Junoon Se Bhara Ishq - 29 in Hindi Love Stories by Payal books and stories PDF | Junoon Se Bhara Ishq - 29

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Junoon Se Bhara Ishq - 29

Haan yahi pyaar hai . . . . . . . . .


प्रिया उसे हैरानी से देखने लगी। ये क्या था, प्रिया ने अपना हाथ खींचने की कोशिश की। पर अभय की मजबूत पकड से वो अपना हाथ छूडा नही पाई।

प्रिया :- ये . . . . . ये . . . . . ये आप क्या कर रहे हो ?

अभय :- ये स्टेन्प स्पेशयली मेरे लिए बनवाई गई है। जो भी डॉक्यूमेंट मुझसे जूते हुए होते है। उन पर ये स्टेन्प लगती है।

ये मेरे साइन से डिजाइन किया गया है। अब शायद तुम्हारे हर एक सवाल का जवाब मिल गया होगा तुम्हे।

प्रिया ने अपनी कलाई को देखा, जिस पर अभय की पहचान छ्प चुकी थी। और उसकी पहचान वो ये स्टेन्प लगते ही मिट गई थी। प्रिया ने कंफ्यूज नजरो से अभय को देखा।

मतलब क्या था ये ? कैसे कोई इंसान इतना घमंडी मन मजीॅ चलाने वाला और बचकानी हरकते करने वाला हो सकता है। मतलब ये बिल्कुल वैसा ही था जैसे कोई चीज बच्चे को पसंद तो वो उसके लिए जिद पर उतर आये। ठीक वैसे ही प्रिया उसके लिए एक खिलौना थी।


उसकी जिद पर वो स्टेन्प उसके हाथो मे लगा दी। वो स्टेन्प जो सिर्फ डॉक्यूमेंट्स के लिए यूज होती है। प्रिया अब तक सदमे से बहार नही आई थी की तभी उसे दोबारा अभय की आवाज आई।

अभय :- तुम्हे मेरा शुक्र मानना चाहिए। सोचो अब तुम्हारी वेल्यू कितनी बढ गई। क्योकी ये स्टेन्प लगते ही हर एक डॉक्यूमेंट बेशकीमती हो जाता है।

प्रिया को उसकी बात सुन गुस्सा आ गया। कितना बेशमॅ है ये इंसान प्रिया ने अविश्वास से अभय को देखा।

अभय :- अरे ! एक चीज और ये जो स्टेन्प है ना इसे मेरे रिसर्च इन्सट्यूट ने खाश बनाया है। ये वॉटर प्रूफ, फायर प्रूफ है।

हा अगर तुम्हारी स्कीन को क्रेच करो तो अलग बात है। अलग से तुम्हे नुकसान होगा।

इसलिए तुम अबसे पूरी जिंदगी मेरी हुई।

ये कहते हुए अभय के चेहरे पर एक हल्की मुस्कुराहट आ गई। वो खुद उस बात को नही जानता था। की ये सब करना उसके दिल को सूकून मिल रहा था।

जितना वो प्रिया की केयर करता था। उतना ही उसे खोने से डरता था। हा, उसे डर था कही प्रिया उसको छोड़कर चली ना जाये। इसलिए उसने ये तरीका निकाला।

उसे हमेशा के लिए खुद का बनाने के लिए और हमेशा अपने पास रखने के लिए। अब उसका दिल हल्का महसूस कर रहा था। आगे से लोग इस स्टेन्प को देख खुद ब खुद प्रिया से दूर रहेगे।



अपना नाम उसकी कलाई पर देख उसे काफी सेटिस्फाइ महसूस हो रहा था। तभी उसे अचानक कुछ याद आया। की प्रिया शुरु से ही उसके लिए काफी स्पेशल थी।

तभी agreement मै ये mention होने के बाद भी कई उनका रिश्ता कॉन्फिडेंसल रहेगा। उसने खुद से अपना नाम उसकी कलाई पर छाप दिया था।



उसके बाद अभय अपना काम करने लगा। पर एक हाथ से उसने प्रिया को पकडा हुआ था। वही प्रिया तो जैसे किसी सदमे मे थी। उसकी नजर अपनी कलाई पर थी।



क्या से क्या हो गई थी उसकी जिंदगी। आज उसे डॉक्यूमेंट की तरह समजा गया था। तभी उसके कानो मे अभय की आवाज आई।

अभय :- अंदर जाओ।

प्रिया ने सर उठा कर देखा तो सामने जैनी अपने हाथो मे स्नैक्स लेकर आ रही थी। उसने हैरानी से अभय को देखा। उसे तो कोई आवाज नही आई। तो फिर इसे कैसे पता चला।

प्रिया :- मुझे तो कोई आवाज नही आई। तो आपको कैसे सुनाई दी ?

अभय :- मुझे सुनाई दे गया था। मै इंसानो को उनको कदमो से पहचान जाता हू। यहा तक की तुम गेट पर थी मै तुम्हारे कदमो की आवाज से ही पहचान गया था की वो तुम हो।

प्रिया शॉक थी। इस इंसान मे भी ऐक्सट्रा ओडिॅनरी पावसॅ है। उसने सामने देखा तो जैनी आराम से प्लेट लेकर आई और बिना आवाज किये प्लेट को उनके टेबल पर रख दिया।



जैनी बहुत ही ध्यान से काम कर रही थी। प्लेट को आराम से रख कर सर झुकाकर खडी हो गई। और फिर कुछ सेकेंड बाद वो बहार चली गई। प्रिया उसके हर एक मूव को देख रही थी।

अभय ने एक बार अपनी नजर नही उठाई वो बस डॉक्यूमेंट चेक करता रहा।

अभय :- खाओ !

प्रिया ने दोबारा अभय को देखा।

प्रिया :- खाओ ! क्या ?

अभय ने कंफ्यूज से प्रिया की तरफ देखा तो उसका चेहरा देख वो समज गया। की उसे समज नही आ रहा था की उसके कहने का मतलब क्या है।

अभय :- मेरा मतलब है की यहा जो भी रखा है इसे खाना शुरु करो। ये सब तुम्हे ही खाना है।

प्रिया :- फिर क्यो ?

अभय :- फिर क्यो मतलब ! अभी तुम बिमार थी। इस वजह से इंसान वीक हो जाता है। और इसमे तुम्हारा काफी वेट लोस हो गया था।

दोबारा पहले जैसी स्ट्रोंग और हैल्दी बनने के लिए तुम्हे ठीक तरीके से खाना पडेगा।

ये समझो की तुमने किया ना वो तुम्हे खाकर मुझे वापस पे करना होगा।

प्रिया :- पर मै ने अभी डिनर किया है और मुझे भूख नही लगी है।

अभय ने उसकी बात सुन सीरीयस ऐक्सप्रेशन देते हुए कहा।

अभय :- तुम्हे खाना तो पडेगा। और अगर बीच मे छोडा तो . . . . .

अभय ने अपनी बात बीच मे ही अधूरी छोड दी। जो प्रिया के मन मे डर भर गया।

अभय की बात सुन प्रिया ने न आगे कुछ बोला और ना उसकी तरफ देखा। उसने सर को नीचे कर खाना शुरु कर दिया। हालांकि उसका टमी ओवर फूल था। पर वो नही खाती तो अभय न जाने उसे क्या कर वाता।



स्नैक्स खाकर प्रिया को महसूस हुआ की वाकई मे ये काफी टेस्टी है। वो बिना इधर उधर देखे बस खाने पर फोकस करने लगी। वही अभय का ध्यान जो अब तक डॉक्यूमेंट्स मे था।



वो अब एक टक प्रिया को देखे जा रहा था। सारे स्नैक्स खतम कर बज प्रिया ने सर उठा कर देखा तो रात के 11 बज रहे थे। मतलब की वो अभय की गोद मे पीछले 4 घंटे से बैठी थी।



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