Three Girlfriend - 1 in Hindi Short Stories by Jitin Tyagi books and stories PDF | थ्री गर्लफ्रैंड - भाग 1

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थ्री गर्लफ्रैंड - भाग 1

20 Feb 2015

Time: 13:25

भट्टी में डाली गई लकड़ी कोयला बनकर अंगारों का रूप धारण कर चुकी हैं। थोड़ी देर पहले तक इसमें कल की जली हुई लकड़ियों की राख बिखरी थी। पर अब ये आग का कुआँ बन चुकी हैं। इस कुएँ के मुहाने पर कढ़ा में रखा दूध खुद को धीरे-धीरे समेटने की तैयारी कर रहा हैं। उसी दूध में पड़े पलटे को पकड़े और आग की लपटों से निकलते धुँए से अपने चेहरे को बचाते हुए सुनील चुप होकर अपने दोस्त विकास की बातें लगातार सुने जा रहा हैं।

एक घंटे पहले

इस बार यार फिर वेलेंटाइन बीत गया। पिछले दो सालों से लगातार ये वेलेंटाइन नाम का दिन ऐसे ही बीत रहा हैं। पिछली साल जब आया था मुझे लगा था। कि कुछ अच्छा होगा मेरे साथ, पर मुझे क्या पता था। पिछली बार तो पिछली बार, इस बार वाला भी नीरज का शेर “अबके सावन ये शरारत हमारे साथ हुई हमारा घर छोड़कर सारे शहर में बरसात हुई” की पैरवी करता बीत जाएगा।

यार तू सुन भी रहा हैं। सब दोस्त अब मुझे चिढ़ाने लगे है। कि तुझसे सही तो हम ही हैं। ना ज्यादा सुंदर, ना ज्यादा होशियार, ना ज्यादा पैसे वाले, फिर भी लड़की को लेकर घूमते हैं। और एक तू हैं। जिसके पास से कोई गुज़रती तक नहीं। और कुछ तो ज्यादा ही आगे बढ़कर कहते हैं। भाई किसी साइकेट्रिस्ट से सलाह लेले। कही शरीर से मर्द हो और ख़यालों से लड़की; यार साफ तौर पर वे मुझे नपुंसक कहने लगे हैं। इस चक्कर में कई बार मेरा झगड़ा भी हो गया हैं।

फिर भी सुनील सोच कर देख कॉलेज टाइम में गर्लफ्रैंड नहीं होगी। तो कब होगी।, अब बूढ़े होकर थोड़ी ना गर्लफ्रैंड बनाएंगे। जब तो खुद के हाथ में लाठी होगी। गर्लफ्रैंड का हाथ कहाँ से पकड़ेंगे।

तुझे पता हैं। कई बार ऐसा लगता हैं। कि अगर मुझसे लड़की नहीं पटी तो इसमें मेरी पूरी गलती नहीं हैं। आजकल लड़कियों का भी लड़के चुनने में टेस्ट खराब हो गया हैं।, तुझे क्या बताऊँ? एक बार मैंने मॉल की सीढ़ियों पर जिन्हें कोई इस्तेमाल नहीं करता, एक लड़की देखी थी। जैसे पहली बारिश की सुबह में धूप निकलने से जो चारों तरफ चमकती हुई तरंगें पैदा होती हैं। उस तरह की थी। उसका रंग जैसे कच्चे दूध की सफेदी, उसके बाल तो जैसे अंधेरे में जलते दीये से कमरे में फैली रोशनी के धुंध के रंग की तरह, उसका चेहरा जैसे सफेद रेत पर बनाई गई सलीखे से आकृति और अंत में उसका शरीर जैसे पल-पल बदलता मौसम, लहराकर चलती हुई हवाएँ जैसा कुछ था। और इस लड़की के मुकाबले में वो लड़का जो उसके साथ था। जैसे बदसूरती अगर उसे देखलें तो शर्माकर आत्महत्या करलें। घिनोनयीयत अगर देखें तो परेशान होकर हर दिन खुद को ज़लील करे। और कुरूपता तो उससे दूर रहना ही खुद के लिए अच्छा समझे। और अंत में उसका चेहरा जैसे कीचड़ में पड़ा हुआ कई दिन के केले का छिलका और उस पर उबली हुई चायपत्ती जैसे दाने, जिनसे आम के पीप की तरह कुछ निकल रहा था। लेकिन उन दोनों के बीच जो हो रहा था। उसे देख कर एकबारगी तो लगा। जैसे इक्कीसवीं सदी का सूरदास मैं ना बन जाऊं। वो दोनों बड़े मग्न होकर आपस में किस कर रहे थे। ऊपर से वो लड़की बार-बार उसके होठों से अपना होंठ हटाकर आई लव यू बोले जा रही थी। और वो लड़का उसके शरीर को ऐसे नोच रहा था। जैसे कच्चा चबाना चाहता हो, इसी लिए सुनील मैं कह रहा हूँ। गलती मेरी नहीं हैं। कि मैं अब तक सिंगल हूँ। अब लड़कियों का दिमाग चल गया हैं। जो ऐसे कंगारुओं जैसी शक्ल के लड़के पसंद कर रही हैं।

अब तू मेरी इन बातों को सुनकर ये बात मत कहने लगे जाना कि मेरी भी तो तीन गर्लफ्रैंड हैं। मैं बता दूं। तुझे कि तूने ये बात सचिन के मुँह से सुनी होंगी। जिसकी आदत हैं। राई का पहाड़ बनाने की, मैंने तो उससे बस जिक्र किया था। जिससे वो मुझे चिढ़ाए ना कि मेरे पर एक गर्लफ्रैंड भी नहीं बनाई जा रही। लेकिन उसने ये बातें, तुझे बाद में बढ़ा चढ़ा कर बता दी। और पता हैं। नपुंसक कहने वालों में ये ही सबसे आगे हैं। शालें ने मोबाइल में मेरा नंबर भी undevlopment boy के नाम से सेव कर रखा हैं।

पर यार जो भी हैं। आज मैं तुझे सब कुछ बताऊंगा। कैसे वो तीनों मुझे मिली, कौन हैं। लेकिन जब मैं तुझे अपनी ज़िन्दगी की इन तीन लड़कियों की कहानी बता कर खत्म कर दूंगा। तो बदले में मुझे, तुझसे ये जानना हैं। कि मेरी बातों से तुझे कौन सी लगती हैं। जिससे मैं सबसे ज्यादा प्यार करता हूँ। ताकि अपने बर्थडे पर जो 28 feb को हैं। उसे दिन उसे प्रपोज़ कर सकूँ। और हाँ कहानी बताते हुए। थोड़ा फिलॉसपिकल भी हो सकता हूँ। इसलिए ध्यान लगाकर सुनना।