Ek Ruh ki Aatmkatha - 11 in Hindi Human Science by Ranjana Jaiswal books and stories PDF | एक रूह की आत्मकथा - 11

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एक रूह की आत्मकथा - 11

बच्चों के हॉस्टल चले जाने के बाद लीला और भी उदास हो गई थी।वह दिन -भर अपने बंगले में बावरी- सी घूमती रहती।रोज न तो वह शॉपिंग पर जा सकती थी ,न सैर -सपाटे पर।शाम से देर रात तक के लिए तो क्लब था ....शराब था....दोस्त थे,पर दिन में सभी अपने -अपने काम में व्यस्त रहते थे।किसी के पास उसके लिए वक्त नहीं था।वही एक बेकार थी।काश, उसने प्रेम -प्यार के चक्कर में अपनी पढ़ाई अधूरी नहीं छोड़ दी होती।वह भी कोई नौकरी करती तो व्यस्त तो रहती।खालीपन इंसान को खोखला कर देता है।ऊपर से खाली दिमाग शैतान का घर होता है।न चाहते हुए भी उसके दिमाग में समर के लिए उल्टे -सीधे ख्याल आते रहते। जब भी वह घर आता,वह उससे लड़ती -झगड़ती ।इन सबके कारण समर उससे और दूर होता जा रहा था।पर वह भी क्या करे?समर का ध्यान और प्यार पाने के लिए ही तो वह यह सब करती है।उसका तरीका गलत हो सकता है पर नीयत नहीं ।समर उसका प्यार है...उसका पति है ।क्या उसको उसकी मनःस्थिति नहीं समझनी चाहिए? दो बच्चों की माँ बन जाने के बाद भी उसका रूप -सौंदर्य पहले से कम नहीं हुआ है फिर समर उससे दूर क्यों भागता है?
उसके दिमाग में एक दिन एक शैतानी ख़्याल समा गया कि
'समर सही आदमी नहीं है ...लम्पट है...औऱतबाज है ।उसे नई -नई औरतें चाहिए,इसलिए ही वह उससे दूर भागता है।'
समय के साथ यह ख़्याल जड़ पकड़ता गया और समर उसे अय्याश नज़र आने लगा।उसने उसे कंट्रोल करने की बहुत कोशिश की पर वह उसकी मुट्ठी से रेत की तरह फिसलता चला गया और वह फ्रस्ट्रेशन का शिकार होती चली गई। उसने समर को अपने काबू में रखने के लिए क्या कुछ नहीं किया?जादू -टोना,पूजा -पाठ,रिश्तेदार -नातेदार, दुनिया- समाज सबकी शरण में गई पर वही ढाक के तीन पात।
इधर उसने एक जासूस हायर किया है जो उसे समर की सारी खबर लाकर देता है।बदले में वह उसे एक मोटी रकम देती है।
समर भले ही लीला को वक्त और प्यार नहीं देता पर उसे किसी चीज की कमी नहीं होने देता।यह सच है कि वह सौंदर्य -प्रेमी है ।उसके कई स्त्रियों से रिश्ते रहे हैं पर वह खुद को इसके लिए दोषी नहीं मानता।वह किसी के साथ कोई जबरदस्ती नहीं करता।न पैसे देकर किसी स्त्री से सम्बन्ध बनाता है।हाँ,कोई स्त्री स्वेच्छा से उससे जुड़ना चाहती है तो मना नहीं करता।यह सब उसे बड़ा ही स्वाभाविक लगता है।
एक दिन नशे में उसने लीला से अपने इन विचारों को शेयर कर दिया था ।लीला उसकी बात से बिफ़र उठी।
--अगर मैं भी ऐसा ही करूँ तो...।मैं भी मनपसंद के पुरुषों के साथ रिश्ते बनाऊँ तो तुम्हें बुरा नहीं लगेगा।
'बिल्कुल नहीं लगेगा..।यह तुम्हारी आजादी है।'
उसने मुस्कुराते हुए कहा।
--तुम ऐसा इसलिए कह रहे क्योंकि तुम जानते हो कि मैं ऐसा नहीं कर सकती।मेरी आत्मा इस बात की कभी गवाही नहीं देगी।मेरे संस्कार ऐसे नहीं ऊपर से मैं एक औरत हूँ।
'अब यह तुम्हारी प्रॉब्लम है...मेरी तरफ़ से तुम पर कोई पाबंदी नहीं है।'
कहते हुए समर बहुत जोर से हँसा था।लीला को समर की ये हँसी चुभ गई थी।
उसने सोच लिया कि वह भी स्वच्छंदता का स्वाद चखेगी। क्लब में उसे कई ऐसे पुरुष मिलते थे,जो उससे दोस्ती से आगे बढ़ना चाहते थे।पुनीत उन्हीं पुरूषों में से एक था।वह लम्बा- चौड़ा सुदर्शन पुरूष था।उसकी आँखें और होंठ बड़े ही आकर्षक थे।लीला को नाटे कद के पुरूष बिल्कुल नहीं भाते,चाहे उनका चेहरा कितना भी आकर्षक हो।जब वह सुंदर और जवान स्त्रियों को अधेड़ ,काले ,नाटे,भद्दे अमीर पुरुषों के इर्द -गिर्द मंडलाते और उनके साथ किसी भी हद तक जाते देखती थी,तो उसे उबकाई आने लगती थी।वह कल्पना भी नहीं कर पाती थी कि इस तरह का पुरूष उसे छू भी सकता है। वह जानती थी कि वे स्त्रियाँ सिर्फ पैसों के आकर्षण में उस भद्दे पुरुष को बर्दाश्त करती हैं ।क्लबों में इसी तरह के बेमेल जोड़े उसे अक्सर दिखते हैं ।वह ऐसा कभी नहीं कर सकती।कोई भी लोभ -लालच उसे इस हद तक नहीं गिरा सकता।
यह सच है कि ऐसे कई पुरुषों ने खुद आगे बढकर उससे दोस्ती करनी चाही पर उसने सख्त लहज़े में इनकार कर दिया।
पुनीत उसे अच्छा लगता था।वह एक चित्रकार था।संजीदा भी।वह क्लब में अपने लिए मॉडल की तलाश में आता था।
वह चुपचाप अपने रिजर्ब कोने में बैठा रहता।उसकी मेज पर बढ़िया किस्म की शराब की बोतल होती।कई बार उसके दोस्त उसके पास जाकर बैठ जाते पर अक्सर वह अकेला ही होता।एक बार रेहाना उसे लेकर पुनीत के पास पहुंच गई थी ।पुनीत ने दोनों को बैठने को कहा।आपस में बातचीत हुई तब उसे पता चला कि आकर्षक आंखों वाला यह शख्स जाना-माना चित्रकार है।पुनीत ने उसकी ओर प्रशंसात्मक दृष्टि से देखा और अपने स्टूडियो आने को कहा।वह चाहता था कि वह उसके सौंदर्य का कला -पक्ष दिखा सके,पर लीला को उसका प्रस्ताव पसंद नहीं आया।वह किसी भी पुरूष से दोस्ती बढ़ाने के पक्ष में नहीं थी।उसकी जिंदगी में समर के सिवा कोई पुरुष न आया था और न आने देने का उसका मन था।
पर एक दिन समर के प्रति उसे इतना गुस्सा आया था कि वह दिन में पुनीत के स्टूडियो पहुँच गई थी।हुआ ये था कि समर ने उससे कह दिया था कि कोई भी पुरूष विवाहित या बच्चे वाली स्त्री को एक बार दैहिक स्तर पर पाकर ही छोड़ देता है।वह उससे न तो प्यार करता है न विवाह और उम्र भर निभाने की बात तो स्त्री भूल ही जाए।
लीला को समर का यह कथन बहुत अपमानजनक लगा।प्रकारांतर से समर ने उसी को टारगेट किया था ।शायद वह उसे सचेत करना चाहता था कि वह कभी किसी पुरुष के झांसे में आकर उसके निकट न चली जाए।
उसने ये भी कहा था कि किसी दूसरी कम सुंदर स्त्री को भी दूसरा पुरूष सुंदर इसलिए कह देता है कि पट जाए तो एक दो -बार उसका भोग कर लिया जाए।उम्र भर के लिए गले थोड़े बाँधना है।
समर की बातों में सच्चाई होती है इसलिए लीला तिलमिला जाती है। उसे सिर्फ अपने स्त्री होने पर ही नहीं पूरी स्त्री जाति की नियति पर गुस्सा आता है।ये पुरूष सब कुछ करके भी पाक -साफ बने रहते हैं।उनके विवाहित होने,बच्चों के पिता होने से कोई फर्क नहीं पड़ता।
पर स्त्री को इन सब बातों से फ़र्क़ पड़ता है।स्त्री अपने बदचलन पति को भी नहीं छोड़ पाती पर स्त्री से कोई ऊंच- नीच हो जाए तो पति- परिवार ,समाज -धर्म सब उसके विरोधी हो जाते हैं।उसे कुलटा,छिनाल,बदचलन,वेश्या सब कहने लगते हैं।छि:! कितना दोगला है यह समाज!
'नहीं यार,सारे पुरूष इस तरह के नहीं होते ,न सबकी सोच ही ऐसी होती है।छोटी सोच ,गन्दी मानसिकता वाले पुरुषों को ही स्त्री की उम्र,वर्जिनिटी आदि से प्रॉब्लम होती है।प्यार इन सबसे ऊपर की चीज है।'
रेहाना ने उसे नार्मल करने के लिए ऐसे जाने कितने ही प्रसंग सुना डाले।पुरुषों की बेवफाई नहीं प्यार के किस्से,उनकी दोस्ती के किस्से।लीला के मन में इन किस्सों ने एक चाह जगा दी।