Mahila Purusho me takraav kyo ? - 49 in Hindi Human Science by Captain Dharnidhar books and stories PDF | महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 49 - केतकी का सच

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महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 49 - केतकी का सच

ट्रेन में केतकी की हमशक्ल युवती के बारे मे अभय जानने का प्रयास कर रहा था । किंतु युवती की मम्मी ने नाराजगी भरे लहजे मे मना कर दिया ।
अभय कनखियो से उस युवती को देख रहा था । उसे अब भी यही लग रहा था कि यह केतकी की हमशक्ल नही है , खुद केतकी ही है । फिर सोचता है केतकी की मृत्यु झूंठ भी तो नही हो सकती । अभय कुछ सोचकर .. मन ही मन अपने आपसे बाते करता है । क्यों न मै इसकी फोटो खींच लू , विडियो बना लूं । यह सोचकर वह बाथरूम के बहाने से उठा ..बाथरूम मे उसने अपना मोबाईल साइलेंट कर कैमरा ऑन कर लिया .. उस युवती व उसकी मम्मी की नजर बचाते हुए फोटो खींच लिए .. विडियो ऑन कर लिया । उसने छोटे छोटे विडियो बनाये । युवती की मम्मी बोली वेदिका ! मै बाथरूम जाकर आती हूँ ..तुम्हे भी चलना है क्या ? नही नही मम्मी आप ही हो आइए ।
उसके जाने बाद अभय साहस जुटाकर बोला ...वेदिका जी ! उस युवती ने ध्यान नही दिया वह एक फाइल के पन्ने पलट रही थी ..अभय ने फिर कहा ..वेदिका जी ! युवती ने अपनी नजरे ऊपर उठाई और बोली ..अब क्या है ? अभय बोला .. ये आपके साथ आपकी मम्मी है या सास ? युवती ने कहा ये मेरी सास है ।
आपके हसबैंड क्या करते हैं ? युवती ने कहा डॉक्टर हैं । कहां पर ? युवती ऐसा सुनकर बोली ..आपको क्या करना है यह सब जानकर ? दिल्ली में हैं..ओर कुछ ? अभय ने कहा आपका पीहर ? अब.. युवती अपनी फाइल बंद करते हुए ..बोली बहुत हो गया ..आप सवाल पर सवाल किये जा रहे हो ? अभय ने सॉरी सॉरी कहकर क्षमा मांगी ।
अभय अपने स्थान से खड़ा होकर गलियारे मे गेट के पास आ गया । अपना मोबाईल चेक किया रिकार्डिंग जांची, सब ठीक से हो गया था .. गाड़ी छोटे स्टेशन रूकी थी ..अभय ने देखा वह युवती व उसकी सास वही उतर गये थे ..उनको जाते हुए अभय देख रहा है ..उसे एक पल ख्याल आता है कि वह भी वही उतर जाये और इनका पीछा करे .... लेकिन अभय ने ऐसा नही किया ।

शाम को अभय अपने घर पहुंच चुका था । दामिनी भी अभय का इंतजार कर रही थी ..अभय ने अपने मम्मी पापा को प्रणाम किया ...और अपनी फूल सी बिटिया को गोद मे लेकर खिलाने लगा ...
दामिनी ने अभय से कहा आपके लिए चाय बनाती हूँ .. आप चाय पीकर फिर फ्रेस हो लेना .. थोड़ी देर मे दामिनी चाय बनाकर ले आई ..अभय अपने परिवार के साथ चाय पी रहा है । अभय की मम्मी अपने पुत्र को निहार रही है । अभय की मम्मी ने कहा बेटा ! तेरा रंग तो काला सा हो गया .. चेहरे पर होठो पर पपड़ी आ गयी ..अभय ने चाय पीते हुए कहा ..मम्मी यह सब बर्फीली हवा से हुआ है ..
अभय ने बात को पलटते हुए कहा .. पापा ! आप केतकी की जब मौत हुई थी तब ..आपने उसका मृत शरीर देखा था क्या ? कस्तुरी अभय की मम्मी ने चाय का कप रखते हुए कहा .. क्यों ? क्या बात होगयी ..आज मरे मुर्दे क्यों उखाड़ रहा है ? उसको जाना था चली गयी । अभय फिर बोला ..आपने मेरे प्रश्न का उत्तर नही दिया । अभय के पापा ने कहा ..नही देखा ..उसका हमारे जाने से पहले संस्कार हो चुका था .. क्यों ? क्या हुआ ? ...पापा मैने ट्रेन मे केतकी को देखा है .. वह उसकी हमशक्ल थी या केतकी ही थी पता नही ।
दामिनी पीये हुए चाय के कप उठाते हुए बोली ..अभय ! केतकी नौटंकी बाज है ..मै उसे शुरू से जानती हूँ ..वह अपने मन की करने के लिए कुछ भी कर सकती है ।
अब मुझे समझ मे आ रहा है कि उसकी मम्मी ने मेरी शादी का प्रस्ताव क्यों रखा था ? अभय ने विडियो व फोटोग्राफ दिखाये ..दामिनी ने कहा .. आप मुझ पर छोड़ दो मैं सारी सच्चाई का पता लगा लूंगी ....