Devil's Queen - 14 in Hindi Drama by Poonam Sharma books and stories PDF | डेविल्स क्वीन - भाग 14

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डेविल्स क्वीन - भाग 14

अनाहिता बैड पर मुड़ी हुई सी सो रही थी। उसका एक हाथ उसके सिर के नीचे और दूसरा हाथ उसके दोनो घुटनों के बीच में था। उसने कंबल भी नही ओढ़ा हुआ था, उसे शायद ठंड भी लग सकती थी। हो सकता है वोह सोने के लिए नही लेटी हो बैड पर। क्योंकि उसके चेहरे पर सूखे हुए आंसुओं के निशान थे। हो सकता है वो रोते रोते ही बैड पर सो गई होगी।

आज अनाहिता कुछ अलग लग रही थी। ऑब्वियसली उसकी उम्र तो बढ़ी थी तो कुछ फर्क तो था ही। पर अब वो और भी ज्यादा खूबसूरत हो गई थी। उसके बाल और भी ज्यादा सॉफ्ट दिखाई दे रहे थे और उसका हल्का मेकअप भी ऐसा मानो वशीभूत कर दे किसी को भी।

हालांकि उसने यहाँ आने से पहले अपना सारा पार्टी मेकअप धो दिया था पर उसका नेचुरल चेहरा ही ऐसा था मानो भगवान ने उसे फुरसत से तराशा हुआ है।

कहीं ना कहीं उसे दुख था और वोह जनता था की अनाहिता बेवजह ही इन सब में पिस रही है। पर उसको ऐसे मसमियत से सोते हुए देख कर अभिमन्यु को अपने किए पर कोई पछतावा नहीं था। उसके पिता ने ही उसकी आज़ादी छीन कर उसे धोखा दिया था, विजयराज शेट्टी जैसे लोग अपनो के भी सगे नही हो सकते।

अगर आज अभिमन्यु अनाहिता को अपने साथ रहने के लिए मजबूर करता है, जैसी जिंदगी वो जीता है उसी के साथ रहने के लिए मजबूर करता है, तो फिर उसके बाद वापिस पलट कर जाने का कोई रास्ता नही होगा।

अभिमन्यु ढोंग नही कर सकता, उसे आता ही नहीं है झूठ का नकाब ओढ़ना। हाँ वोह बेरहम और गुस्से वाला जरूर है, पर उस तरह नही जिस तरह विजयराज शेट्टी है।

अभिमन्यु के लिए इनोसेंसी मैटर करती है। कम से कम अनाहिता को देखने के बाद तो करने ही लगी है। वोह जनता था की अनाहिता का बाप विजयराज शेट्टी उसका असली बाप नही है। वोह जनता था की अब जो भी अनाहिता के साथ होने वाला है वो उसे डिजर्व नही करती।

पर अब गाड़ी स्टेशन से छूट चुकी थी अब उसे रोकना मुश्किल था।

अच्छा होगा की अनाहिता अभिमन्यु की सब बात चुपचाप मानती जाए वरना उसके गुस्से का प्रकोप वोह झेल नही पाएगी। एक बहुत बड़ी कमी थी अभिमन्यु ओबेरॉय में की उसका गुस्सा उस से बर्दाश्त नही होता था और वोह अपना आपा खो देता था। वोह स्थिर जरूर रहता था लेकिन वोह गुस्से में क्या कर जाता था उसका बाद में उसे भी बहुत पछतावा होता था।

एक दिन बीत चुका था। उसने कल ही सोच लिया था की वोह उससे अगले दिन बात करेगा, इसी वजह से उसने कल का अपना सारा वक्त अपने स्टडी रूम में बिताया था।

वोह उसे मौका देना चाहता था की अनाहिता पहले रिलैक्स हो जाए वरना वो गुस्से में बस उस से सवाल ही पूछती रहेगी।

अभिमन्यु ने उसे उठाने के लिए उस कमरे की बड़ी सी खिड़की के परदे हटा दिए। बाहर से सुबह सुबह की हल्की धूप अंदर आने लगी। गर्मियों की हल्की धूप इस वक्त अनाहिता के चेहरे पर पड़ रही थी।

इतना ही बहुत होता था अभिमन्यु को गहरी नींद से जगाने के लिए, पर अनाहिता तो अभी भी गहरी नींद में सो रही थी। यहाँ तक की वोह एक इंच भी हिली नही थी। उसके गालों पर थोड़े से बालों की लटे बिखरी हुई थी जिसे अभिमन्यु ने हल्के स्पर्श से हटा दिया था।

पर यह क्या, अभी भी अनाहिता पर कोई असर नहीं ही रहा था।

क्या सच में अनाहिता अपने आस पास के लोगों पर इतना ट्रस्ट कर रही है की वोह बेफिक्र सो रही है? या फिर वोह हमेशा से ही ऐसे ही सोती है? इस लड़की अनाहिता के बारे में अभिमन्यु को ज्यादा कुछ नहीं पता था, हाँ उसने थोड़ी बहुत छानबीन जरूर की थी उसने— जो की काफी नही था।

अभिमन्यु जनता था की अनाहिता के पिता मिस्टर विजयराज शेट्टी ने अनाहिता को अपने किसी भी बिजनेस डील से दूर रखा था और उसे प्राइवेट हाई स्कूल में पढ़वाया था ताकी कम से कम लोगों की नज़र उस पर पढ़े। उसकी ग्रेजुएशन का सब्जेक्ट भी ऐसा चुना था की जिसमे हाई प्रोफाइल लोग बहुत कम ही लोग एडमिशन लेते थे।

उसकी ज्यादा तर चीजें मिस्ट्री ही रहती थी। किसी को ज्यादा कोई खबर नहीं रहती थी। और भेस बदल कर बॉडीगार्ड्स भी हमेशा ही उसके आस पास रहते थे। पर इससे अभिमन्यु ओबेरॉय को कोई फर्क नही पड़ता था। अगर वोह कुछ पता करवाने पर आ जाए तो किसी भी तरह किसी के बारे में कुछ भी पता करवा ही सकता था। पर उसे अनाहिता के बारे में पहले कुछ भी ज्यादा पता करवाने में ना रुचि थी और ना जरूरत।

“अनाहिता,” अभिमन्यु ने अनाहिता का नाम पुकारा ताकी वोह उसे उसकी नींद से जगा सके।

जब अभिमन्यु ने महसूस की की अनाहिता पर कोई असर नहीं हुआ है तो उसने उसका कंधा हल्का सा हिलाया पर वोह फिर भी नही हिली तो इस बार उसने उसका कंधा थोड़ी जोर से हिलाया।

अनाहिता अचानक हुए झटके से कूद कर बैड पर दूसरी तरफ बैठ गई और अपने हाथ अटैक की पोजिशन में ले आई। वोह नींद में अभी भी थी, इसलिए अपनी आँखों को कमरे की रोशनी के अकॉर्डिंग एडजस्ट करने लगी और फिर याद करने लगी की अभी वोह कहां है और कौनसे कमरे में है।

“मेरा तुम्हे डराने का कोई इरादा नहीं था।,” अभिमन्यु ने अपने हाथों को बांधते हुए कहा। “तुम बहुत गहरी नींद में सो रही थी।”

अनाहिता ने अपनी हथेली से अपनी आँखों को मसला। “आई एम सॉरी। मुझे पता ही नही चला की मैं कब सो गई।”

“तुम परसों भी पार्टी की वजह से रात में नही सोई थी और कल भी दिन भर तुम्हे यहाँ आने में लग गया। इट्स ऑब्वियस की तुम थक गई होगी।”

जब अनाहिता ने अपनी आँखें मसल कर अपने हाथ नीचे लिए तो उसकी आँखों में लगा हल्का सा मस्कारा भी हल्का सा फैल गया जो की उसकी आँखों के नीचे परछाई की तरह दिख रहा था पर उस की खूबसूरती में ज़रा भी कमी नहीं आई थी।

“मैं जान बुझ कर इतनी देर से नही आया हूं। मुझे काम आ गया था।” अभिमन्यु ने अपने हाथ सीधे कर अपने हाथों को पॉकेट में डाल लिया था।

इस वक्त अभिमन्यु ने अपना थ्री पीस सूट बदल कर एक सॉफ्ट लोअर और टी शर्ट पहना हुआ था। उसने महसूस किया की अनाहिता की नज़र उसी पर है मानो वो कुछ देख रही हो।





















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कहानी अगले भाग में जारी रहेगी...
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©पूनम शर्मा