Ishq a Bismil - 50 in Hindi Fiction Stories by Tasneem Kauser books and stories PDF | इश्क़ ए बिस्मिल - 50

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इश्क़ ए बिस्मिल - 50

अरीज अज़ीन को अपने कमरे में पढ़ा रही थी तभी अचानक से हदीद वहाँ पर आ गया। अज़ीन उसे देख कर थोड़ी देर के लिए लिखना भूल गई थी। अज़ीन का यूँ ठेहरा हुआ अंदाज़ देख कर अरीज ने उसकी नज़रों का पीछा कर के अपने पीछे मुड़ कर देखा और हदीद को पाया।
“वहाँ दरवाज़े पर क्यों खड़े हो?... अंदर आ जाओ।“ अरीज ने खुश दिली से कहा था, अज़ीन थोड़ा घबरा गई थी। उसका अब पड़ने में ध्यान नहीं लग रहा था। हदीद थोड़ी देर रुक कर दरवाज़े पर खड़े होकर कुछ सोचता रहा उसके बाद फिर अंदर आ गया।
“क्या बात है?... कुछ काम था तुम्हें।“ अरीज ने उसके बालों से खेलते हुए प्यार से उस से पूछा था, मगर हदीद को उसका इस तरीके का प्यार बिल्कुल भी पसंद नहीं आया था। उसने अरीज का हाथ अपने सर से हटा दिया और अपने बाल ठीक करने लगा। अरीज को एहसास हुआ के हदीद को ये अच्छा नहीं लगा है इसलिए वह उसके पास से हटकर वापस से अज़ीन पर गौर करने लगी। हदीद भी चलता हुआ उसके बगल में खड़ा हो गया।
“नही.... कोई काम नहीं है... मैं बस ऐसे ही आ गया था। अज़ीन क्या पढ़ रही है?” उसने अज़ीन की कॉपी में झांकते हुए पूछा था। अज़ीन थोड़ा और डर गई थी
“मैंने essay दिया है इसे लिखने के लिए।“ अरीज ने एक सरसरी सा जवाब दिया था।
“तुम कौन से क्लास में हो?” अरीज ने उस से पूछा था।
“Sixth standard.” हदीद उसे छोटा सा जवाब देकर खामोश हो गया था दरासल उसे समझ नहीं आ रहा था की अज़ीन से अकेले में कैसे बात करे। तभी उसके दिमाग़ में एक idea आया।
“आह! मुझे बोहत प्यास लग रही है।... क्या आप मेरे लिए juice ले कर आयेगी।“ हदीद ने अपना गला छू कर प्यास लगने की एक्टिंग की थी मगर हक़ीक़त में वो एक्टिंग ओवर एक्टिंग हो गई थी। अरीज ने उसकी ओवर एक्टिंग को कुछ अजीब तरीके से देखा। फिर उसने कहा।
“मैं लाती हूँ... तुम बैठो।“ अरीज ये कह कर जाने लगी थी और अज़ीन का डर के मारे बुरा हाल हो गया था। उसने अरीज का दुपट्टा पकड़ लिया था और डरी सेहमी नज़रों सी उसे देख रही थी जैसे उसे जाने से मना कर रही हो।
“डरो नहीं.. वह कुछ नहीं करेगा।“ अरीज अज़ीन के करीब होकर आहिस्ता से कह रही थी मगर हदीद ने अपने कान खड़े कर के रखे हुए थे.. उसने साफ़ साफ़ अरीज की बातें सुन ली थी। अरीज अज़ीन को दिलासा देकर जाने ही वाली थी की हदीद ने पीछे से उसे आवाज़ लगाई।
“और हाँ!....प्लिज़ juice फ्रेश बनाइयेगा...मुझे वो टेट्रा पैक वाला juice बिल्कुल भी पसंद नहीं है और उसके साथ में कुछ स्नैक्स भी लेते आयेगा।“ उसने फर्माइशी लिस्ट लम्हो में तैयार कर ली ताकि अज़ीन से अकेले में बात करने के लिए उसे ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त मिल सके। वह अपनी जीत पर खुश हो रहा था। अरीज ने उसे मुड़ कर देखा और हाँ में सर हिलाती हुई वहाँ से चली गई थी।
उसके जाते ही हदीद अपनी जगह से उठा था और अज़ीन की स्टडी टेबल पर एक ज़ोर दार हाथ मारी थी जिस से अज़ीन लिखना भूल कर डरी हुई नज़रों से उसे देखने लगी।
“डर क्यों रही हो?... मैंने तुम्हें थोड़ी मारा है।“ वह एक कमीनी हंसी अपने होठों पे सजाये उस से कह रहा था। अज़ीन ने डर के मारे कमरे के दरवाज़े को देखा इस उम्मीद से के कहीं से अरीज वापस आ जाए।
“तुम आज स्कूल क्या करने गई थी?” हदीद अपने चेहरे पर एक खतरनाक एक्सप्रेशन सजा कर उस से पूछ रहा था।
“मेरा टेस्ट था वहाँ पर।“ अज़ीन ने बोहत धीमे आवाज़ में डरते हुए कहा था।
“टेस्ट?... ओह... तो बात यहाँ तक पहुंच गई है... और मेरे कानों को कोई खबर ही नहीं।“ हदीद बोहत गुस्से मे कह रहा था।
“एक बात कान खोल कर सुन लो... वह मेरा स्कूल है और वहाँ तुम्हें आने की कोई ज़रूरत नहीं है... अगर तुम वहाँ पे आई तो मैं तुम्हारे साथ बोहत बुरा करूँगा...और खबरदार जो ये बात तुमने किसी से भी कही...या फिर मेरी शिकायत लगाई तो।“ वह उसे खुले लफ़्ज़ों मे धमका रहा था। अज़ीन का डर के मारे गला सुख गया था। वह अपने थूक घोंट कर अपने हलक को तर कर रही थी। हदीद को उसका ये डर देख कर बोहत ज़्यादा ख़ुशी मिली थी। वह खुद को तीस मार खान समझ रहा था।
“और तुम वहाँ पर क्या सोच कर आई थी... कम से कम अपना हुलिया ही सही कर लेती आने से पहले।“ हदीद उसकी फ्रॉक की स्लीवस को झटका देते हुए कह रहा था।
“बाबा के पास टाइम नहीं था मुझे नये कपड़े दिलाने के लिए... और टेस्ट भी अचानक से हो गई इसलिए... उन्होंने कहा है एक दिन वह मुझे मार्केट लेकर जाएंगे।“ अज़ीन ने उसे तसल्ली दि थी।
“और ये तुम मेरे बाबा को बाबा क्यों कह रही हो?.... जो मेरा है.. हर उस चीज़ पर कब्ज़ा जमा रही हो?” हदीद ने ना गवारी से उसे टोका था।
“बाबा ने कहा था।“ अज़ीन ये कह कर उसने अपनी नज़रें झुका ली थी जैसे उसने कोई बड़ा गुनाह कर दिया हो।
“हदीद तुम्हारी juice।“ अरीज ने दरवाज़े पर ही से उसे आवाज़ लगाई थी। बहन को देख कर अज़ीन की जान में जान आई थी। वह अपनी कुर्सी से उतर कर दौड़ती हुई अरीज से जा लिपटी थी। अरीज ने हदीद की आखरी बात सुन ली थी और अब वह उसे जताने वाली नज़रों से देख रही थी।
हदीद को अज़ीन की इस हरकत पे बोहत गुस्सा आया था मगर उसने कुछ कहा नहीं और अरीज के बगल से होता हुआ बाहर निकल गया। अरीज हाथों में juice और स्नैक्स का ट्रे लेकर खड़ी हो कर उसे जाते हुए देखती रह गई।
“आपी मुझे उसके स्कूल में नहीं जाना है।“ अज़ीन अरीज से लिपट कर रो रो कर कह रही थी।
सनम अपने ऑफिस गई हुई थी और उमैर अभी भी उसके फ्लैट में पनाह लिए हुए था। उस दिन से लेकर आज तक उमैर के मूड में कोई changes नहीं आया था। वह अभी भी ज़्यादातर चुप चाप रहा करता था। सनम को उसकी ये हरकत बोहत खलती थी मगर उसने जैसे सब्र का घूँट पी लिया था। उमैर तो पहले भी बोहत ज़्यादा बातें नहीं करता था मगर जितनी भी करता था वह सुनने के लायक हुआ करती थी। उसका रिज़र्व रहना ही लड़कियों को अपनी तरफ़ attract करता था। मगर अभी तो वह जैसे खुद में ही नहीं रहा था, सारा सारा दिन अपने ख़्यालों में खोया रहता था। ना उसे खाने में दिलचस्पी रही थी ना कहीं बाहर जाने में।
उस दिन उमैर की बातें सुनने के बाद सनम ने दुबारा इस मामले पर कोई चर्चा नहीं किया था। वह बस चुप हो गई थी।
उमैर ने उस से साफ़ साफ़ पूछ लिया था की यह सब जान ने के बाद उसका क्या फैसला है... वह उसके साथ रहना चाहेगी या अलग होना पसंद करेगी। इस पर सनम ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया था। उसने कहा था।
“मैं और इंतज़ार करूँगी।“ उमैर उसकी इस बात में उलझ कर रह गया था।
क्या होगा उमैर का?
क्या सनम उसे इस डिप्रेशन से बाहर निकालने में मदद करेगी?
क्या उमैर ऐसे ही टूट कर रह जाएगा?
और क्या होगा अज़ीन का?
क्या वह हदीद के स्कूल में पढ़ने जाएगी?
या फिर वहाँ पढ़ने से इंकार कर देगी?