दामिनी ने केतकी का सम्पूर्ण सत्य जानने के लिए अपने विश्वास पात्र बद्री उर्फ काका को नियुक्त कर दिया । बद्री के जाने के बाद दामिनी ने एक लंबी गहरी श्वास भर कर आंखों को हल्की सी बंद करते हुए छोड़ी ।
अभय अभी भी ट्रेन के उसी दृश्य को याद कर रहा है । वेदिका का नीला परिधान , खुले केस , देदीप्यमान मुखमंडल , उसका हास परिहास सब केतकी के जैसा ही था । वह उस छोटे स्टेशन पर उतरकर कहां गयी होगी ?
अभय को एक टक दीवार को ताकते देखकर , दामिनी ने अपना सुकोमल हाथ अभय के हाथ पर रखा और मुस्कुराकर बोली .. पति देव ! अब तो घर आजाइए, अभी भी केतकी मे ही अटके हुए हो । बीती बात बिसार दे आगे की सुद लेय " यह कहावत तो सुनी होगी न आपने । केतकी की याद आ रही है या ... दामिनी ने अपने वाक्य अधुरा छोड़ दिया .. ओर अभय की आंखो मे देखने लगी , और मुख के भाव पढने का प्रयास करने लगी ..अभय का ध्यान केतकी ( वेदिका ) से हटा ..अपनी पत्नी दामिनी को देखते हुए बोला ..दामिनी ! वह बात नही है , जो तुम समझ रही हो ।
दामिनी ने कहा ..फिर कौनसी बात है पति देव ! जब से आप यहां आये हैं खोये हुए ही हैं । मै मानती हूँ आप अपनी जगह पर सही हो । लेकिन केतकी को मै जितना जानती हूँ, उतना उसके मा बाप भी नही जानते होंगे । वह मेरी कॉलज
मे मेरे साथ पढी है । वहां पर अपनी नौटंकी से सबको बेवकूफ बनाती थी । अभय ने कहा इतना बड़ा फरेब वह नही कर सकती । कोई वजह भी तो हो ।
अभय और दामिनी आपस मे बात कर ही रहे थे कि बाहर से अभय की मा कस्तुरी ने आवाज दी .. बहु ऽऽ .. गुडिया का ड्राइपर बदलो ...दामिनी ने जबाब मे कहा ..मम्मी आती हूँ एक मिनट रूकिए !
दामिनी बाहर आती है , उसके पीछे पीछे अभय भी आजाता है । दामिनी ने गुडिया को ले लिया और अपने रूम में चली गयी । कस्तुरी ने कहा ..अभय ! गीजर ऑन कर दिया था .. तू स्नान कर ले । अभय ने कहा .. मम्मी मैने बंद कर दिया था .. क्यों ? मैं नहाया हुआ नही लग रहा क्या ?
कस्तुरी बोली... बेटा ! नहा लिया तो ठीक है ..बताओ खाने में क्या बनाऊं ? अभय ने कहा ..मम्मी ! जो भी बनाओगी खालूंगा ।
कस्तुरी ने अपने पीछे बैठे अपने पति को देखा .. वह भी एकदम शान्त बैठा हुआ सोच मे डूबा हुआ है .. उसके भी दिमाग में कुछ चल रहा है..
कस्तुरी बड़बड़ाकर बोली ..यह क्या हो गया सबको .. ? सभी केतकी मे ही खोये हैं .. खाना नही खाओगे क्या ? सब्जी बनाई हुई है , मै रोटी बनाती हूं आप सभी खाना खा लो ।
रात्रि अधिक हो गयी थी सब ने खाना खा लिया और सोने के लिए अपने अपने रूम में चले गये ..
अगले दिन .. अभय देर से उठा ..उसे रात में देर से नींद आई थी । दामिनी को भी अपनी ड्यूटी पर जाना था वह तैयार हो गयी थी .. अभय के पास जाकर दामिनी ने कहा ..मैं अभी ड्यूटी पर जा रही हूँ .. आप अपने टाइम से उठ जाना .. अभय रजाई हटाते हुए तुरंत उठ गया ..और बोला ..मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूँ .. दामिनी ने कहा ..अभी आपको टाइम लगेगा ..ऐसा करो आप ! बाद मे आजाना .. अभय ने गर्दन हिलाकर सहमति जताई ।
दामिनी दस मिनट बाद अपने ऑफिस में पहुंच गयी । ऑफिस मे बैठते ही सब इंस्पेक्टर ने आकर आल ओके की की रिपोर्ट दी । कौन किस एरिया मे ड्यूटी पर जायेगा यह भी बता दिया ..
रिपोर्ट लेने के बाद दामिनी ने फोन पर अपने सीनीयर को आल ओके की रिपोर्ट दी ..और पूछा , आज के कोई विशेष आदेश ? उधर से कुछ आदेश सुनकर उसने लिख लिए .. फोन रखकर ..वेल बजाई .. सिपाही ने सलूट मारकर कहा ..जी मेडम ! मैं राउंड पर जा रही हूँ ..मेरे हसबैंड आयेंगे उन्हें यहां वेट करने को कह देना । दामिनी ने अपनी केप उठाई और तेज कदमों से बाहर निकल गयी ..
जिप्सी में बैठते हुए उसने बद्री को फोन किया .. फोन पर.. हेलो काका ! आप ! आज ही निकल रहे हो न ? उधर से काका ने कहा ..हां हां दोपहर मे ट्रेन है ..मेडम जी आप चिन्ता मत करो .. कल शाम तक ही आपको रिपोर्ट मिल जायेगी ...