ये जो शीर्षक है, वो देखा जाए तो सवाल है मेरा हर एक से। आपके मानने से ज़िंदगी क्या है? आपका ज़िंदगी को देखने का नज़रिया केसा है? क्या आप भी इसे गुलज़ार मानते है या बस उस गाने की तरह, "जीवन हैं अगर ज़हर तो पीना ही पड़ेगा" !!!
बस में बैठे बैठे नैना खिड़की के बाहर देख रही थी। आज बड़े दिन के बाद वो बस से जा रही थी। वैसे उसे बस से सफर करना पसंद नहीं था, वो भीड़ और लोगों से दूर ही रहना पसंद करती थी पर अगर window seat मिल जाए तो कोई बात नहीं। क्योंकि फिर बस खिड़की से बाहर झांक कर दुनिया को दूर से देखना और.....
"अरे ये क्या? बारिश!! नहीं यार ये बिना मौसम बरसात मुझे बिल्कुल भी पसन्द नहीं।" मन ही मन सोचकर वो परेशान हो गई। बाहर देखा तो लोग भी अचानक आई हुई बरसात से बचने के लिए यहा वहा भाग रहे थे। उसने भगवान का शुक्र अदा किया की वोह बस में बैठने के बाद बारिश आ गई। अब बस घर जाने तक बारिश चली जाए। फिर उसने हमेशा की तरह बैग से इयरफोन निकाले, फोन को लगाकर एफएम रेडियो लगाया। जब उसने चलाया तभी एक 93.5 red fm पर इक गाना बज रहा था।
"सौ दर्द हैं, सौ राहते,
सब मिला दिलनशी,
इक तू ही नहींsssssss।।"
वो song सुनते हुए उसने अपनी गर्दन खिड़की के आधे बंद हुए शीशे पर झुका दी। और अब अपनी आंखे बंद करके सोने की कोशिश कर ही रही थी, पर ये कमबख्त बारिश,,,अपनी बूंदों से उसकी नींद उड़ा रही थी।
थक हार कर उसने आंखे खोली और खिड़की की ओर देखने लगी। सिग्नल लगा हुआ था, और दूर ही एक बेंच पर एक लड़का हाथ में कुछ कागज़ पकड़े बैठा था।
"इतनी जोर की बारिश हो रही है, और इसे भीगना है। कैसे कैसे लोग होते हैं।"
ऐसा सोचकर वो मन ही मन मुस्कुरा रही थी तभी उसने नोटिस किया की वो लड़का रो रहा था। उसे देखकर नैना को बूरा लगा क्योंकि वो समझ सकती थी इतनी भीड़ में भी वो शायद खुद को अकेला समझ रहा था। शायद उसके साथ कुछ tragedy हुई हो। तभी गाने में बजते हुए अंतरे ने उसका मन अपनी तरफ खींचा।
"रूखी रूखी सी ये हवा
और सूखे पत्ते की तरहा
शहर की सड़कों पे मैं
लावारिस उड़ता हुआ
सौ रास्ते पर तेरी राह नहीं।"
ऐसा लगा की ये लाइन लिखी ही उस लड़के के लिए।सिग्नल छुट गया और बस आगे बढ़ने लगी। पर नैना का मन अभी भी उसी जगह था,
क्या वो अभी भी वहीं बैठा होगा? क्या उसे जिसका इंतज़ार था उसने कॉल या msg किया होगा? ये सिर्फ सोचकर ही उसे इतनी बेचैनी हो रही थीं तो कोई imagin नही कर सकता की उसपर क्या बीत रही होगी जो उस सुनसान सड़क पर भरी बारिश में किसी अपने का इंतज़ार कर रहा होगा।
पता नहीं था की क्या हुआ होगा पर उसने बस अंदाज़ा लगाया की शायद उसके साथ कोई हादसा हुआ है जिसे वो बरदाश्त नहीं कर पा रहा, वो समझ पाई क्यों की उसने भी तो कभी बारिश में भीगकर अपने आंसू छुपाए थे।🙂
हम सोचते है की बस हमारे ही जिंदगी में दुख दर्द है पर होते तो वो सभी के लाइफ में। कही पे सुना था मैंने,“We are a generation of broken hearts and broken people.” खुशी आती है हर एक के ज़िंदगी में मगर कुछ पल के लिए पर आगे तो पहाड़ों जितना दुख सहना होता है, शायद इसीका नाम ज़िंदगी है।