Saat fere Hum tere - 12 in Hindi Love Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | सात फेरे हम तेरे - भाग 12

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सात फेरे हम तेरे - भाग 12

इसी तरह से एक महीने गुजर गए।पर सबके लिए जैसे जिंदगी थम सी गई है। माया को हर पल निलेश का इंतजार है कि शायद कभी आएगा। उधर नैना भी निलेश का इन्तजार कर रहे थे।
फिर एक शाम को डाक्टर अनिल माया के घर पहुंच गए। और उन्होंने कहा कि बहुत ही जरूरी बात करना है। माया भी बहुत आश्चर्य हो गई कि आखिर क्या बात करना है। तभी डाक्टर साहब बोले कि मुझे पता है कि निलेश कहा है? माया ये बात सुनकर बोल पड़ी कि अरे ये क्या बोल रहे हैं आप।। डाक्टर ने कहा अगर आज भी नहीं बोलूंगा तो जिंदगी में कभी नहीं बोल पाऊंगा और ना ही खुद को माफ कर पाऊंगा।जब निलेश के बस का एक्सिडेंट हुआ था तो सबसे पहले निलेश ने ही मुझे फोन किया था तब उसकी हालत गंभीर ही थी। उसके कहने पर मैं सीधे घटना स्थल पर पहुंच गया था और वहां जो देखा वो मैं बताता हूं।

फिर देखते देखते सुबह हो गई।निलेश का बस भी तेज़ गति से आगे बढ़ रहा है।
पर कानपुर हाईवे पहुंचते ही एक बहुत बड़ी ट्रक से टकराते ही पुल के पास धस गई। निलेश का बस ।
सब इधर उधर भागने लगे कोई लहुलुहान पड़ा है और कोई अपनो को ढूंढने की कोशिश कर रहा है।
निलेश भी लहुलुहान हो गया पर अपनी परवाह किये बिना सबको बचाने की कोशिश करता रहा ।कुछ देर बाद ही पुलिस मौके पर पहुंची और सभी यात्रियों को एम्बुलेंस में भेजने लगे।
फिर निलेश ने देखा कि बहुत सारे बच्चे बस के खिड़की में फंसे हैं। किसी तरह से उन बच्चों को सही सलामत बाहर निकाला ।पर ऐसा करते करते निलेश ने खुद को मौत के मुंह में ढकेल दिया। उसके पास समय बहुत कम थे। खुन बहुत बह चुका था। फिर मैंने उसे कहा


डाक्टर ने कहा ओह नो निलेश ये सब कैसे हो गया । तुम जैसे अच्छे लोग की कमी है इस दुनिया में हमेशा रहेगा।।


निलेश ने कहा - डॉ सहाब मेरे पास समय बहुत कम है अच्छा हुआ कि आप जल्दी आ और निलेश बेहोश हो गए और फिर उसको भी एम्बूलैंस से सी टी अस्पताल भेजा गया।

अस्पताल पहुंच कर ही मैंने निलेश को कहा कि तुम्हारा नम्बर देने को।पर उसने मुझे कहा कि अभी किसी को भी न बताएं।
माया ने कहा अरे ऐसे कैसे किया निलेश ने। डाक्टर अनिल ने कहा हां निलेश का कहना था कि माया दी ये नहीं सुन पाएंगी। फिर हमने वहां के बड़े सर्जन से बात किया
फिर डॉ मनमोहन सर्जन बोले कि निलेश को बहुत खुन निकल गया जिस वजह से ब्रेन हेमरेज हो गया।
आपरेशन सफल नहीं हो पाया उसके पास समय बहुत कम है। ऐसे ही बोले डाक्टर। माया ने कहा हां ठीक है पर अब कहा है निलेश? डाक्टर ने कहा ये निलेश का फोन है इसमें कुछ रेकाडिग है जो आपके लिए और नैना के लिए है।
डाक्टर अनिल ने कांपते हुए हाथों से वो फोन आगे बढ़ाते हुए कहा ये लो। माया भी एक दम से चौंक गई कि ये आखिर क्या खेल है? निलेश कहां गया?

माया ने रेकाडिग चालू किया तो अचानक से निलेश का आवाज़ सुनकर रोने लगी।

निलेश - दी मैंने अपनी आंखें नैना को दे दिया और नैना को कुछ मत बताना । और नैना की आंखों में आप मुझे देखना।काश मैंने आपकी बात मान ली होती।हमारा प्यार अधुरा रह गया।
बिमल ,अतुल दी को देखना और जब नैना अपने आंखों से देखे तो मेरा ये फोन उसको़। बस सब कुछ स्तब्ध हो गया।

माया ने कहा ये क्या। ऐसे कैसे निलेश जा सकता है डॉ। ये कह कर माया बेहोश हो गई। कुछ देर बाद बिमल और अतुल आ गए और डाक्टर अनिल से सारी बात सुनकर स्तब्ध रह गए।कि उनका भाई जैसा दोस्त अब इस दुनिया में नहीं है।।
माया बेहोशी में भी निलेश, निलेश कर रही थी।उठकर ही रोने लगी और फिर बोली अरे डाक्टर साहब मेरा निलेश अब है कहां? डाक्टर ने कहा आज भी वो सिटी हास्पिटल में पड़ा। आप लोग आज ही चले।
फिर किसी तरह से तीनों डाक्टर अनिल के साथ हाईवे के सिटी हास्पिटल पर पहुंच गए। जहां के मुर्दाघर में जाकर निलेश के शरीर की शिनाख्त किया। माया तो रो रो कर परेशान हो रही थी। निलेश के दोनों दोस्त ने कहा क्या यार धोखा दे दिया ना।
फिर वहां पर काफी देर तक रूक कर सारी फोरमालिटज पुरी किया वहीं पर पुलिस अफसर भी पहुंच गए और डाक्टर से पुछताछ करने लगे।
काफी रात हो गई थी। डाक्टर जिन्होंने निलेश का आपरेशन किया था उन्होंने बताया कि निलेश एक बहुत ही जांबाज सिपाही की तरह अनंत तक लड़ता रहा।पर मौत के आगे तो किसी का वश नहीं चलता है।पर हां उसने एक और नेक काम किया है कि अपनी आंखें दान कर दिया है। ये सुनकर माया बेहोश हो गई।
फिर किसी तरह से बिमल और अतुल ने माया को सम्हाल लिया और फिर बोला कि दीदी चलो अब हम निलेश को अंतिम विदाई दे देते हैं। वरना उसकी आत्मा को शांति नहीं मिलेगी।
फिर निलेश की शरीर को लेकर तीनों अस्पताल से बाहर निकल आए। माया तो खुद को सम्हाल नहीं पा रही थी। वहां से सीधे ये लोग श्मशान घाट पहुंचे और फिर सारी विधिवत रूप से निलेश का दाह संस्कार किया। और फिर घर को लौट आए।घर पहुंचते पहुंचते सुबह हो गई।
माया को बिमल ने पानी पीने को दिया। माया से तो पानी भी नहीं पिया जा रहा था।
बिमल ने कहा हे भगवान निलेश ये क्या किया दोस्त।अब नैना की आंखों में हम तुझे देखेंगे। अतुल ने कहा जो कुछ भी हुआ वो उस नैना की वजह से हुआ। माया ने कहा नहीं, नहीं अतुल इसमें नैना की कोई गलती तो नहीं है।उसे तो कुछ पता भी नहीं । बिमल ने कहा हां-हां।पर अब तो बताना होगा। माया ने कहा नहीं नहीं वो बर्दाश्त नहीं कर पाएंगी। कुछ देर बाद ही बताएंगे। भगवान ने तो उसके साथ बहुत बड़ा खेल खेला है। बिमल ने कहा हां दीदी जैसा आप ठीक समझें। माया को विश्वास नहीं हो रहा था कि निलेश अब नहीं रहा।

माया रो रो कर निलेश को पुकार रही थी और फिर उसने कोकिला को फोन किया और कहा कि एक बार घर आएं। कोकिला किसी तरह से माया के घर पर आ गई। माया की हालत देख कर कोकिला को समझते देर नहीं लगा कि कोई अनहोनी हो गया है। और सब सुनकर वह भी चुप हो गई क्या सोच कर आई और क्या हो गया। उसके पैरों तले जमीन नहीं रही।

निलेश की आंखें ही नैना की जिंदगी बनेंगी ऐसा सोचा नहीं था। नैना तो टूट जाएगी। ये सब कोकिला बोली।
माया के गले लग कर रोने लगी । कोकिला ने कहा मैं तुम्हारा दुःख समझ सकती हुं पर कुछ नहीं कर सकती।

फिर कोकिला वापस घर चली गई।
घर आते ही नैना के सवालों ने घेर लिया। कोकिला ने कहा अरे ऐसे ही पता करने गई थी। नैना ने कहा अच्छा पर निलेश का कुछ पता नहीं चल पाया। कोकिला ने कहा हां बेटा कुछ भी नहीं पता चला।।


कमश: