inheritance to children in Hindi Short Stories by Neelam Kulshreshtha books and stories PDF | बच्चों को विरासत

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बच्चों को विरासत

( चार लघुकथायें )

[ बीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में वक़्त करवट ले रहा था आतंकवाद, नारीवाद, पर्यावरण सरंक्षण के लिये चिंता के रूप में। एक माँ यानि मेरी चिंताएं थीं कि हम कौन सी विरासत अपने बच्चों को दे रहे हैं ? प्रस्तुत हैं सत्य घटनाओं पर आधारित 'विरासत 'शीर्षक से लिखी मेरी लघुकथाओं में से 3 लघु कथायें व ऑनलाइन पढ़ाई ]

सहयात्री

1

प्लेटफ़ॉर्म पर खड़ी गाड़ी के डिब्बे की खिड़की में से किसी ने अपना ब्रीफ़केस सीट पर रखते हुये कहा,"मैडम !ज़रा मेरा ब्रीफ़केस देखती रहिये। मैं पानी की बोतल लेकर आता हूँ। "

"ओ --श्योर। आप चिंता मत करिये। "

उसके आश्वासन पर वह यात्री निश्चिन्त होकर चला गया। उसका पांच वर्ष का बेटा जो सामने वाली खिड़की पर बैठा स्टेशन की गहमा गहमी देख रहा था, उस पर बिगड़ पड़ा," आप उसे जानतीं नहीं हैं तो फिर उसे ब्रीफ़केस यहाँ क्यों रखने दिया ?"

"तो क्या हुआ ? यात्रा में एक दूसरे की मदद करनी ही चाहिये। "

"जब हम किसी को जानते ही नहीं हैं तो क्यों मदद करें ?"

"ये तू क्या कह रहा है ?" वह चकित थी अपने नन्हे बेटे की बात पर। "

बच्चा उसका गुस्सा देखकर उसके पास कान में आकर फुसफुसाया, "क्या पता इस ब्रीफ़केस में बम्ब रक्खा हो ?"

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नया अर्थ

2

"म ---छ --ली ज ---ल ---की रा---नी है --अच्छा मम्मी बताइये जल क्या होता है ?"

"धत --कितने दिन से कविता गा रहे हो। ये नहीं पता कि जल क्या होता है ?"

"सच नहीं पता कि जल क्या होता है। "

"ज़रा और सोचो कि जल किसको कहते हैं। "

बच्चे ने ख़ुश होकर चुटकी बजाई, "समझ गया, जल का अर्थ होता है बहू का जल जाना। "

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मोहरे

3

कक्षा में खूब शोर मच रहा था । मॉनीटर मेज़ पर फ़ुटा मार-मारकर बच्चों को चुप कराने का प्रयास कर रहा था। बच्चें चुप होने का नाम नहीं ले रहे थे । कहीं से भी कक्षा की हालत ऐसी नहीं लग रही थी कि यह एक अच्छे इंग्लिश मीडियम स्कूल की कक्षा है।

प्रदीप ने कहा, “ये मॉनीटर कितना भोंदू है । लड़कों को चुप नहीं करा पा रहा। इसे तो बदल देना चाहिए ।”

“तू कहे तो मैं कल ही इसे बदलवा दूँ ।” अंकित ने शेखी के साथ कहा।

“जा, जा शान मत दिखा । बड़ा लीडर बनता है जो इस हटा देगा।”

“तू झूठ मान रहा है ? तूने मेरी पहुँच अभी देखी कहाँ है ? मैं इसे क्या किसी भी क्लास के मॉनीटर को बदलवा सकता हूँ ।”

“सच?” प्रदीप की आँखें आश्चर्य से फैल गयीं ।

“बिलकुल ।”

“वो कैसे?”

“मेरी पहुँच प्रिंसीपल तक है । अपने स्कूल के प्रिंसीपल शराब पीने तो मेरे पापा की फैक्ट्री में ही आते हैं।”

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आधुनिक बोध कथा

4

मिशिका ऑनलाइन पढ़ रही है। क्लास ख़त्म होते ही भागकर अंदर आती है।

ख़ुशी से ज़ोर से बताती है, "आज क्लास में मैं जीत गई "

"किस बात में जीत गई ?"

"टीचर एनीमल्स की फोटोज़ दिखाकर उनके नाम पूछ रही थी। मैंने सब बता दिये। "

" वाह ! '.'

"टीचर ने मुझे चॉकलेट्स दीं, लॉलीपॉप दिया, स्टार्स दिए, हेयर बेंड दिया। "

"हमें भी तो दिखाओ। "

"वो सब तो लैपटॉप में बंद हो गये। "

 

नीलम कुलश्रेष्ठ

e-mail—kneeli@rediffmail.com