कर्म का चरित्र पर प्रभाव
कर्म संस्कृत शब्द " कृ " से आया है। इसका मतलब होता है "करना "। कर्म का मतलब है "हर ऐक्शन का असर या परिणाम "। योग मे कर्म का मतलब होता है "काम (work)"।
एक इंसान का कैरेकटर यानि चरित्र उसके सभी अनुभवों को मिला कर बंता है । चाहे वो शुख हो या दुख, खुशी हो या दर्द ये सभी उसके कैरेक्टर को आकार देते है । ये अनुभव उसे अज्ञानता से ज्ञान की ओर ले जाते हैं । आपके ऐकशन्स के पीछे असली मकसद क्या है ? लोग हमेशा किसी खास मकसद के लिए ही कुछ कर्म करते है। कुछ लोग शोरहत पाने के लिए, कुछ लोग पावर के लिए तो कुछ धन दोलत के लिए। कुछ लोग स्वर्ग जाने के लिए करते है और कुछ पश्चयाताप के लिए ।
लेकिन सबसे महान और नेक कर्म होता हे बस काम करना। उदाहरण के लिए, कुछ लोग गरीबों की मदद और सेवा करते है। वो फेमस होने के लिए या अपनी पहचान बनाने के लिए ऐसा नहीं करते, वो सिर्फ इसलिए एसा करते हे क्योंकि उन्हे भलाई का कर्म करने मे विश्वास है, उन्हे ये काम करना अच्छा लगता है।
क्या एक आदमी जो काम को काम समजकर करता है, उसे कुछ हासिल होता है ? हां , असल मे उसे ही सबसे ज्यादा फायदा होता है । बिना किसी निजी मकसद के किया गया कर्म मन, शरीर और आत्मा के लिए सबसे अच्छा होता है। लेकिन इसे सच मे अपनी सोच ओर जीवन मे उतारने के लिए बहुत सेल्फ कंट्रोल की जरूरत होती है ।
सिर्फ 5 मिनट के लिए किसी सेल्फिश मकसद के काम करके देखिए, ये भी आपको बहुत मुस्किल लगेगा। किसी काम के बदले में कुछ ना मिलने की सोच भी हमें परेशान कर देती है, है ना ? इसलिए बिना किसी सेल्फिश मकसद के काम करना आपकी असली शक्ति को दिखाता है ।
5 मिनट, 5 घंटे या 5 दिन बिना किसी निजी मकसद के काम करना खुद पर सेल्फ कंट्रोल को साबित करता है । ऐसा करने के लिए एक स्ट्रॉंग विल पावर और स्ट्रॉंग कैरेक्टर की जरूरत होती है ।
बदले में कुछ मिलने की आशा किये बिना या बिना किसी निजी स्वार्थ के ज्यादा से ज्यादा काम करने की कोशिश कीजिए। एक महान इंसान बहुत सारे अच्छे काम करता चला जाता है मानो वो अच्छे कर्मों का बीज बो रहा हो । वो हर रोज उसकी देखभाल करता है लेकिन घंटों उसके पास बैठ कर उसके बढ़ने और उसके फलों को हासिल करने की इच्छा नहीं करता। वो बस अपने काम मे लगा रहता है, और ज्यादा अच्छे पौधे लगाता जाता है।
अगर आप किसीकी मदद करना चाहते है तो ये मत सोचिए की उस इंसान का रिएक्सन क्या होगा । उसके धन्यवाद देने का इंतजार मत कीजिए या ये आशा मत कीजिए की वोह इसके बदले मे आपके लिए कुछ करेगा । अगर आप अच्छा कर्म करना चाहते है तो बस उस पर कायम रहिए । किसी इनाम के बारे में सोचने की जगह और भी अच्छे कर्म करने के बारे में सोचिए ।
अभी आपके अंदर सिर्फ खुद के लिए काम करने का जोश है । लेकिन समय के साथ प्रेक्टिस करते करते आप बिना किसी स्वार्थ के काम करना सिख जाएंगे । रोज सेल्फ कंट्रोल की प्रेक्टिस कीजिए । ये बहुत जल्द ही आपकी हैबिट बन जाएगी और ये हैबिट आपका कैरेक्टर और संस्कार बन जाएगा।
- SWAMI VIVEKANANDA.
KARMA YOGA (CC. GIGL)