Part 1 - एक आदमी की जान बचाने के लिए एक औरत ने उसे अपना दूध पिलाया और आगे चल कर ….
कहानी - एक अनोखा विवाह
Part 1 - एक आदमी की जान बचाने के लिए एक औरत ने उसे अपना दूध पिलाया और आगे चल कर ….
उस दिन राज की पुलिस ट्रेनिंग समाप्त हो रही थी . एक समारोह में राज व अन्य ट्रेनी अफसरों को सब इंस्पेक्टर का स्टार बैज मिलना था . उसके माता पिता भी इस समारोह एवं उत्सव में अपने इकलौते बेटे को देखने गए थे . समारोह समाप्त होने बाद उसी रात राज व उसके माता पिता रात की गाड़ी से घर लौट रहे थे .राज अपने साथियों के साथ अलग कोच में था और उसके माता पिता किसी दूसरे कोच में . उनकी गाड़ी घने जंगलों के बीच सन्नाटे को चीरते हुए गुजर रही थी . उस जंगल में उग्रवादियों के छिपे होने की आशंका बनी रहती थी . तभी अचानक एक जोरदार धमाका हुआ .विस्फोट की आवाज से डर कर रात्रि में ही पक्षी अपने घोंसले से निकल पड़े और कुछ जानवर भी चिल्लाने लगे . जिस कोच में .राज के माता पिता बैठे थे वह कोच उस भयंकर विस्फोट में बुरी तरह छतिग्रस्त हो गया था . .राज के माता पिता के अलावा उस कोच में बैठे अधिकांश यात्रियों की मौत घटनास्थल पर हो गयी थी . उस कोच के आगे पीछे के कोच को भी काफी नुकसान हुआ था पर राज का कोच लगभग सुरक्षित था हालांकि पटरी से उतर जाने के कारण कुछ लोगों को मामूली चोटें आयीं थीं . कुछ अन्य कोच भी पटरी से उतर गए थे .
ट्रेन में सवार यात्रियों को दुर्घटना का आभास हो गया था , सभी यात्री बहुत डरे हुए थे . चारों तरफ अफरा तफरी का माहौल था , कहीं से घायलों की चीखें आ रहीं थीं तो कहीं मलवा बिखरे पड़े थे तो कहीं लाशें . कुछ अपने कोच में सहमे बैठे थे तो कुछ उतर कर हाथों में टोर्च लिए अपने प्रिय जनों को ढूंढ रहे थे . राज भी अपने माता पिता को ढूंढते किसी तरह उनके कोच तक गया . उस कोच की हालत देख राज को माता पिता के कुशल होने की कोई उम्मीद नहीं थी , और हुआ भी वही . राज ने उन्हें खिड़की से देखा , दोनों कोच में लहूलुहान नीचे गिरे पड़े थे . उसने उन्हें बहुत आवाज दी पर कोई जवाब नहीं मिला उसके माता पिता तो अंदर निर्जीव पड़े थे पर कोच के अंदर जाना सम्भव नहीं थी . सवेरा होने पर ही घटनास्थल तक सहायता पहुंचने की उम्मीद थी . खैर दिन में रिलीफ ट्रेन आयी . घायलों को निकाल कर उन्हें निकटतम अस्पताल में भेजा जा रहा था . कुछ डिब्बों को काटने के बाद ही अंदर जाना संभव था . राज के माता पिता के पार्थिव शरीर को भी कोच को काट कर निकाला गया . कुछ कानूनी प्रक्रिया के बाद राज को माता पिता के शव को सौंप दिया गया . राज ने अब तक नियति से समझौता कर चुका था .
माता पिता के अंतिम संस्कार संपन्न होने के बाद राज को ड्यूटी पर रिपोर्ट करना था . इत्तफाक से उसकी ड्यूटी उसी जंगल में हुई जहां के ट्रेन हादसे में उसने अपने माता पिता को खोया था . सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट फाॅर्स के संयुक्त ऑपरेशन का वह भी एक सदस्य था . वह जंगल बहुत घना था और उसी में उग्रवादी के छुपने का अड्डा था . पहाड़ की तराई में वह जंगल था . जंगल के आस पास की बस्ती में रहने वाले लोगों में एक पुलिस का भरोसेमंद मुखबिर भी रहता था . उसी से मिली गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने यह ऑपरेशन शुरू किया .
दो दिनों तक राज की पुलिस पार्टी घने जंगलों में उग्रवादियों की तलाश कर चुकी थी . उसी रात उन्हें वायरलेस पर उग्रवादियों के लोकेशन की कुछ सूचना मिली . रात में राज भी अपनी पार्टी के साथ आगे बढ़ा . जंगल में सन्नाटा था , बीच बीच में कभी किसी पक्षी की आवाज सुनाई देती . तभी उग्रवादियों ने पुलिस पार्टी पर गोलियों की बौछार शुरू कर दी , अंधियारे को चीरती रह रह कर गोलियों की आवाजें गूंजती तो कभी चिंगारी की चमक दिखती . पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए फायरिंग किया . कुछ देर बाद राज को गोली लगी . सौभाग्यवश गोली उसके सीने में नहीं लगी पर उसकी जांघ में एक गोली लगी . राज ने हिम्मत नहीं हारी और उसने भी गोली चलाते हुए उग्रवादियों का डट कर मुकाबला जारी रखा . तभी एक दूसरी गोली भी उसकी बांह में लगी . दोनों ज़ख्मों से काफी खून बह रहा था . वह अब मुकाबला नहीं कर सकता था . पर पार्टी के अन्य सदस्य लगातार गोलियों की बौछार करते रहे . थोड़ी देर बाद दूसरी तरफ से गोलियां आनी बंद हुईं तब उनका ध्यान राज पर गया . काफी खून बह जाने के कारण वह शिथिल लगभग बेहोश पड़ा था . उसके साथियों ने राज के ज़ख्मों पर अपने रूमाल से पट्टी बाँध दिया पर तब तक काफी खून बह चुका था .
राज के एक साथी के पास नाम मात्र का पानी बचा था , किसी तरह उसके मुंह में पानी की कुछ बूँदें जाने के बाद उसने आँखें खोलीं . उसके अन्य सदस्य गोलियों की दिशा में उग्रवादियों की तरफ बढ़े . दो उग्रवादियों के शव मिले बाकी अँधेरे और घने जंगल के सहारे भाग गए थे . अब पार्टी के सामने राज को बचाने की समस्या थी . उन्हें बाहर से मदद सवेरा होने के बाद सम्भव था , अभी भी सवेरा होने में चार घंटे बाकी थे . तभी कुछ दूर पर उन्हें हल्की रोशनी की झलक मिली . एक जवान राज को कंधों पर उठा कर उस दिशा में बढ़ा . रौशनी एक झोपड़ी से आ रही थी .
राज को ले कर उसका मित्र उस झोपड़ी में गया . राज दर्द से कराह रहा था . वहां एक किशोरी लड़की गोद में लिए अपने बच्चे को दूध पिला रही थी . उसके आँखों से आंसू बह रहे थे . उस जवान को देखने में लगा लड़की की उम्र बहुत कम है , यह कैसे उस बच्चे की माँ हो सकती है . उस लड़की के पास एक बुजुर्ग औरत भी बैठी थी . जवान ने पूछा “ तुम लोग कौन हो और यह बच्चा किसका है ? “
¨ यह उमा है और उसकी गोद में उसी की नन्ही बेटी है . हमारी कहानी बहुत लम्बी है . आप लोग यहाँ क्यों आये हैं ? ¨
तभी राज ने धीमी आवाज में कराहते हुए पानी माँगा .
“ हम दोनों पुलिस के जवान हैं , मेरा दोस्त बुरी तरह ज़ख़्मी हो गया है . सरकारी मदद कल सुबह तक ही मिल सकती है . तब तक कुछ आराम कर लेंगे और कुछ भी खाने पीने को बचा है तो हमें दो . “
माँ ने एक घड़े की तरफ इशारा कर कहा “ देख लीजिये उसमें कुछ पानी बचा हो तो पी लें . और बगल में रखे एलुमिनियम की हांडी में कुछ भात बचा होगा , उसे खा सकते हैं . ¨
जवान ने राज को एक टूटे खाट पर किसी तरह सुलाया . उस घड़े में कुछ घूँट ही पानी बचा था और हांडी में नाम मात्र के चावल . उसने खुद दो घूँट पानी पीकर बाकी के चंद घूँट राज को पिलाया . फिर एक कटोरे में थोड़ा चावल और नमक मिला कर राज को बोला ¨ ले कुछ खा ले . “
राज किसी तरह धीमी आवाज में बोला “ मुझसे कुछ खाया नहीं जाएगा , मुझे कुछ और पानी दो . कंठ बुरी तरह सूख रहा है , लगता है इस जंगल से अब जीवित बच कर नहीं निकल सकता हूँ . ¨
जवान ने उमा से पूछा ¨ कुछ और पानी मिल सकता है ? “
क्रमशः