Ek Ruh ki Aatmkatha - 25 in Hindi Human Science by Ranjana Jaiswal books and stories PDF | एक रूह की आत्मकथा - 25

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एक रूह की आत्मकथा - 25

अनीस ने जो कुछ रमेश के बारे में कहा था ,सच साबित हो रहा था| मर्द एक-दूसरे को कितनी अच्छी तरह जानते- समझते हैं –खग जाने खग ही की भाषा|वह तो औरतों की ही भाषा नहीं समझ पाती थी ,मर्द की भला क्या समझती ?सच जानने के बाद अनीस उसे छोड़ना चाहते थे और रमेश उसे अपनाना नहीं चाहता था |वह पलायन कर गया था |उससे सारे रिश्ते तोड़कर वह जाने कहाँ जा छिपा था ?वह दोनों के बीच फंसी हुई थी|दोनों उसके जीवन के सत्य थे, पर शायद वह दोनों के लिए ही महज एक औरत थी| रमेश के बारे में अनीस पहले ही भविष्यवाणी कर चुके थे कि वह समाज के सामने उसे कभी नहीं अपनाएगा ,क्योंकि दोनों के बीच किसी भी स्तर पर समानता नहीं है| न जाति-धर्म की,न उम्र-अनुभव की ,न शिक्षा की ,ना विचारों की |उनके अनुसार रमेश को अपने धर्म की सुंदर,कमसीन लड़की आसानी से मिल सकती है,फिर वह क्यों सेकेंड हैंड पर जाएगा ?उधर रमेश ने रिश्ते की शुरूवात के पहले ही उससे बताया था कि अनीस उसे छोड़ना चाहते हैं |अनीस ने उससे कहा था-"ऊब चुका हूँ इस रिश्ते से ,वापसी चाहता हूँ पर कोई बहाना नहीं मिल रहा |समाज की जबाबदेही है |उधर घर वाले वापसी पर ज़ोर दे रहे हैं |"रमेश को उससे सहानुभूति थी इसलिए अनीस का यह पलायन उसे नहीं भाया था| यह सहानुभूति ही उनके बीच रिश्ते की कड़ी बनी थी |अनीस को अब बहाना मिल चुका था |उसने सच स्वीकार कर उन्हें मार्ग दे दिया था,पर वे घर छोड़ने में भी उसकी भूमिका चाहते थे |वह उन्हें अपने घर से स्वयं निकाल दे ताकि लोगों को उसकी चरित्रहीनता का पक्का विश्वास हो जाए,पर वह ऐसा नहीं कर रही थी| अब वे रात-दिन उसे ताने मारते ,गालियां बकते| आधी रात को उसे नींद से जगा कर पूछते कि रमेश से उसके रिश्ते की हद कहाँ तक थी ?वह लाख कहती थी कि रमेश से उसके रिश्ते जिस्मानी स्तर तक नहीं पहुंचे थे,फिर अब वह जा चुका है ,पर वे नहीं मानते और उसे टार्चर करते रहते|रात -भर जागने के कारण वह अपने आफिस में ठीक से काम नहीं कर पा रही थी|तनाव व नींद की गोलियां लेने लगी थी,पर अनीस को इस बात से कुछ लेना-देना नहीं था| न तो उनमें घर छोड़कर चले जाने का साहस था ,ना फिर से नई शुरूवात करने का,जबकि वह दोनों तरह से राजी थी|एक दिन हद ही हो गयी जब उन्होंने कहा –"मैं जानता हूँ तुमने अपनी तरफ से पहल नहीं की होगी |उसी ने तुम्हें गुमराह किया होगा| मैं तुम्हें एक मौका और दे सकता हूँ ,पर तुम्हें मेरा एक काम करना होगा| तुम उसे फोन करके बुलाओ |मैं उसे रंगों हाथों पकड़ लूँ और सारी मीडिया के सामने नंगा कर दूँ |अभी तो सब-कुछ करने के बाद भी वह बेदाग घूम रहा है| मुझे ऐसे मुस्कुराकर देखता है ,जैसे कह रहा हो -देखा, मैंने तुम्हारी बीबी को ...|"


वह सोचने लगी कि उसके जीवन के दोनों पुरूष कितने शातिर हैं |एक अपने प्रेम को गुनाह की तरह छिपाना चाहता है ,ताकि किसी भी ज़िम्मेदारी और जबावदेही से बच जाए| साथ ही उसका वर्तमान और भविष्य दोनों बेदाग और सुरक्षित रहे और दूसरा उसे चौराहे पर खड़ा करके उसका तमाशा बनाना चाहता है |क्या रमेश को अपने घर में अपने साथ रंगे हाथों पकड़वाने से वह बदनामी से बच जाएगी?दोनों पुरूषों ने एक-दूसरे को नीचा दिखने के लिए उसका इस्तेमाल किया था और आगे भी करना चाह रहे थे,पर वह इतनी भी नादान नहीं थी| एक दिन उसने अनीस को अपने घर से निकल जाने को कह दिया|उनके साथ रहना हर तरह से मुश्किल हो रहा था।उसकी अनुपस्थिति में वे उसकी पर्सनल डायरी पढ़ते,आलमारियां टटोलते कि उन्हें उसके खिलाफ कोई सुबूत मिल जाए ताकि वे दोनों को बदनाम कर सकें।वे मन ही मन तिलमिला रहे थे कि वे दोनों का कुछ बिगाड़ नहीं पा रहे।अब यह रेहाना का मन ही जानता था कि उसका कितना कुछ बिगड़ गया है।पत्नी बनकर उसने कुछ नहीं पाया और प्रेम करके दोनों लोक बिगाड़ लिया।अब उसे समझ में आ गया था कि शादी हो या प्रेम औरत दोनों जगह छली जाती है।हर जगह उसका इस्तेमाल किया जाता है।


अनीस चले गए ।उन्होंने तीन बार तलाक कहा और आजाद हो गए।अब वे कभी नहीं लौटेंगे ।


लौटने की प्रक्रिया आसान भी तो नहीं।


रमेश भी नहीं लौटा|उसने अपना ट्रांसफर दूसरे शहर में करा लिया था।कुछ दिन बाद ही उसने शादी कर ली।रेहाना को सारी खबर मिलती रहती थी,पर वह कर भी क्या सकती थी!उसने खुद को ही मजबूत बनाने का निश्चय किया।पाँच वर्षों बाद रमेश ने उसे फोन किया और उससे पूछ रहा था -'मेरी याद नहीं आती ...।कोई और मिल गया है क्या?'


इतने वर्षों बाद इतना बेशर्म प्रश्न!शायद वह समझता है कि वह आज भी पहले की ही तरह उसके प्रेम में बावली होगी |वह नहीं जानता था कि उसने उसकी यादों को अपने मन की स्लेट से खुरच-खुरचकर निकाल दिया था और अब उसके मन में उसके लिए कुछ भी नहीं है बचा था| वह जैसे उसके पिछले जन्म का हिस्सा था |


इन पाँच वर्षों में से तीन वर्ष उसने बिना किसी पुरुष के निकाल दिए पर इधर के दो वर्षों में उसकी जिंदगी में कई पुरूष आए और कई गए। इस समय वह मयंक के साथ रिलेशन में है।

इसी मयंक को कामिनी ने उसके घर पर देखा था।


रेहाना खूबसूरत है ,जवान है साथ ही अकेली है तो पुरुष तेजी से उसके करीब आने की कोशिश करते हैं पर उसे गम्भीर पुरुष पसंद हैं ,लम्पट नहीं।
वह नौकरी करती है ...आत्मनिर्भर है,इसलिए उसे पुरूष की जरूरत आर्थिक आधार पर नहीं है।वह अपने मन के अकेलेपन को दूर करने के लिए पुरूष साथी चाहती है पर मिलते हैं चोरी -छिपे देह का अकेलापन दूर करने वाले।ऐसे लोगों से उसे वितृष्णा होती है।वह सोच भी नहीं पाती कि जिससे मन का मेल नहीं,उससे तन का मेल कैसे सम्भव है?
देह- सम्बन्ध में भी उसकी अपनी सुरुचि है।उस पर खरा उतरने वाला ही उसके करीब आ सकता है।वैसे उसकी जिंदगी में कई पुरूष आते -जाते रहे हैं,पर सबसे उसका सम्बन्ध नहीं रहा है।हालांकि दुनिया यहां तक कि उसकी प्रिय सखी कामिनी तक इस बात पर उसका विश्वास नहीं करती।उसे इसकी परवाह भी नहीं है।
वह अपनी रूह के प्रति ईमानदार है।वह यह मानती है कि एक से अधिक शारीरिक सम्बन्ध न अनैतिक है न गुनाह।खुदा ने जब इस देह को भूख दी है तो उस भूख को मिटाना गलत कैसे हो सकता है?समाज तो बाद में बना।शादी का बंधन मनुष्य ने निर्मित किया।भूख मिटाने के जायज रास्ते इंसान ने खोजे पर भूख तो कुदरती है।जायज रास्ते न मिलें तो क्या इंसान भूख से मार जाए या विक्षिप्त हो जाए?