मेरी मोहोब्बत..
कल खुदाने अपने इश्क का मुझसे जिक्र किया था
और तब मेने भी कई नामो से तेरा परिचय दिया था
हुआ यु था की वो मुझे वृन्दावन की राह में मिला था
मेरी मोहोब्बत के बारे में वो मुझे पूछ रहा था
मेने तुजे खुली आँखों से देखता हु वो ख़्वाब कहा था
मंदिर का दिप तुजे अली की अजान कहा था
कलम हाथ में लेकर मेने तुजे लफ़्ज़ों का कमाल कहा था
और फिर मेने तुजे बंजर मेरी बस्ती की छोटी सी बहार कहा था
खुदा से मेने तुजे मेरे मासूम जज्बात कहा था
और दिलकी रगे टूट जाए वैसे मसलों का हल कहा था
जब वो खुद का इश्क मेरे इश्क से जोड़ रहा था
वो समज गया मेने तुजे मेरी मोहोब्बत कहा था
मुझे तुमने रोक लिया होता ..
मेरे जानेसे ये सारा घर खाली हो जाएगा
हर कोना तुजे दिन रात जी भरके रुलाएगा
बहेलाओगे दिल को तो वो और उदास हो जाएगा
और तुजे सहारा देने मेरी यादो के सिवा कोई नहीं आएगा
की - तू सुबह की चाय मेरे बिना पी नहीं पाएगा
दफ्तर को देर हो गई कहकर कोई नहीं सताएगा
जिस को सही गलत बेवज़ह सुनाया करते थे
वो तुम्हारी जली-कटी सुनने फिर नहीं आएगा
की - चैन मेरा छिनकर तू सो नहीं पाएगा
मेरी एक झलक पाने को तू बेचैन हो जाएगा
काश, मुझे जानेसे तूने रोक लिया होता
अबतो खाली दीवारों के आलावा कुछ हाथ नहीं आएगा
झूठ बोल रहे हो ..
झूठ बोल रहे हो की मुझसे मोहोब्बत नहीं
सच बताओ मुझे आज तक भूले क्यों नहीं
बहानो की मेरे पास भी कभी कमी नहीं
बस, हमारी तरह तुमने हमें चाहा क्यों नहीं
इंद्रधनुष के सारे रंग गौर से बिखराए
तेरा रंग मेरी तक़दीर में आया क्यों नहीं
कम नहीं थी बंदिशे हमारी भी, तुम क्या जानो
कोनसी कमी वजह बनी क्यों हमारा प्यार जमानेसे लड़ पाया नहीं
दशक से जूठे बनकर कहते हो की - प्यार नहीं
आदत बनकर लहू में घुला प्यार खत्म होता नहीं
खत्म होता प्यार तो आप सच और झूठ में फंसते ही नहीं
मोहोब्बत नहीं है ये बताने का जाली प्रयास करते ही नहीं
तुम ही थे.. ...
भीड़मे सबके सामने नजर चुराए हुए तुम ही थे
मेरे सामने देखकर मुस्कुराए हुए तुम ही थे
ये माना की एक भी लफ्ज़ मुँह से कहा नहीं था आपने
मगर बिन कहे भी कहे गए सब कुछ तुम ही थे
सारा आलम एक ही बात दोहराते हुए तुम ही थे
की मुझसे इश्क हो गया गुनगुनाते हुए तुम ही थे
ये माना की इज़हार करनेमे जमाना लगाया था आपने
मगर कातिल अदाओं से जताते सब कुछ तुम ही थे
दहलीज पर दुल्हन की तरह ले आए मुझे तुम ही थे
बेइंतिहा चाह कर भी शराफत लुटाते हुए तुम ही थे
ये माना की सबकुछ दांव पर लगाकर दिल जीता था आपने
मगर हर लम्हा बेवजह मुझे सताते हुए तुम ही थे
मुझे ख़ुशी है ..
जब जब तू मुझे सोचकर मुस्कुराया करता था
बड़ी दूर से मेरे दिमाग में बस एक ही ख्याल आता था
मुझे ख़ुशी है जो सबके चहेरे पे ख़ुशीयां ले आता था
वो मुस्कुराने को सिर्फ मेरे ही पास आता था
जब जब तू अपना मोबाईल उठाता था
किसी न किसी बहाने से लोगो को सरे आम उल्लू बनाता था
मुझे ख़ुशी है की जरूरी काम के बहाने से तू
अपनी स्क्रीन पर मेरे ही मेसेज को बार बार दोहराता था
मेरी आवाज सुनने को तू कई फालतू के कॉल लगाता था
तेरा बेफिजूल विडिओ कॉल मेरे चेहरेकी शिकन को मिटाता था
मुझे ख़ुशी है की तू आज भी मेरी नमोजुदगीसे इंकार किए जाता है
और रेकॉर्ड की हुई मेरी आवाज सुनकर मेरी तसवीर को गले लगाता है
मुझे जान कहेकर अपनी हर तमन्ना में मुझे जीवित तू बनाता है
मिटटी के इस पार हु फिरभी मुझे तू अपनी पहेचान बताता है
मुझे ख़ुशी है तू आज भी मुझे आसमान पे बिठा कर उसी तरह मेरा ख़याल रखता है
और दिल भर जाए तो मेरी कब्र से लिपटकर मेरी रूह में तू अपनी साँसे भरता है
जो कभी मेरे बालोमे लगाता था वो फूल अब तू मेरी कब्र पर रख जाता है
मेरी चूड़ियों की खनक ना मिलने पर अपने बेकसूर दिलको पागल सा बनाता है
ये बिनती है मेरी की तुम मेरी बात सुनो,
में चाहती हु मुझे तुम जमीं से आसमान तक महसूस करो,
और प्लीज़, खुदा के वास्ते तुम हालत अपनी ठीक करो
घूट रहे हो अंदर ही अंदर जिंदगीको तुम थोड़ा तो खुल कर जिया करो
रूह मेरी तेरे अंदर तरस गयी है खुद में झांको
और अपने आप को तुम मुझसे आज़ाद करो,
मेरी जान, मेरी खातिर, मेरी तरह,... तुम मोत से पहले तो मत मरो