"आदि है वो अंत है,आकार नहीं साक्षात्कार है वो, निराकार निर्विकार ओमकार है,वो अंत है अनादि है, जगतपिता जगत व्यापी है, जो हर कन मे बसे है हर मन मे बसें है बस हम उनसे अलग हो जाते है वही देह मे विलीन शिव, शिवाय महादेव है वो. 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻!!"
महादेव ऐसे तो हर रूप मे नंबर वन है.!!😄पर उनका सबसे अच्छा रूप है एक प्रेमी एक पति का.!!
महादेव ने माँ सती को अपना प्रेम दर्शाया था.!ये जानते हुए की अभी भी उनको अत्यधिक तपस्या की आवश्यकता है.!!फिर भी केवल उनके प्रेम के कारण उनसे विवाह कर लिया था.!ज़ब माता सती उन्हें छोड़ के गई थी तो उनकी आँखों से भी अश्रु बहें थे.!!वो भी आम लोग की तरह विरहअग्नि मे डूबे थे.!!ज़ब माता सती ने पुनः पार्वती के रूप मे जन्म लिया तो वो उन्हें खुदसे दूर उन्ही के लिए रखने लगे.!ताकि वो तप करके अपने पूर्ण रूप को पा ले..!!महादेव ने हमेशा एक बहतर जीवनसाथी की तरह माँ पार्वती जी को मार्गदर्शन दिया है.!!वो खुद अपने अर्धनरिश्वर रूप से बताते है की स्त्री और पुरुष.!!यानि की प्रकृति और शिव का एक रूप होना ही आधार है.!!
महादेव उनके विवाहित जीवन मे भी अक्सर माँ पार्वती को उनके अंदुरनी रूप को आगे बढ़ाते आये है.!!ज़ब माँ पार्वती महाकाली का रूप धर खुदसे काबू खो बैठी तब भी महादेव ने उनको शांत किया था.!ज़ब माँ पार्वती को अपने भितर ग्लानि का अनुभव हुआ 😔की उन्होंने गुस्से से ही सही पर अपने पति के वक्ष पर पाव रखा जो की नीति नहीं है तब वो खुदसे महादेव को दूर रखने लगी थी.!!महादेव बिना उनके कहे उनकी ये मनोदशा समझ चुके थे., वे जानते थे की ऐसे तो वो उन्हें समझा नहीं पाएंगे इसलिए उन्होंने एक खेल रचा ज़ब माँ पार्वती आईने के संमुख हुई तो उन्हें वहा खुद के प्रतिबिंब के बदले महादेव दिखे.!!वो पहले तो समझ नहीं पाई पर बाद मे महादेव ने उन्हें बड़े अच्छे से समझाया की वो दोनों एक ही है.!!दोनों एकदूसरे से है एकदूसरे मे है.!!यही तो प्रेम है.!!
महादेव ने जरूरत होने पर अपने प्रेम को खुदसे दूर भी रखा है, और वही जरूरत होने पर उनका उचित मार्गदर्शन भी किया है.!!उन्होंने कभी कोई ईगो नहीं रखा है की मे महादेव हु..!शक्ति मुझपे ही निर्भर रहे..!!नहीं वो तो हमेशा से चाहते है की माँ पार्वती को अपने हर रूप का ज्ञान हो.!!तभी तो ज़ब कार्तिकेय के सामने पहलीबार माँ पार्वती का महिसासुर्मर्दीनी रूप आया था वो चकित हो गए.!की आखिर बचपन से जिस माँ को वो अपने पीछे घुमाते आये है जिनके साथ खेल खेलते आये है आखिर वो इतनी बड़ी शक्ति है.!!तब महादेव ने एक अच्छे पिता और पति की तरह कार्तिकेय को अपनी माँ के हर रूप से ज्ञात करवाया था.!!
ज़ब माँ पार्वती ने ये जाना तो उन्हें गर्व अनुभव हुआ की आखिर महादेव ने अपना पति धर्म निभाया है.!!महादेव अपने जीवन की बहुत सारी सिख देते है.!!योग, समाधि, ध्यान उन सबके बारे मे तो सबको पता है.!!पर देखा जाये तो एक पति की तरह भी वो उत्तम प्रेम प्रदर्शित करते है.!!
महादेव ने माता के हर रूप का वखान किया है ना की कटाक्ष.!!उन्होंने माँ को साथ दिया है ज़ब ज़ब वो उलझी है उन्हें सुलझाया है उन्होंने.!यही तो सच्चे जीवनासाथी की परिभाषा है ना.!!की दोनों एकदूसरे से जुड़े मन से उनको जरूरत ही ना हो एकदूसरे के रास्ते मे आने की बल्कि दोनों एकदूसरे की परेशानी दूर करने का प्रयास करें.!!दोनों को एकदूसरे को साथ ले के चले ना की इसलिए की कोई मजबूरी है और ना ही इसलिए की कोई जरूरत है..!बल्कि इसलिए की दोनों एकदूसरे से ही पूर्ण है.!!
जीवन मे विवाह बहुत ही अहम कदम होता है.!!ज़ब तक कोई आपको उस तरह से ना समझे तबतक आप उसपे यकीन कैसे करोगे.? आज कल अक्सर देखा जाता है.!अगर पत्नी काम करती हो तो अक्सर पति चिढ़ते है.!!तो बात का स्तम्भल यही है.!!ज़ब लड़को के काम का कोई विरोध नहीं तो लड़कियो के काम का क्यों.??
महादेव ने तो कभी माँ पार्वती से नहीं कहा की, "तुम मेरी अर्धांगिनी हो बस मेरे पास बैठी रहो..!कोई जरुरत नहीं है दूसरा कुछ भी करने की समझी मे महादेव हु.. मे करूँगा सब.!!"कहा है क्या.? नहीं ना.!!क्युकी वे जानते है की स्त्री का मान पुरुषो से एक कदम आगे है.!!तभी तो उन्होंने माँ पार्वती को खुदकी ऊर्जा को उजागर करने को कहा ज़ब वो महाकाली बन पाई.!!अन्नपूर्णा, छिन्नमास्ता, कात्यायनी, कालरात्रि, सिद्धिदत्री, चंड मुंड विनाशीनी, बहुत सारे रूप मे अपने निश्चित कार्य कर पाई ना.!!
माँ पार्वती ने भी कहा था की वो पति ही क्या जो पत्नी की शक्ति को रोके, खुदके लिए इस्तेमाल करें.?? वो पति ही क्या जो पत्नी का शोषण करें उसे गलत राह दिखाए.?? पति पत्नी का रिश्ता तो एकदूसरे के लिए, एकदूसरे से जुडा हुआ होना चाहिए.!!जैसे महादेव और माँ पार्वती का.!!है ना आपके क्या विचार है.??? हमसे साँझा जरूर कीजियेगा..!!
............... कोई गलती की हो या किसीको गलत लगा तो क्षमा चाहेंगे 🙏🏻🙏🏻🙏🏻.. बाकि मिलते है जय महाकाल 🙏🏻🙏🏻हर हर महादेव...