आशा ने अपनर्मन में सोचा जरूर था लेकिन शेखर से वह यह बात कह नही स्की थी।इसके पीछे भी कारण था।उसके माता पिता नही चाहते थे वह शेखर से शादी करे.।शेखर दूसरी जाति का था।लेकिन घरवालों के विरोध के बावजूद आशा ने शेखर से शादी कर ली थी।इसलिए उसके घरवालों ने उससे सम्बन्ध तोड़ लिए थे।
वह शिक्षित थी।पति को छोड़ने के बाद वह अपने पैरों पर खड़ी हो सकती थी।लेकिन पतीत्यक्ता का लेबल लगने पर भविष्य में उसकी बेटियों के सामने दिक्कत आ सकती थी।
आशा ,कामिनी से मिलने इसलिए गयी थी ताकि वह कोई भी निर्णय करे तो सोच समझकर करे।
आशा तो चली गयी लेकिन फिर कामिनी का कही जाने का मन नही हुआ।वह पूरे दिन कमरे में पड़ी रही।जैसे ही घड़ी ने पांच बजाए वह शेखर का इन्तज़ार करने लगी।कामिनी का घर शेखर के घर के रास्ते मे पड़ता था।इसलिए वह अपने घर जाते समय उसके यहां जरूर आता था।वह रोज की तरह आया था।कामिनी रोज उसका इन्तज़ार करती और उसके आने पर मुस्कराकर स्वागत करती।लेकिन आज ऐसा नही हुआ।आज वह शेखर के आने पर भी चुप खामोश रही।तब शेखर उसके चेहरे को निहारते हुए बोला,"क्या बात है कामिनी?आज तुम्हारा मूड सही नही लग रहा।तुम उखड़ी उखड़ी परेशान लग रही हो।"
"तुम्हे यहाँ नही आना चाहिए।'
"क्यो?"शेखर ,कामिनी की बात सुनकर बोला।
"तुम्हारे यहाँ आने पर लोग क्या कहेंगे?तरह तरह की बाते बनाएंगे।"
"प्यार किया तो डरना क्या?हम एक दूसरे से प्यार करते है।फिर लोगो की चिंता क्यो करे?बातें बनाते है तो बनाने दो।"
"ऐसे प्यार से क्या फायदा जिसमे मिलन न हो।प्रेम करने वाले एक न हो सके।"
"यह तुमने कैसे सोच लिया कि हमारा मिलन नही होगा।हमारा मिलन होगा और जरूर होगा,"शेखर बोला,"मैं शादी करके तुम्हे अपनी जीवन संगनी बनाऊंगा।"
"शेखर मैं तुम्हारी पत्नी बनने के लिए तैयार थी।पर सौतन बनने के लिए नही।""
"कामिनी यह तुम क्या कह रही हो?"कामिनी की बात सुनकर शेखर बोला।
"शेखर तुमने मुझे कभी नही बताया कि तुम विवाहित हो।"
"तुमसे किसने कहा कि मैं विवाहित हूँ।"
"आशा ने।"
"कौन आशा?"
"आशा को नही जानते।अपनी पत्नी आशा को,"कामिनी बोली,"तुम्हारी पत्नी आशा आयी थी।और पत्नी के रहते हुए तुम मुझे अपनी बनाने की बात कर रहे हो।मुझे सौतन बनाना चाहते हो।'
"मैं तुम्हे सौतन नही पत्नी बनाऊंगा।'
"कैसे?"
"मैं तुम्हे अपनी बनाने से पहले आशा को तलाक दे दूंगा।"
मतलब मुझे पाने के लिए तुम आशा को त्याग दोगे,"शेखर की बात सुनकर कामिनी बोली,"भविष्य में अगर तुम्हें कोई और औरत पसन्द आ गयी तो उसे अपनी बनाने के लिए मुझे तलाक दे दोगे"।""
"कामिनी यह तुम क्या कह रही हो।"
"शेखर यह प्यार नही वासना हैं।मेरे सुंदर शरीर को तुम पाना चाहते हो,"कामिनी बोली,"सच्चे प्यार में समर्पण होता है।स्थायित्व होता है।शेखर तुम्हारी भलाई इसी में है कि तुम मुझे भूलकर आशा के ही बने रहो।'
"क्या कोई और रास्ता नही है कि हम एक हो सके?'"
"नही,"कामिनी बोली,"हम तीनों का हित इसमें है कि तुम मुझे भुलाकर पत्नी के प्रति समर्पित रहो।'
"कामिनी क्या यह तुम्हारा अंतिम फैसला है?"
"हा शेखर।मैं चाहती हूं तुम मुझे भूल जाओ और भविष्य में कभी मुझसे मिलना मत।'
कामिनी ने अपना फैसला सुना दिया था।शेखर से कह दिया था।उसे भूल जाये।
क्या वह उसे भुला पाएगी।शेखर उसका पहला प्यार था।कोई भी औरत पहले प्यार को भुला नही पति