Hum Dil de chuke Sanam - 12 in Hindi Love Stories by Gulshan Parween books and stories PDF | हम दिल दे चुके सनम - 12

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हम दिल दे चुके सनम - 12

"अरे मैडम जी चेहरा तो चांद की तरह चमक रहा है, कौन सी क्रीम लगाती हैं आप" इसमें से एक लड़के ने उस पर नज़र जमाते हुए कहा और बाकी लडको के साथ में ताली बजाकर हंसने लगे और अनुष्का के आगे पीछे करने लगे

ये घटिया हरकत तुमलोग अपनी मां बहन के साथ करो जाकर, अगर तेरे अंदर अपनी बहन के साथ यह करने की हिम्मत नहीं है तो किसी और लड़की को परेशान मत करो अनुष्का की आंखों में खून उतर आया था। अभी अनुष्का अपनी बात खत्म करके मुड़ी ही थी की इनमे से एक लड़का अनुष्का का हाथ पकड़ लिया।

इतनी ही देर में वहां लोगों की भीर लगनी शुरू हो गई लोग मामला खत्म कराने की जगह खामोशी से तमाशा देख रहे थे। यही तो होता है कि हम जब भी आसपास कहीं भी बुरा होता है देखते हैं तो खामोशी से तमाशा देखते हैं यही हमें बचपन से सिखाया जाता है कि अपने काम से काम रखो भले किसी के साथ कितना भी बुरा हो रहा है। थोड़ी ही देर में अनिल भी वहां पहुंच गया और उस लड़के से अनुुष्का का हांथ छुड़वाने लगा। अनिल उस लड़ने से लडने के बजाय उससे माफी मांगना शुरू कर दी। अनिल बुुुजदिल नही था बस उसे अनुुष्का को सही सलामत उसके घर पहुँचआना था इसलिए वह मामला को रफा-दफा कर देना चाहता था।

अनुुष्का भी चुप करके अनिल साथ चलने लगे और इसी बीच एक बदमाश लड़का बोला जा जा ले जा अपनी रखेल को अनुष्का ने यह शब्द सुनते ही अपना हाथ अनिल के हाथ से छुड़ाया और उनकी तरफ बढ़ी और अपना हाथ लड़के के गर्दन पर दे मारी। उसको मालूम था कि हाथ को गर्दन पर किस जगह मारने से नस दब जाती है। आखिर को अपने स्कूल में कराटे की चैंपियन रह चुकी थी और बदमाश अचानक लड़खड़ा कर नीचे गिर पड़ा और वहा पर सभी लोग तालियां बजाने लगे। इतने में सिक्योरिटी वाले भी आ गए और बदमाशों के गिरोह को पकड़कर ले गए। अनिल ने इस बदमाश को ढेर होता देख कर दो कदम पीछे हट गया और सोचने लगा यह सर ने मुझे इसकी हिफाजत के लिए भेजा है या इससे लोगों की हिफाजत के लिये। अनिल जो खरा खरा हैरानी से सारे चीज़े होते देख रहा था। कुछ ही देर में अनुष्का इसके पास आई और बिना कुछ कहे उसका हाथ पकड़कर खींचने के अंदाज में बाहर गेट की तरह बढ़ गई। अनिल भी उसके पीछे पीछे चल पड़ा।

गलती से भी पता चल गया कि मुझे इसके पापा ने इसकी हिफाजत के लिए भेजा है तो मेरा तो खैर नहीं है।इतने में अनुष्का किसी को कॉल लगाने लगी।

"किसे कॉल लगा रही हो" अनिल ने घबराते हुए पूछा।

"पुलिस को"

क्यों???

"तुम्हे अंदर करवाना है"

"मैने क्या क्या है???

इतनी देर में अनुष्का फोन पर बात करने लगी वह किसी को एड्रेस समझा रही थी

"एक लड़की परेशानी में फंसी थी तुम इस बदमाश को कुछ कहने की वजह से माफी मांग रहे थे, तुम्हें पता भी है कि क्या किया था इसने" अनुष्का ने फोन रखते हुए अनिल को जवाब दिया।

"यार मैं बस चाह रहा था कि सब सॉर्ट आउट हो जाए मुझे पता है गलती इनकी थी मगर गंदे लोगों के साथ गंदा नहीं हुआ जाता

"मालूम है गंदे लोग सब गंदा नहीं हुआ जाता लेकिन इस गंदगी को खत्म किया जा सकता है ना और अगर मेरी जगह तुम्हारी बहन होती तो...

"तब भी मैं यही करता" अनिल ने अनुष्का की बात खत्म होने से पहले जवाब दिया।

"वैसे मैंने गाड़ी मंगवाई है"

"ठीक है तुम इसमें सेफ घर पहुंच जाओगी मैं रिक्शा में चला जाता हूं और इतनी देर में गाड़ी भी आ गई।

"नहीं आप भी मेरे साथ जाएंगे चलिए बैठिए" अनुष्का ने गाड़ी गेट खोला।

"नहीं मैं नहीं जा सकता मुझे कहीं और जाना है और आपको कहीं और" अनिल कहते हुए रिक्शा लेने के लिए आगे बढ़ गया और आगे रिक्शा कराने लगा रिक्शा करते ही वह इस में बैठकर नजरों से ओझल हो गया और और अनुष्का उसे नजरों से ओझल होता देखकर गाड़ी में बैठ गई थोड़ी देर में घर पहुंच गई और फ्रेश होकर सो गई।

शाम को सब चाय पी रहे थे अनुष्का अमरीका में गुजारे हुए लम्हों का को बता रही थी और अंश और अंशिका की शरारते, वहां पर बीते हुए एक एक पल एक-एक चीज सबको बता रही थी बातो बातो में इसने अनिल के बारे में भी सबको बताने लगी।

"बेटा नाम क्या था इसका?? मिस्टर मालिक ने पूछा

"अनिल अनुष्का ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

मिस्टर मालिक नाम सुनकर चाय पीते पीते पूछा" क्या नाम बताया तुमने"

"अनिल पापा वह बहुत अच्छा है वह पता नहीं अब दोबारा कभी मुलाकात होगी भी की नहीं" बोलते हुए उदास हो गई।

"चाय तो पी लो" मिसेज मालिक ने कहा।

"बेटा जरा इधर आओ मिस्टर मालिक ने अनुष्का को अपने पास बुलाया अनुष्का जो सामने वाले सोफे पर बैठी थी उठकर अपने पापा के पास में आकर बैठ गई थी।

"जी पापा"

"बेटा एक बात करनी थी तुमसे" मिस्टर मालिक अनुष्का को देखते हुए बोले

"बोलिए न पापा" अनुष्का ने कहा।

बेटा अनिल के मैंने भेजा था तुम्हारी सुरक्षा के लिए और मैंने कहा था कि तुम इससे छुप कर रहना कर मिस्टर मालिक जल्दी जल्दी बोल रहे थे

"पापा आपने भेजा था उसे" अनुष्का ने हैरानी से पूछा

"हां बेटा हमलोग तुम्हे अकेले इतनी दूर कैसे अकेले भेज सकते थे" मिसेज मालिक बोली

"हां बेटा मेरे ऑफिस में काम करता है" मैने सभी तरह जांच पड़ताल करके ही भेजा था।

मुझे तो अभी भी यकीन नही आ रहा है पापा की आपने इसे भेजा था, वैसे अच्छा काम किया आपने" अनुष्का कहते हुए जोर से हंसने लगी।

"हमें तो लग रहा था तुम्हें पता चलेगा तो तुम बहुत गुस्सा करोगी इसलिए बहुत डर डर के बताया अभी भी" मिस्टर मालिक ने अनुष्का के चेहरे पर हंसी देखकर कहा।

"अरे नहीं पापा मैं गुस्सा क्यों करूंगी मेरी ट्रिप इसी की वजह से तो इतनी यादगार रही, वैसे पापा इसका एड्रेस तो होगा ना आपके पास उसकी घड़ी मेरे पास रह गई है" अनुष्का को बातों के दौरान ही घड़ी की याद आ गई जो अभी तक इसके पास थी

"हां होगा मैं रात तक देता हूं निकाल कर" मिस्टर मालिक ने कहा इतनी ही देर में माही भी आ गई अनुष्का माही को लेकर कमरे में चली गई और इससे अमेरिका की बातें करने लगी

कहानी आगे जारी है.....