"भाई मैंने तुम्हें बोला था ऐसे शार्टकट रास्ते से ना ले जाया करो.. देखो रास्ता कितना खराब है" जया नाराज होते हुए बोली !
"अरे चिंता मत करो मेरी प्यारी बहना.. तेरा भाई खतरो का खिलाडी है" मनोज ने अपनी नजरें जया की ओर दिखाते हुए बोला
"अरे भाई सामने देखकर गाड़ी चलाओ" जया बोली
"ओ हो.. तुम्हें तो मेरे ड्राइविंग पर भरोसा ही नहीं है" मनोज ने मुंह फेरते हुए बोला
जया- ऐसी बात नहीं है भाई... बस सिचुएशन के हिसाब से मुझे बोलना पड़ता है देखो रात के 9:00 बज रहे हैं
मनोज- ओके मेरी प्यारी बहना... आपका हुक्म सर आंखों पर
मनोज और जया भाई बहन थे जो अलग-अलग जगह में रहते थे और जॉब करते थे आज रक्षाबंधन का दिन था दोनों अपने घर लौट रहे थे उन्होंने सोचा था परिवार के साथ रक्षाबंधन का त्यौहार मनाएंगे लेकिन लंबे सफर के कारण मनोज की कार खराब हो गई उसे ठीक करने में घंटों लग गए
खैर मनोज जया को बैठाकर घर की ओर निकल पड़ा अभी भी रास्ता काफी लंबा था इसलिए मनोज ने शार्टकट के लिए कच्चे रास्ते का चुनाव किया...
अभी रात के 9:00 बज रहे थे उन दोनों को अभी भी घर पहुंचने के लिए 1 घंटे का सफर करना बाकी था
जया- यार आज का पूरा प्लान बर्बाद हो गया
मनोज जया को देखते वह बोला- अरे कोई बात नहीं छोटी तेरा भाई आज का दिन खराब नहीं होने देगा... देखना आज का दिन तुम कभी नहीं भूल पाओगी.. ऐसा होगा इस बार का रक्षाबंधन
जया घबराते हुए बोली- भाई सामने देखो वह क्या है ?
मनोज ने सामने देखा तो वह भी चौंक गया "कुछ दूर पर मशाले लिए हजारों की संख्या में लोग दिखाई दे रहे थे... सामने पूरी सड़क पर वे ही दिखाई दे रहे थे"
वे काफी तेजी से मनोज और जया की दिशा की ओर बढ़ रहे थे.... मनोज और जया कुछ देर तक समझ नहीं पाए कि वह क्या है और उनके कुछ समझने तक वे गाड़ी के बहुत करीब आ चुके थे !
मनोज ने तेजी से गाड़ी का स्टेरिंग घुमाया नहीं तो बहुत से आदमी मारे जाते हैं लेकिन स्टेरिंग घुमाने की वजह से गाड़ी सड़क से उतरकर एक तेज ढलान की ओर जाने लगी
जया घबराते हुए- भइया ब्रेक लगाओ
मनोज परेशान सा बोला- मैं कोशिश कर रहा हूं लेकिन...
जया- लेकिन क्या...
मनोज- लेकिन ब्रेक लग ही नहीं रहा लगता है ब्रेक फेल हो गया है
जया - ओ नो कब क्या होगा
तेज ढलान की वजह से गाड़ी तेजी से अनजान जगह की ओर जाने लगी... मनोज और जया हैरान परेशान थे तभी गाड़ी रेत के एक बड़े से ढेर से जा टकराया जिसके बाद गाड़ी अपने आप बंद हो गया... सीट बेल्ट की वजह से दोनों को कोई चोटें नहीं आई... दोनों गाड़ी से उतरकर गाड़ी की हालत देखने लगे
मनोज- ओ शीट... आज का दिन ही खराब है
जया- वो सब क्या था भैया
मनोज- मुझे भी नहीं पता... वह आदमियों की भीड लग तो असली लग रहा था लेकिन वो असली नहीं थे ऐसा लग रहा था जैसे कोई परछाईं हो खैर हमें इस जगह से निकलना होगा हमें घर जाना होगा
जया- भैया जरा वह देखिए
जया ने मनोज को पीछे देखने के लिए कहा तो मनोज पीछे मुड़कर देखा तो उसके सामने एक उजाड़ बस्ती खड़ी थी जो जिण-शीण हालात में थी
मनोज चौंक कर- ओ भाई साहब ये क्या है ?
जया- यह तो बहुत पुरानी बस्ती लग रही है, लगता नहीं यहां कोई रहता भी होगा !
मनोज- हमें चेक करना होगा, क्या पता कोई रहता हो, थोड़ी मदद मिल जाएगी
जया- हां और कर भी क्या सकते हैं अब तो रक्षाबंधन की बात ही छोड़ो... घर पहुंच जाए इतना ही बहुत है !
मनोज- हम्म.. गाड़ी का इंजन भी गरम हो गया है शायद थोड़ी देर में ठीक हो जाए.. चलो हमें मदद के लिए इस बस्ती से कोई मिल जाए तो सही रहेगा
जया- ओके मैं अपना बैग ले लेती हूं
जया और मनोज उस उजाड़ बस्ती में कदम रखते हैं वहां का नजारा सामान्य नहीं था.... घर की बनावट को देख कर लग रहा था की बहुत पुराने जमाने के बने हुए हैं.... मिट्टी और पत्थर के बने, कुछ टूटे तो कुछ अभी भी गर्व से खड़े हुए थे। ना बिजली ना तो कुछ और चांदनी रात में थोड़ी प्रकाश सभी जगह फैली हुई थी
मनोज और जया ने आधी बस्ती छान मारी लेकिन कोई नहीं मिला.... दोनों थक हार कर एक जगह पर बैठ गए
जया- भैया मेरी तबीयत खराब थी लग रही है !
मनोज- बहना क्या हुआ ! तु ठीक है ?
जया- अजीब सी घुटन हो रही है.. शरीर भारी हो रहा है गला सूख रहा है
मनोज- पानी... पानी की बोतल कहां है !
मनोज जया का बैग चेक किया तो खाली बोतल मिला - ओह शीट, जया तु यहीं बैठ मैं कही से पानी ढूंढ कर लाता हूं
मनोज इधर उधर पानी की तलाश करता रहा तभी उसे एक कुआं दिखाई दिया उसने देखा तो कुएं में पानी भरा हुआ था पास ही में लोहे की चैन से बनी हुई रस्सी पड़ी हुई थी उसने तेजी से कुएं से पानी निकाला और बोतल में भर कर वापस जया के पास पहुंचा और जया को थोड़ा पानी पिलाया और उसी पानी से उसका चेहरा धुलवाया
मनोज- अब अच्छा लग रहा है ?
जया- हां भैया अब अच्छा लग रहा हैं, शायद सफर की वजह से ऐसा हो रहा होगा.... वैसे भी गाड़ी में सफर करने से मुझे ऐसा होता ही है...
मनोज ने घड़ी देखा तो चौंक गया- ओह 11:00 बज गए रक्षाबंधन तो मनाया ही नहीं
जया- डोंट वरी भैया, घर में ना सही... यही रक्षाबंधन मना लेते हैं
मनोज- हम्म.. रुको मैं तैयारी कर लेता हूं
मनोज ने आसपास की जगह की साफ सफाई की और वही जया ने बैग से आरती की थाली और दीए निकालने लगी फिर दीए को जलाकर मनोज के सामने आरती उतारने लगी उसके बाद जैसे ही राखी मनोज को पहनाने के लिए बड़ी तभी अचानक से उस सुनसान बस्ती से एक तेज गुस्से से भरी गुर्राहट सुनाई दिया साथ ही तेज हवाएं चलने लगी
जया घबराकर- भैया ये कैसी आवाज थी ?
मनोज खड़ा होकर आवाज की तरफ देखने लगा फिर वापस मुड़ा तो देखा जया जमीन पर पड़ी हुई थी
मनोज घबराकर- जया मेरी बहन ! आंखें खोलो... क्या हुआ तुम्हें ?
लेकिन जया बेहोश हो चुकी थी मनोज पानी की बोतल खोजने लगा लेकिन वह भी बैग में खाली पड़ा था.. मनोज हैरान परेशान सा भगवान से प्रार्थना करने लगा - हे भगवान ये सब क्या हो रहा है कृपया हमारी मदद करो
तभी बैग में उसकी नजर एक छोटे से बोतल पर पड़ी
मनोज- यह तो दादी ने दिया था बोला था कि यह पवित्र गंगा जल है
मनोज ने उस छोटे से बोतल का ढक्कन खोला और भगवान का नाम लेते हुए जया के चेहरे पर मारा जिसके तुरंत बाद जया को होश आ गया
मनोज- जया मेरी बहन तु ठीक है ना! क्या हुआ था तुम्हें ?
जया- भैया... भैया मुझे कुछ दिखा... ऐसा लग रहा था जैसे कोई शक्ति मेरे अंदर प्रवेश करने की कोशिश कर रही थी... वह बहुत गुस्से में थी... हमें यहां से जल्दी से जल्दी निकलना चाहिए मुझे यह जगह ठीक नहीं लग रही है..!
मनोज- चलो जल्दी से से बैग पकड़ो मैं गाड़ी के इंजन के लिए कुएं से पानी लेकर आता हूं
मनोज जल्दी से कुएं के पास आ गया और बाल्टी कुएं में डाल कर पानी निकालने लगा लेकिन जैसे ही कुएं से पानी बाहर आया मनोज के हाथ डर के मारे रस्सी से छूट गया
बाल्टी में पानी की जगह खून था... मनोज तेजी से वापस जया के पास आया "तुम सही थी जया.. यहां रुकना ठीक नहीं... हमें जल्दी से यहां से निकलना होगा
मनोज और जया तेजी से वापस अपनी गाड़ी की ओर आने लगे वहां पहुंचकर मनोज गाड़ी को ठीक करने लगा और आखिरकार उसकी मेहनत रंग लाई गाड़ी स्टार्ट हो गई वे दोनों गाड़ी में बैठ कर जाने लगे तभी बस्ती से तेज गुर्राहट के साथ एक काला साया उनकी तरफ बढ़ने लगा
जया डर के चिल्लाने लगी- भइया जल्दी करो वो... वो काला साया हमारी तरफ बढ़ रहा है
मनोज ने तेजी से गाड़ी चलाने लगा जिससे उसके हाथ की घड़ी नीचे जमीन पर गिर पड़ी जिसमें समय रात के 12 बज रहे थे...
मनोज और जया ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और तेज रफ्तार से घर की ओर लौट गए... जया ने तो अपनी दोनों आंखें बंद कर रखी थी
घर पहुंच कर उन्होंने वह बात अपने मम्मी पापा और दादी को बताया जिसे सुनकर दादी जी घबरा कर बोली- तुम लोग ठीक तो हो ना मेरे बच्चो ? तुम लोगों को कुछ हुआ तो नहीं!
मनोज- हां दादी हम ठीक है पर वह सब क्या था ?
दादी जी ने बताना शुरू किया
यह बात सन 1300 की है जब कुलधरा जैसलमेर से 15 किलोमीटर दूर उस गांव में पालीवाल ब्राह्मण की पीढ़ियां रहा करती थी उस समय जैसलमेर के दीवान सलीम सिंह को कुलधरा समेत 84 गांव के मुखिया की बेहद खूबसूरत बेटी यामिनी से प्यार हो गया था लेकिन यामिनी सलीम को अपना भाई मानती थी क्योंकि उसने बचपन में सलीम को कई बार राखी बांधा था
लेकिन सलीम सिंह यामिनी के यौवन को देखकर उस पर मोहित हो गया था जिसके बाद उसने गांव वालों को धमकी दी कि अगर उसकी शादी यामिनी के साथ नहीं हुई तो वह करो (टैक्स) में और ज्यादा वृद्धि करेगा इसके बाद भी वे नहीं माने तो सलीम ने जबरदस्ती से यामिनी के जिस्म को तार तार करके छोड़ दिया
जिसके बाद यामिनी ने मरते वक्त श्राप दिया कि, जो भी इन गांवों में रहने या बसने की कोशिश करेगा वह अपनी जान से हाथ धो बैठेगा
इस घटना के बाद मुखिया और उनके कुछ साथियों ने वो गांव छोड़ दिया जिसके बाद बहुत से लोग धीरे-धीरे बीमार पड़ने लगे और फिर कारण मृत्यु का ग्रास बनने लगे
इस घटना के बाद कुलधरा और आसपास के 84 गांव के लोगों ने अपना अपना घर छोड़ दिया और तब से लेकर अब तक कोई भी उस गांव में बसने की हिम्मत नहीं जुटा पाया
जया- और उस दुष्ट सलीम के साथ क्या हुआ दादी ?
दादी- कहते हैं सलीम सिंह को उनके ही महान में सलीम सिंह की विचित्र तरीके से मृत शरीर पाया गया...
दादी थोड़ा रूक कर फिर बोली- इसलिए उस गांव में रहने वाले ब्राह्मण के वंशज आज भी रक्षाबंधन का त्योंहार नहीं मनाते हैं
फिर दादी मनोज और जया के सर पर हाथ रखते हुए बोलो- भगवान का शुक्र है कि तुम दोनों सही सलामत वापस लौट आए
मनोज- और दादी, जो हमें उस बस्ती में वह अजीब गुर्राहट सुनाई दिया था वह क्या था
ये सुनकर दादी गम्भीर स्वर में बोली-
वह वही थी.... यामिनी, वह आज भी वही है !!!!!!
®®®DINESH DIVAKAR"STRANGER"✍️
तो कैसे हैं आप लोग बताना कमेंट बॉक्स में... लिजिए मैं फिर हाजिर हुआ हूं एक नई कहानी के साथ... पढ़कर बताइएगा जरूर की कहानी कैसी लगी
यह कहानी सत्य घटना पर आधारित है मतलब जो प्राचीन काल में घटित हुआ है मैंने उसे एक काल्पनिक कहानी के साथ जोड़ दिया है अगर आप सभी आगे भी ऐसी ही सच्ची घटनाओं पर आधारित कहानी पढ़ना चाहते हैं तो जरुर से कमेंट बॉक्स में बताइएगा... मैं आगे भी ऐसी कहानियां प्रकाशित करता रहूंगा