" यस फाइनली ये हो गया ..... मैने कर दिखाया....मुझे यकीन नही हो रहा है की मैने ये कर दिया....."
किंजल खुशी से उछलने लगी...
" ओहो इतना उछल क्यों रही हो...! "
रीमा जी ने किंजल के पास आते हुए कहा...
" मम्मी मम्मी आई एम सो हैप्पी...." किंजल रीमा जी को खुशी से घुमाने लगी...
" क्या हुआ ये तो बताओ...! "
" मां आपकी बेटी ने कितना बड़ा काम कर दिखाया है ये आप सोच भी नही सकती...! "
" वही काम ना जो तुम दिन रात अपने लैपटॉप में करती रहती थी ?"
" हा हा वही मां...."
" तो फिर वो काम क्या था वो तो बता पहले...! "
" मम्मा ये कोई मामूली काम नही था ... बहुत ही मुश्किल काम था .. में कितने सालों से इस पर काम कर रही थी... और इतने साल की मेहनत के बाद फाइनली यह ऐप तैयार हो गई है..! "
" ऐप ? पर कौन सी....? "
" इस ऐप का नाम है ' MED HELP ' "
"हैं ? ये कैसा नाम है ...भला ? "
" मम्मा MED मतलब मेडिकल अब आप मेडिकल के कोई भी काम इस ऐप की मदद से कर सकती है । "
" पर वो कैसे ....? "
" देखिए मोम जब हमें कुछ बनाने का मन नही होता है तो हम कैसे फूड ऑनलाइन ऑर्डर करते है और वो फूड कुछ ही घंटे में हमारे घर पर डिलीवर भी हो जाता है .. ऐसे ही इस ऐप की हेल्प से हम मेडिकल रिलेटेड कोई भी काम घर बैठ कर कर सकते है... जैसे की आपकी मेडिसिन मंगवानी है, आपका बीपी या फिर ग्लूकोज चेक करवाना है , किसीको अर्जेंट खून की जरुरत है या फिर किसीकी तबियत बहुत खराब हो गई है और उसे तुरंत डॉक्टर की जरुरत है तो हम इस ऐप की मदद से डॉक्टर भी बुला सकते है...." किंजल एक ही सांस में इतना कुछ बोल गई...
" ओह बापरे इस एक एप की हेल्प से इतना कुछ हो सकता है ? "
" हा मां ये तो मैने कुछ ही एग्जांपल दिए है इस ऐप की मदद से ऐसा कोई भी मेडिकल का काम नही है जो हम नही कर सकते! "
" शाबाश बेटा! ये तो तुमने बहुत बड़ा काम किया है मेरी बेटी .... आई एम प्राउड ऑफ़ यू...." रीमा जी ने किंजल को गले लगा लिया..
" थैंक यू मोम.... " किंजल ने प्यार से कहा...
" मोम में अभी आती हु...." कहकर किंजल कही जाने लगी...
" ओहो इतनी रात को कहा जा रही हो....? "
" आती हु बस कुछ ही देर में...."
बोलकर किंजल चली गई...
दस बज चुके थे और करन अपने कमरे में आराम कर रहा था प्रीता और राघव बाहर होल में बैठकर टीवी देख रहे थे... तभी दरवाजे की घंटी बजी...
प्रीता ने जाकर दरवाजा खोला तो सामने किंजल खड़ी थी...
किंजल अपने सामने प्रीता को देखकर हैरान थी...
" ये तो करन की मोम है ... ये कब आ गई...? "
किंजल ने मन में सोचते हुए कहा...
" हा बेटा किसका काम है ? "
प्रीता ने किंजल को नही पहचाना था...
" हैलो आंटी... में किंजल , करन की दोस्त... यही पास में रहती हु..." किंजल ने मुसकुराते हुए कहा..
" हैलो बेटा आओ ना...! "
किंजल अंदर आई... राघव को देखकर किंजल ने उनको भी नमस्ते किया...
किंजल दोनो के सामने बैठी....
" अंकल आंटी क्या में आपसे एक सवाल पूछूं? "
" हा बेटा पूछो ना...."
" में कल यहां आई थी तब तो मैंने आपको नही देखा था..."
" ओह तो तुम आई थी... मैने करन से पूछा तो उसने कहा की कोई नही था...! "
" ह ह... जूठा कहिका...." किंजल ने मन में ही मुंह बिगाड़ते हुए कहा..
" वो तब में शायद बाथरूम में थी और राघव टेरेस पर गए थे...."
ठीक है आंटी....
" करन कहा है ? " किंजल ने एक नजर करन के रूम पर डालते हुए कहा...
" वो आराम कर रहा है अभी बुला के लाती हु...."
कहकर प्रीता करन को बुलाने चली गई...
" तो बेटा आप ने क्या पढ़ाई की है ? " राघव जी ने चुपकी तोड़ते हुए कहा...
" फार्मेसी.... कैनेडा में ही... वो में और करन एक ही कॉलेज और क्लास में थे"
" अच्छा...! करन ने कभी बताया नही तुम्हारे बारे में..."
" दोस्त होती तो बताता ना ...." किंजल धीरे से फुसफुसाई...
" क्या ? "
" कुछ नही ... अब वो तो आपके बैठे को ही पता होगा ना.. की उसने मेरे बारे में क्यों आपको नही बताया..."
किंजल ने हस्ते हुए कहा...
तभी करन वहा पर आ गया...
करन किंजल के पास आकर खड़ा हो गया...
" क्यों ? तुम तो मुझसे नाराज थी ना फिर क्यों यहां आई ? " करन ने धीरे से किंजल के कान में कहा...
" मुझे कोई शोक नही है वो तो बस में यहां तुम्हे एक गुड न्यूज़ सुनाने आई हु...." किंजल ने भी धीरे से कहा...
" बेटा यहां पर बैठो ना...." प्रीता के कहने पर किंजल उनके पास जाकर बैठ गई... करन भी किंजल के बिल्कुल सामने बैठ गया...
" अंकल आंटी... एक बहुत बड़ी गुड न्यूज़ है जो में आप सबको कहने आई हु..." किंजल ने खास करन की तरफ देखकर कहा...
" गुडन्यूज ? कही वो तुम्हारी उस ऐप के बारे में तो नही है ? "
करन ने कुछ सोचते हुए कहा...
" हा सही कहा .... फाइनली मैने उस एप को बना दिया ..!! आई डिड ईट.... " किंजल ने खड़े होकर बड़ी खुशी के साथ कहा....
" ओ एम जी.... वाउ...! तुमने कर दिखाया... Congratulations.... " करन भी यह सुनकर बहुत खुश हुआ .... और उसने खड़े होकर किंजल को गले से लगा लिया...
" थैंक यू...."
तभी दोनो को याद आया की सामने प्रीता और राघव भी खड़े है तो दोनो एकदम से दूर हो गए और नीचे नजरे जुकाए खड़े हो गए...
प्रीता और राघव ने एक दूसरे की और देखा और फिर मुस्कुराने लगे ..
" अरे भई हमे भी तो बताओ ये किस एप के बारे में बात हो रही है ..."
राघव और प्रीता को कुछ समझ नही आ रहा था की ये सब क्या हो रहा था...
" में बहुत सालो से एक एप बनाने की कोशिश कर रही थी " MED HELP ' और आज फाइनली में उसे बनाने में कामयाब हो गई... इस ऐप की मदद से आप कोई भी मेडिकल का काम घर बैठकर कर सकते है...."
" ओह गॉड...." किंजल ने चिंता के साथ अचानक से कहा..
" क्या हुआ...? " करन ने किंजल को इस तरह देखकर पूछा...
" में तो यह भूल ही गई की मुझे इस ऐप की परमिशन के लिए बैंगलोर जाना होगा.... "
" हा तो ? "
" में वहा पर अकेले सब कैसे मैनेज करूंगी...? "
" क्यों तुम्हारे भाई या पापा कोई नही है साथ ? "
प्रीता का सवाल सुनकर किंजल और भी ज्यादा परेशान हो गई...
" नही पापा साथ नही है और मेरा भाई एक बड़े प्रोजेक्ट में है तो वो नही आ सकता और मेरी बहन प्रेगनेंट है... मां को इन सब चीजों के बारे में कुछ पता नही है... " किंजल ने उदास होकर कहा...
" कोई बात नही... करन तुम साथ चले जाना किंजल के साथ..." राघव ने अपनी गुगली फेंक दी थी...
यह सुनकर करन आश्चर्य के साथ राघव की और देखने लगा...
" पापा में मैं कैसे...? " करन ने हड़बड़ाते हुए कहा...
किंजल ने वही उदास चहेरे के साथ करन की तरफ देखा...
करन से किंजल की उदासी देखी नही गई...
" ठीक है में आऊंगा.. तुम्हारे साथ..."
" कोई बात नही करन .. तुम बिना मन के मेरे साथ मत आओ में खुद मैनेज कर लूंगी..."
" नही बेटा... वो आएगा तुम्हारे साथ... तुम बेफिक्र होकर बैंगलोर जाने की तैयारी करो..." प्रीता ने हस्ते हुए कहा...
यह सुनकर करन आंखे फाड़े प्रीता की तरफ देखने लगा...
" ठीक है कब जाना है ? " करन को अच्छा तो नही लगा था पर उसने प्रीता और राघव के कहने पर मन ना होते हुए भी किंजल से पूछा..
" परसो जाना है..."
" ठीक है " बोलकर करन अपने कमरे में चला गया...
किंजल उसे जाते हुए देखती रही... वो भी समझ गई थी की करन नही चाहता था उसके साथ आना ...
" तुम ज्यादा सोचो मत करन के बारे में तुम तो उसकी दोस्त हो उसे जानती हो की वो कैसा है ..! " राघव ने किंजल के कंधे पर हाथ रखकर कहा..
" हम... " बोलकर किंजल भी अपने घर वापस चली गई...
इस तरफ संजना बाहर होल में टहल रही थी और कब से दरवाजे की तरफ देख रही थी....
अनिरूद्ध नीचे आया तो उसने संजना को परेशान देखा तो उसके पास चला आया..
" संजू ... सौरभ आ जायेगा... तुम प्लीज आराम करो..."
" नही अनिरुद्ध... वो कभी इतनी देर तक बाहर नहीं रहता.. वो जिस तरह यहां से गया था मुझे नही लगता वो आएगा..."
" ठीक है एक काम करते है में उसे ढूंढकर लाता हु.. पर तब तक तुम अपने कमरे में आराम करो..."
" ठिक है..."
अनिरूद्ध के कहने पर संजना कमरे में चली गई और अनिरुद्ध सौरभ को ढूंढने बाहर चला गया ... शायद वो ज
जानता था की उसे सौरभ कहा मिलने वाला था....
🥰 क्रमश: 🥰