Part 2 - पिछले अंक में आपने पढ़ा कि घायल पुलिस अफसर राज जंगल में पानी के लिए तड़प रहा था , अब आगे …
कहानी - एक अनोखा विवाह 2
माँ ने कहा “ नहीं घर में तो नहीं है . यहाँ से करीब एक मील दूर एक पहाड़ी नदी है . पर रात में वहां जाना बहुत मुश्किल है . घर में खाने पीने को कुछ नहीं बचा है . “
“ माँ जी , मैंने बड़ों से सुना है कि माँ का दूध अमृत होता है . उमा को बोलिये थोड़ा दूध ही मेरे दोस्त के लिए दे दे . आपलोगों की बड़ी कृपा होगी . हमने अपने सीनियर को विरलेस मेसेज भेज दिया है , कुछ घंटों में हमें सरकारी मदद पहुँच जाएगी . तब तक उमा का दूध इसे जीवन दान दे सकता है .
“ नहीं , नहीं ऐसा कैसे हो सकता है ? मैं अपना दूध किसी और को नहीं दे सकती हूँ . “ अचानक उमा चिल्ला उठी
जवान ने माँ की तरफ मदद की उम्मीद से बोला “ आप मेहरबानी कर उमा को समझाएं . “
तीन दिन से पुलिस डेरा डाले बैठा है इसका आदमी डर से बाहर नहीं निकल रहा था . आज गया है पर अभी तक न वापस नहीं आया है और न आएगा . मुझे पता है आप लोग भी पुलिस के आदमी हैं .“
“ वापस नहीं आएगा , क्या मतलब ? “
“ आपके आने के कुछ ही देर पहले एक आदमी ने आकर उसके मारे जाने की खबर हमें दिया है . पुलिस से मुठभेड़ में वह मारा गया है वापस नहीं आएगा .आप उमा के पति के कातिल हैं , ऐसे में आप हम से मदद की उम्मीद कैसे कर सकते हैं . “
“ माँ जी , आपका बेटा गलत काम कर रहा था , वह एक खूंखार उग्रवादी था . उसने सैकड़ों लोगों की जान ली है . अगर वह जिंदा रहता तो न जाने और कितनों का खून करता . उसे तो अंजाम भुगतना ही था . “
“ वह मेरा बेटा नहीं था . वह किसका बेटा है या था मैं भी नहीं जानती हूँ . मुझे उनलोगों का पुराना कमांडर कोठे से उठा लाया था . मुझे उस से एक बेटा हुआ था . करीब डेढ़ साल पहले बाप बेटा दोनों ही एक मुठभेड़ में मारे गए थे . फिर इनका नया उस्ताद किसी बात के लिए एक दिन उमा के पिता से बदला लेने गया था . पिता को तो उसने मार दिया और वह उमा को उठा कर साथ ले आया . उमा उस समय मात्र चौदह साल की थी और पंद्रह साल की उम्र में ही वह एक बच्ची की माँ बन गयी . उमा मेरी बेटी तो नहीं पर बेटी जैसी ही है . वैसे पिछले कुछ महीनों से मेरी तबीयत भी ख़राब चल रही है . एक बार उमा का आदमी मुझे डॉक्टर के पास ले गया . डॉक्टर ने कहा मुझे लिवर की बीमारी है . मुझे कोठे पर शराब पीने के लिए मजबूर किया जाता था और यहाँ भी इन लोगों की संगत में पीने लगी थी . डॉक्टर के मना करने के बाद पिछले कुछ महीनों से मैंने पीना छोड़ दिया है फिर भी पता नहीं कब तक जिऊंगी मैं . यही हम दोनों की राम कहानी है . जो भी हो वही लोग हम दोनों का पेट भरते आये थे . अब न जाने हम तीन लोगों का क्या होगा . “
तभी राज बोल उठा “ पानी , पानी . कोई मुझे दो घूँट पानी दे नहीं तो तड़प तड़प कर मेरी जान निकल जाएगी . “
राज के दोस्त ने फिर माँ को हाथ जोड़ कर कहा “ माँ , उमा को बोलो न . किसी की जान बचाना बहुत पुण्य का काम है . भगवान् उसका और उसकी बच्ची का भला करेगा . “ इतना बोल कर उस ने उमा के पैर पकड़ लिया और बच्ची के सर पर हाथ रख कर कहा “ तुम्हें इस बच्ची की कसम . मेरे दोस्त की मदद करो . तुम्हारी मदद से कुछ घंटों के लिए जरूर उसकी तड़प कम होगी और तुम्हारा दूध इसके लिए अमृत से कम नहीं है . “
फिर दौड़ कर वह एक कटोरी ले कर आया और उमा से बोला “ तुम किसी की जान बचा सकती हो . हम लोग तुम लोगों को दुआ देंगे और हमसे जितना बन पड़ेगा तुम्हारी मदद करेंगे . “
उमा अपने आँचल से आंसू पोछते हुए बुजुर्ग औरत की ओर सवालिया निगाहों से देखने लगी . वह बोली “ बेटी इस ज़ख़्मी के लिए कुछ दूध निकाल कर दे दे . “
उमा उस कटोरी के ले कर झोपड़ी के कोने में गयी , कुछ देर बाद अपने स्तन से दूध निकाल कर ले आयी और बोली “ थोड़ा ही दिया है मैंने . आजकल खाने की कमी से दूध भी पूरा नहीं होता है और फिर इस नन्ही बच्ची को भी तो दूध चाहिए . “
जवान ने कटोरी लेते हुए कहा “ तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया . हो सकता है यही दूध राज के लिए संजीवनी बन जाए . “
जवान ने राज के मुंह में धीरे धीरे उस दूध को पिलाया . राज को कुछ चैन मिला होगा वह सो गया .कुछ देर में सुबह हो गया . इत्तफ़ाक़ से मौसम बहुत अच्छा था . कुछ देर बाद उस झोपड़ी से थोड़ी दूर पर पुलिस का एक हेलीकॉप्टर उतरा . वे लोग राज और उसके साथी को हेलीकॉप्टर से ले कर जंगल से निकल गए . जाने के पहले पुलिस के जवान ने उमा की माँ को कुछ रूपये दिए और कहा “ इन रुपयों से उमा और उसकी बेटी के लिए कुछ दिन काम चल जायेगा . वैसे शहर आ कर हमलोग से मिलोगी तब शायद हम तुम्हारी कुछ और मदद कर सकेंगे . तुम लोग चाहो तो हमारी पार्टी के अन्य सदस्य के पीछे पीछे चल कर आ सकती हो . “
एक दूसरे जवान ने कहा “ हाँ , यही बेहतर होगा क्योंकि इनके अकेले बाहर जाने में खतरा है . इस गैंग के कुछ सदस्य भागने में कामयाब रहे हैं . हो सकता है वे आस पास जंगलों में छुप कर हमारी गतिविधियों को देख रहे हों . उमा और माँ जी को हमारे साथ जाते देख कहीं उनके मन में शक़ न हो कि ये हमारे कुछ भेद के बारे में पुलिस को बता दें . इस डर से कहीं इन को न जाने दें या इन पर फायरिंग कर दें . अगर ये हमारे साथ चलेंगी तो उन्हें फायरिंग करने के पहले सौ बार सोचना पड़ेगा क्योंकि जवाबी फायरिंग में बचे खुचे उग्रवादियों का भी सफाया हो जायेगा . “
उमा अपनी माँ के साथ पुलिस पार्टी के संरक्षण में जंगल से निकल कर बाहर शहर में आयी .जब पुलिस ने उन से मामूली पूछताछ के दौरान उग्रवादियों के अन्य ठिकानों या गतिविधियों के बारे में जानकारी लेनी चाही तब आँखों में आंसू भरे दोनों ने कहा “ हमारे साथ जो भी रहता था वह कहीं भी जाने के पहले हम लोगों को बाहर से ताला बंद कर जाया करता था . उनकी अन्य कामकाज या ठिकानों की हमें कोई जानकारी नहीं है . हाँ उनके बंदूक और चाल चलन देख कर हमें पहले ही पता था कि ये अच्छे लोग नहीं हैं , ये आतंकी या उग्रवादी गैंग के आदमी हो सकते हैं . आप लोग हमारा विश्वास करें ,सर . “
कुछ देर के बाद पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया और एक पता देते हुए कहा “ तुम इन से जा कर मिलो . वहां तुमको कुछ न कुछ काम मिल जायेगा जिस से फिलहाल तुम लोगों का गुजारा हो सके . “
क्रमशः