Devil's Queen - 18 in Hindi Drama by Poonam Sharma books and stories PDF | डेविल्स क्वीन - भाग 18

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डेविल्स क्वीन - भाग 18


"क्या मुझे मेरे कमरे में बंद कर के नही रखा जाएगा?" अनाहिता ने हैरानी से पूछा।

"नही, जब तक इसकी जरूरत ना पड़े।" अभिमन्यु ने अपनी आँखें छोटी छोटी करते हुए कहा। "क्या मुझे जरूरत है तुम्हे कमरे में बंद करने की? क्या तुम नॉटी गर्ल बनने की कोशिश करोगी और भागने की कोशिश करोगी?" अभिमन्यु ने अपना सिर तिरछा कर के पूछा, शायद वोह उसे पढ़ने की कोशिश कर रहा था।

अनाहिता ने अपने चेहरे पर कोई भाव नहीं आने दिए। वोह इसके माहिर थी, अपने चेहरे के भाव बदलने में। उसे तो ऐसा ही लगता था।

"मुझे मेरा फोन वापिस कब मिलेगा?"

अभिमन्यु ने एक सिप और बीयर की ली और कहा, "देखते हैं।"

"देखते हैं?" अनाहिता अब अपना गुस्सा कंट्रोल नही कर पा रही थी। "तुमने अभी कहा की मुझे बंद करके नही रखा जाएगा।"

"हाँ सही कहा, नही रखा जाएगा। तुम आज़ाद हो घर में कहीं भी घूमने के लिए और बल्कि बाहर गार्डन में भी जा सकती हो, पर तुम्हे इस घर की बाउंड्री से बाहर जाने की इजाज़त नही है और ना ही तुम किसी से बात कर सकती हो जब तक की मैं ना कहूं।" अभिमन्यु ने अपने खाने की प्लेट सरकाई और उठ खड़ा हुआ।

अनाहिता अपने आपे से बाहर हो गई। "अगर मैं ना कहूं तो?" अनाहिता ने बगावत कर तो दी पर ना जाने क्यूं उसका दिल जोरों से उसके सीने में उछल रहा था। अगर वोह उसे गुस्सा दिला देगी तो वो क्या करेगा? पर अनाहिता दब कर भी नही रहना चाहती थी। वोह थक चुकी थी इन सब से। वोह जिंदगी भर डर डर कर नही जीना चाहती थी। वोह थक चुकी थी अपने लिए लड़ लड़ कर।

"ना कहो तो?" अभिमन्यु ने उसके नज़दीक आ कर उसके पास रखी दूसरी कुर्सी पर अपना एक पैर रख कर उसकी तरफ झुक कर पूछा।

"अगर मैं तुमसे शादी करने से इंकार कर दूं तो?"

अभिमन्यु की आँखें छोटी छोटी हो गई पर वोह अपने गुस्से को ज्यादा देर तक उस से छुपा नहीं पाया।

"क्योंकि मैं यह नही चाहती। मुझे तुमसे शादी नही करनी।"

दो पल तक अनाहिता को देखते रहने के बाद अभिमन्यु न तीसरे ही पल उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने सामने खड़ा कर दिया। उसकी चिन पर अपनी दो उंगलियों से कस कर पकड़ कर उसका चेहरा ऊपर किया ताकी वोह उसे देख सके। उसके करीब हो कर वोह उस पर झुक गया।

"तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है? तुम किसी से प्यार करती हो क्या?"

उसके सवाल पर अनाहिता को एक पल के लिए झटका लगा पर अगले ही अपने अपने आप को संभालते हुए उसने जवाब दिया, "नही।"

अभिमन्यु की नज़रे अनाहिता के पूरे चेहरे को जांच रही थी जैसे वोह कुछ समझने की कोशिश कर रहा था। अनाहिता कभी झूठ नहीं बोलती थी पर वोह यह सोच रही थी की कहीं वोह उस की बात को झूठ तो नही समझ रहा है। और अगर समझ भी रहा है तो उसे क्या फर्क पड़ता है वैसे भी इसमें भी फायदा उसी का था।

"तो फिर हम दोनो एक साथ ठीक रहेंगे," अभिमन्यु ने कहा, और अपना अंगूठा उसके निचले होंठ पर फेरने लगा।

जैसा अनाहिता का स्वभाव था उसके हिसाब से अभिमन्यु की इस हरकत पर अनाहिता को ज़ोर से चिल्लाना चाहिए था और अपने घुटने को उठा कर उस पर ज़ोर दार वार करना चाहिए था की यह खतरनाक इंसान उसे यहाँ उठा लाया था। पर इसके विपरित उसका शरीर अलग ही रिएक्ट कर रहा था। उसे उसका टच अच्छा लग रहा था। और उसके कस कर पकड़ने के बावजूद भी उसके शरीर में इलेक्ट्रिक वेव जैसा महसूस हो रहा था।

"मैं तुमसे शादी नही करना चाहती," अनाहिता ने अपने आप पर नियंत्रण रखते हुए कहा।

"हमे जिंदगी में वोह सब कुछ नही मिलता जो हम चाहते हैं," अभिमन्यु ने कहा और अपने अंगूठे को उसके होंठों से हटा कर अपनी पूरी हथेली उसके गाल पर रख दी। अब उसका अंगूठा उसके गाल को सहला रहा था।

"तुम्हे मेरे लिए गुड गर्ल बन कर रहना होगा, अनाहिता। अगर तुम ऐसा नही करोगी....अगर तुम इंकार करने की कोशिश करोगी..." अभिमन्यु उस पर और झुक गया और उसकी नाक अनाहिता के कान को दबा रही थी। "तुम्हे पनिशमेंट मिलेगी बहुत बुरी तरह, बैड गर्ल की तरह।"

गुस्से अनाहिता की मुट्ठी भींच गई। वोह जानती थी की यह आदमी उसे टूथ पिक की तरह तोड़ कर रख सकता है।

अभिमन्यु के होंठ अनाहिता के गालों को सहलाने लगे, फिर सरक कर उसके चिन पर आ गए और दूसरे ही पल उसके होंठ के बीच अनाहिता के होंठ ज़ब्त हो गए। वोह उसे प्यार से किस नही कर रहा था, वोह अभिमन्यु के स्टाइल में उसे किस कर रहा था। उस पर अपनी मोहर लगा रहा था। उस पर अपना हक जाता रहा था। अनाहिता ने उसका कोई साथ नहीं दिया। उसे लगा इस वजह से वोह चिढ़ कर उसे छोड़ देगा पर ऐसा नही हुआ अभिमन्यु ने उसे जाने नही दिया। वोह उसे लगातार चूमता रहा।

उसने उसकी गर्दन के पीछे हाथ रख दिया ताकि वोह उसे अपने करीब रख सके और उसने अपनी किस और भी ज्यादा गहरी कर दी। अनाहिता चाहती थी की वोह उस से लड़े, उसे दूर धक्का दे दे, पर इसकी बजाय की वोह क्या करना चाहती थी, वोह उसके अंदर पिघलने लगी थी। शायद यही अभिमन्यु की शक्ति थी, उसका औरा था, स्वामित्व था जो वोह उसे समझना चाहता था।

अभिमन्यु ने काफी देर बाद उसे छोड़ा, उसके चेहरे पर एरोगेंट मुस्कान थी। वोह जनता था की उसकी छुअन क्या क्या कमाल कर सकती है लड़कियों पर, और अनाहिता एक और विक्टिम थी।

अभिमन्यु जनता था की अनाहिता बस उस से छुटकारा पाना चाहती है, उसने उसके बालों पर अपनी मजबूत पकड़ बना ली और उसका चेहरा उठा कर खुद को ओर देखने पर मजबूर कर दिया।

"तुम्हे चाहे जितनी भी नफरत से मुझे देखना हो देख सकती हो, अनाहिता, पर तुम एक बात नही झुकला सकती की तुम्हारी बॉडी किस तरह से रिएक्ट करती है मेरे छूने से।

"यह बस फिजिकल रिएक्शन है और कुछ नही," अनाहिता उसे पूरी सच्चाई नही बताना चाहती थी की उसने पहले भी किस किया हुआ है पर यह वाला कुछ अलग ही था। इससे उसके होंठो पर झनझनाहट छोड़ दी थी और उसके पूरे शरीर में सिरहन सी दौड़ गई थी।

"मैं वापिस ऊपर जाना चाहती हूं," अनाहिता ने अपने दांत पीसते हुए कहा।

"फिर दुबारा आया यह शब्द। _चाहत_।" अभिमन्यु की मुस्कान चौड़ी हो गई।

"यू आर एन एसहोल।" अनाहिता ने सख्त शब्द का इस्तेमाल कर दिया, उसे उसके सीने पर धकेलने की कोशिश करते हुए।

अनाहिता के बाल अभी भी अभिमन्यु की पकड़ में थे जिस पर उसने अपनी पकड़ और मजबूत कर दी और उसे थोड़ा ट्विस्ट कर दिया जिससे अनाहिता तेज़ दर्द से कराह उठी।

"कितना गंदा मुंह है तुम्हारा।" अभिमन्यु ने उसे ऐसे ही पकड़े हुए पलट कर डाइनिंग टेबल से सटा दिया। अब उसकी पीठ टेबल की तरफ थी।

"अभिमन्यु," अनाहिता ने अपने हाथ अभिमन्यु की पकड़ पर ले जा कर कहा और उसके हाथ पर मारने लगी। "बस करो। मुझे दर्द हो रहा है।"

"तुम मेरे साथ खेलना चाहती हो, अनाहिता, मुझे एसहोल बुला रही हो। हमारे रिश्ते की यह अच्छी शुरुवात नही है।" वोह उसका मज़ाक उड़ाते हुए बोला। अनाहिता को उस पर और भी ज्यादा गुस्सा आने लगा उसे उससे और भी ज्यादा नफरत होने लगी।

"तुम हो ****। अब मुझे जाने दो!" अनाहिता ने उसे छोड़ने के लिए कहा। इस वक्त अनाहिता में बिलकुल भी हिम्मत नही थी पर वोह अपने आप को कमज़ोर नही दिखाना चाहती थी। वोह जानती थी की वोह उसके बारे में क्या सोचता था, और उसके पिता ने उस से क्या क्या कहा होगा। यही की अनाहिता बहुत आज्ञाकारी लड़की है और जो कहोगे वोह चुपचाप करती रहेगी।

"फिर से, फिर से तुमने यह कहा!" अभिमन्यु हँस पड़ा पर उसकी हँसी में कोई खुशी या मज़ा नही था। उसकी हँसी खूंखार शैतानी लग रही थी।

अभिमन्यु ने फिर से अपना एक पैर चेयर पर रखा और अपनी जलती हुई निगाहों से उसे घूरने लगा। "फिर एक बार कहो और तुम्हे मैं अपने घुटनों के बल पर टिका कर दिखाता हूं की मेरे घर में बत्तमीज लड़की के साथ क्या होता है।"

यह सुबह भी कल की सुबह की तरह ही अनाहिता के लिए बुरे सपने के जैसी थी जिसकी उम्मीद उसने नही की थी की उसके साथ ऐसा भी कुछ हो जायेगा। आखिर वोह पहुँच कैसे गई थी इस परिस्थिति में? क्यूं वोह अपने आप को रोक नहीं पाई थी, क्यों उसने उसे और उकसा दिया था?
















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कहानी अगले भाग में जारी रहेगी...
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©पूनम शर्मा