कर लेती है

न उम्मीद थी तुझसे ना साहस था तुझमें

अब जिंदगी की दौड़ को बनाना है

क्या करें साल को बताना नहीं जीना है

जब यह सोच हम रख लेंगे

ना डर होगा, ना होगा कुछ और

होगा तो मन में विश्वास

और होगी भगवान पर आस।।

इसमें बस इतना ही कहना है पुराना साल चाहे जितना भी बुरा हो नए साल को हमेशा अच्छा ही समझना चाहिए कई बार पुराने को देखकर हम सीख नहीं पाते है।

पढ़ने के लिए धन्यवाद.........

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