Mahadev.... Meri Nazar se - 2 in Hindi Mythological Stories by Jaimini Brahmbhatt books and stories PDF | महादेव... मेरी नजर से - 2

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महादेव... मेरी नजर से - 2

"आदि है वो अंत है,आकार नहीं साक्षात्कार है वो, निराकार निर्विकार ओमकार है,वो अंत है अनादि है, जगतपिता जगत व्यापी है, जो हर कन मे बसे है हर मन मे बसें है बस हम उनसे अलग हो जाते है वही देह मे विलीन शिव, शिवाय महादेव है वो. 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻!!"


महादेव के रूप के वखान आपको सभी साधु संतो के नजरिये से देखने मिलेंंगे पर हम अपनी बात करे तो हम आपको बताते है की हमारी नजर मे महादेव मनुष्य के लिए किस प्रकार प्रेरणा देते है।🙂

शिवजी के रूप को ध्यान से निरखा जाये तो उनके सर पर सबसे पहले जटा है.!!जिसमे स्वयं माँ गंगा को उन्होंने धारण किया.!!ये दर्शाता है जल.!!जीव मात्र के शरीर की ऊर्जा का एक भाग वो है जल.!!ये पहला महाभुत है.!!

उनके थोड़े निचे भाल मे आप देखेंगे नेत्र उनका तीसरा नेत्र जिसमे अखंड अग्नि है.!!जो जीव के मस्तिक का एक हिस्सा है आम भाषा मे बताये तो ज्यादतर गुस्सा हो जाने वाली ऊर्जा. 😄😄!या फिर दिमाग़ गरमा देने वाली बाते सुन क्रोध आना..!खेर, ये अग्नि दूसरा महाभुत है.!!

उससे निचे महादेव के गले मे है विष जिससे वो नीलकंठ कहलाते है वो दर्शाता है हमारे जीवन की कड़वाहट को.!!अक्सर हम कुछ वाक्य या किस्सों से हताश हो जाते है कुछ हालात जीवन को जहर से भी कड़वा बना देता है.!!परन्तु महादेव का रूप ये दर्शाता है की उसे हमें काबू करना चाहिए.!!जिस प्रकार उन्होंने जहर को अपने कंठ मे धारण किया है उसी प्रकार हम अपने जीवन ली कड़वाहट को बहुत महत्पूर्ण रखते हुए भी जीवन को नियंत्रित कर सकते है।

महादेव का शरीर है नील.!!एक तरह से देखा जाये तो गगन का रंग भी है और शांत शिथिल भी है.!!उनकी विशाल कद की रचना हमारे मत से ये दर्शाती है की खुदको बड़ा करो परन्तु इस प्रकार करो की तुम्हे देख कोई अपना आदर्श बना सके!!जैसे गगन यानि की आकाश विशाल होने के साथ साथ सूर्य की आग और चन्द्रमा की शीतलता धारण करता है.!!वैसे ही मनुष्य को अपने जीवन के सुख और दुःख शांत और सिथिल होके समझने चाहिए.!ना दुख मे डरना चाहिए ना सुख मे अत्यधिक उत्साहित होना.!!

शिव की देह पर व्याघ्र चर्म को धारण करने की कल्पना की गई है। व्याघ्र अहंकार और हिंसा का प्रतीक है अत: शिवजी ने अहंकार और हिंसा दोनों को दबा रखा है।उनका एक अर्थ वो ये भी बताते है की मनुष्य को अपने जीवन मे अहंकार और हिंसा को काबू करना चाहिए.!!

महादेव के हाथो मे अक्सर त्रिशूल और डमरू विराजित रहते है.!!शिव के हाथों में एक मारक शस्त्र त्रिशूल है। सृष्टि में मानवमात्र आधिभौतिक, आधिदैविक और आध्यात्मिक इन तीन तापों से त्रस्त रहता है। शिव का त्रिशूल इन तापों को नष्ट करता है।त्रिशूल का एक अर्थ हमारी नजरो मे ये भी है की तीनो गुण यानि की रजत / तमश / सत्व.!!ये तीनो गुणों को उन्होंने अपने अधीन कर रखा है.!!कहा जाता है की हर इंसान मे ये तीनो गुणों मे से किसी एक की मात्रा ज्यादा होती है वो किसी एक गुण के पूर्ण वश मे होता है इस वजह से महादेव उसे तीनो गुणों को समान अपने जीवन मे रखने के लिए प्रेरित करते है।डमरू जो माध्यम है संगीत का.!!ज़ब महादेव तांडव करते है तब उसकी ध्वनि चारो और गूंज के प्रकृति को शिव मे बसे होने का संकेत करती है.!!वही वो मानव को संगीत एक साधना के रूप मे देते है.!!जो की उनसे मिलने का सर्वोतम रास्ता है.!!डमरू की आदि ध्वनि से पकृति खिल उठती है वैसे ही मानव शरीर भी किसी मन पसंद वस्तु के सम्पर्क मे आते हो खिल जाता है।


ऐसे तो महादेव के पुराणों के अनुसार कही वर्णन है जिसमे आपको उनके गले के सर्प, शरीर की भस्म, वृषभ वाहन., माँ आदिशक्ति का उनकी अर्धांगिनी होना बहुत कुछ मिल जायेगा.!!वो कहते है ना जैसी जिसकी वाणी, जैसी जिसकी विचारधारा.!!जो मन भाये भाव से उनको देखा, वैसे ही पवित्र मन से उनका उसने वर्णन किया.!!

हम कोई ज्ञानी नहीं है बस अपने महादेव को जितना जाना है आपसे शेयर कर रहे है, हमारी कोई बात आपको बुरी लगी हो तो क्षमा 🙏🏻🙏🏻 चाहेंगे.!!जहाँ तक सवाल हमारे महादेव का है हमें उनसे बहुत प्रेम है.!!

हिन्दू मान्यता के अनुसार महादेव के भिन्न भिन्न नाम है जो उनको उनके बड़पन और प्रेम के लिए दिए गए है.!!जिसमे 108 नाम तो सब ज्यादातर जानते ही है। उनके नामो का अर्थ भी जानते है.!!
1- शिव - कल्याण स्वरूप
2- महेश्वर - माया के अधीश्वर
3- शम्भू - आनंद स्वरूप वाले
4- पिनाकी - पिनाक धनुष धारण करने वाले
5- शशिशेखर - सिर पर चंद्रमा धारण करने वाले
6- वामदेव - अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले
7- विरूपाक्ष - ‍विचित्र आंख वाले( शिव के तीन नेत्र हैं)
8- कपर्दी - जटाजूट धारण करने वाले
9- नीललोहित - नीले और लाल रंग वाले
10- शंकर - सबका कल्याण करने वाले
11- शूलपाणी - हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले
12- खटवांगी- खटिया का एक पाया रखने वाले
13- विष्णुवल्लभ - भगवान विष्णु के अति प्रिय
14- शिपिविष्ट - सितुहा में प्रवेश करने वाले
15- अंबिकानाथ- देवी भगवती के पति
16- श्रीकण्ठ - सुंदर कण्ठ वाले
17- भक्तवत्सल - भक्तों को अत्यंत स्नेह करने वाले
18- भव - संसार के रूप में प्रकट होने वाले
19- शर्व - कष्टों को नष्ट करने वाले
20- त्रिलोकेश- तीनों लोकों के स्वामी21- शितिकण्ठ - सफेद कण्ठ वाले
22- शिवाप्रिय - पार्वती के प्रिय
23- उग्र - अत्यंत उग्र रूप वाले
24- कपाली - कपाल धारण करने वाले
25- कामारी - कामदेव के शत्रु, अंधकार को हरने वाले
26- सुरसूदन - अंधक दैत्य को मारने वाले
27- गंगाधर - गंगा जी को धारण करने वाले
28- ललाटाक्ष - ललाट में आंख वाले
29- महाकाल - कालों के भी काल
30- कृपानिधि - करूणा की खान
31- भीम - भयंकर रूप वाले
32- परशुहस्त - हाथ में फरसा धारण करने वाले
33- मृगपाणी - हाथ में हिरण धारण करने वाले
34- जटाधर - जटा रखने वाले
35- कैलाशवासी - कैलाश के निवासी
36- कवची - कवच धारण करने वाले
37- कठोर - अत्यंत मजबूत देह वाले
38- त्रिपुरांतक - त्रिपुरासुर को मारने वाले
39- वृषांक - बैल के चिह्न वाली ध्वजा वाले
40- वृषभारूढ़ - बैल की सवारी वाले
41- भस्मोद्धूलितविग्रह - सारे शरीर में भस्म लगाने वाले
42- सामप्रिय - सामगान से प्रेम करने वाले
43- स्वरमयी - सातों स्वरों में निवास करने वाले
44- त्रयीमूर्ति - वेदरूपी विग्रह करने वाले
45- अनीश्वर - जो स्वयं ही सबके स्वामी है
46- सर्वज्ञ - सब कुछ जानने वाले
47- परमात्मा - सब आत्माओं में सर्वोच्च
48- सोमसूर्याग्निलोचन - चंद्र, सूर्य और अग्निरूपी आंख वाले
49- हवि - आहूति रूपी द्रव्य वाले
50- यज्ञमय - यज्ञस्वरूप वाले
51- सोम - उमा के सहित रूप वाले
52- पंचवक्त्र - पांच मुख वाले
53- सदाशिव - नित्य कल्याण रूप वाल
54- विश्वेश्वर- सारे विश्व के ईश्वर
55- वीरभद्र - वीर होते हुए भी शांत स्वरूप वाले
56- गणनाथ - गणों के स्वामी
57- प्रजापति - प्रजाओं का पालन करने वाले
58- हिरण्यरेता - स्वर्ण तेज वाले
59- दुर्धुर्ष - किसी से नहीं दबने वाले
60- गिरीश - पर्वतों के स्वामी
61- गिरिश्वर - कैलाश पर्वत पर सोने वाले
62- अनघ - पापरहित
63- भुजंगभूषण - सांपों के आभूषण वाले
64- भर्ग - पापों को भूंज देने वाले
65- गिरिधन्वा - मेरू पर्वत को धनुष बनाने वाले
66- गिरिप्रिय - पर्वत प्रेमी
67- कृत्तिवासा - गजचर्म पहनने वाले
68- पुराराति - पुरों का नाश करने वाले
69- भगवान् - सर्वसमर्थ ऐश्वर्य संपन्न
70- प्रमथाधिप - प्रमथगणों के अधिपति
71- मृत्युंजय - मृत्यु को जीतने वाले
72- सूक्ष्मतनु - सूक्ष्म शरीर वाले
73- जगद्व्यापी- जगत् में व्याप्त होकर रहने वाले
74- जगद्गुरू - जगत् के गुरू
75- व्योमकेश - आकाश रूपी बाल वाले
76- महासेनजनक - कार्तिकेय के पिता
77- चारुविक्रम - सुन्दर पराक्रम वाले
78- रूद्र - भयानक
79- भूतपति - भूतप्रेत या पंचभूतों के स्वामी
80- स्थाणु - स्पंदन रहित कूटस्थ रूप वाले
81- अहिर्बुध्न्य - कुण्डलिनी को धारण करने वाले
82- दिगम्बर - नग्न, आकाशरूपी वस्त्र वाले
83- अष्टमूर्ति - आठ रूप वाले
84- अनेकात्मा - अनेक रूप धारण करने वाले
85- सात्त्विक- सत्व गुण वाले
86- शुद्धविग्रह - शुद्धमूर्ति वाले
87- शाश्वत - नित्य रहने वाले
88- खण्डपरशु - टूटा हुआ फरसा धारण करने वाले
89- अज - जन्म रहित
90- पाशविमोचन - बंधन से छुड़ाने वाले
91- मृड - सुखस्वरूप वाले
92- पशुपति - पशुओं के स्वामी
93- देव - स्वयं प्रकाश रूप
94- महादेव - देवों के भी देव
95- अव्यय - खर्च होने पर भी न घटने वाले
96- हरि - विष्णुस्वरूप
97- पूषदन्तभित् - पूषा के दांत उखाड़ने वाले
98- अव्यग्र - कभी भी व्यथित न होने वाले
99- दक्षाध्वरहर - दक्ष के यज्ञ को नष्ट करने वाले
100- हर - पापों व तापों को हरने वाले
101- भगनेत्रभिद् - भग देवता की आंख फोड़ने वाले
102- अव्यक्त - इंद्रियों के सामने प्रकट न होने वाले
103- सहस्राक्ष - हजार आंखों वाले
104- सहस्रपाद - हजार पैरों वाले
105- अपवर्गप्रद - कैवल्य मोक्ष देने वाले
106- अनंत - देशकालवस्तु रूपी परिछेद से रहित
107- तारक - सबको तारने वाले
108- परमेश्वर - परम ईश्व र।

ऐसे कई नाम और भी है जिनसे आप भली भांति परिचित होंगे.!!अलग शास्त्र और अलग पुराणों के अनुसार उनके कई नाम और होंगे.!जिनकी अलग अलग व्याख्याए है.!!

खेर बात हम अपनी करे तो हमारी नजरो मे शिव एक वो शक्ति है जिसे किसी नाम से नहीं बल्कि उनके होने के अनुभव से पहचानना चाहिए.!!अब कोई हमारी माने तो हम दिल से उन्हें अनुभव करते है कई बार उन्होंने ने हमें शायद राह दिखाई है.!!महादेव दिल की आवाज है हमारे लिए वो जो मनवत्सल है जिनका हमारे मन मे वास है। कई बार सत्य असत्य के बिच एक पतली सी परत रहती है जिसके उलझन मे मन और मस्तिक के बिच या कह लो दिल और दिमाग़ मे जंग छिड़ जाती है। हमारे मानने के अनुसार उस समय ये दिल की ही आवाज या कहो की मन की आवाज होती है जो हमें सही रास्ता चुनने की मदद करती है.!!हमारे लिए तो है आपके साथ भी ऐसा हुआ है.?? क्या आपने कभी अपने ईश्वर या कहु की महादेव को ऐसे महसूस किया है.? उतर जरूर दीजियेगा.!!!












................ बाकि मिलते है अगले पहलू को जानेगे, अगर कोई भूल हुई तो क्षमा चाहेंगे 🙏🏻🙏🏻🙏🏻हर हर महादेव🙏🏻जय महाकाल 🙏🏻😍😍