"हैलो पापा" अनुष्का ने रात के खाने के बाद मिस्टर मालिक को कॉल मिलाई।
"हैलो बेटा कैसी हो कैसा लग रहा है अकेले-अकेले अमरीका घूमना" मिस्टर मालिक ने पूछा।
"पापा सच बताऊं तो बहुत मजा आ रहा है" मेरा तो आने का दिल भी नहीं कर रहा है, वहां आकर आपको यहां की एक-एक बात बताऊंगी, मैंने यहां एक बहुत अच्छा दोस्त भी बनाया है"
"अरे बस बस बेटा मुझे तो लगता है तुमने वही सेटल होने का सोच लिया है"
"अब ऐसा भी नहीं है पापा, वैसे मम्मा कहा है?? अनुष्का ने पूछा।
"बेटा कल तुम्हारे आने की खुशी की तैयारी कर रही है, वह किचन में खाना बना रही है अभी, बात कराऊं क्या?? मिस्टर मालिक ने पूछा।
"नहीं पापा बस सोने जा रही हूं अब, बस वह आपको यह कहना था कि कल एयरपोर्ट पर लेने मत आइएगा मैं खुद आ जाऊंगी" अनुष्का ने कहा।
"लेकिन वह क्यों बेटा?? हमने तो सब तैयारी कर ली थी तुम्हें कल पिक करने के लिए" मिस्टर मालिक उठ कर बैठ गए।
"हां बस अब सब तैयारी कैंसिल कर दीजिए मैं खुद पहुंचूंगी घर, ओके बाय लव यू सी यू बाय" अनुष्का कहते हुए फोन काट दी।
"लेकिन बेटा... मिस्टर मालिक कुछ कह ही रहे थे कि दूसरी तरफ से लाइन कट गई। ये लड़की भी न सिर्फ अपनी मनमानी करती है कहते हुए मिस्टर मालिक भी सो गए।
अगले दिन अनुष्का और इसकी आंटी ने मिलकर पैकिंग कर ली। उस दिन अंश और अंशिका की भी छुट्टी थी वह सब एयरपोर्ट के लिए निकल चुके थे एयरपोर्ट पर पहुंचकर अनुष्का बार बार आसपास नजर को दौरा रही थी उसकी नजर हर शख्स अनिल तलाश कर रही थी।
"किसी को ढूंढ रही हो क्या?? मिस्टर आकाश ने अनुष्का को परेशान सा देकर पूछा।
"नहीं नहीं अंकल मैं तो बस ऐसे ही अमरीका के लोगों को देख रही हूं बहुत प्यारे हैं।
इतनी देर में फ्लाइट की अनाउंसमेंट हो गई अनुष्का अंश और अंशिका को प्यार किया और सोचती हुई निकल गई। लगता है फ्लाइट चेंज होगी इस बार वैसे भी इत्तेफ़ाक बार-बार नहीं होते अनुष्का ने सोचा आंखें बंद करके सीट से आराम से सर टेक लगा लिया। थोड़ी ही देर में अनिल भी पहुंच गया इसने आते ही अनुष्का को देखा और फिर अपनी सीट नंबर के हिसाब से इसके आगे वाली सीट पर बैठ गया। जैसे ही जहाज ने उड़ान भर अनुष्का सीधी होकर बैठ गई और मैगजीन तलाश करने लगी तभी उसकी नजर सामने अनिल पर पड़ी और मुस्कूराते हुए अपनी जगह से खड़ी हो गई और उसके बराबर में बैठे हुए आदमी से बोली।
"मैं आपके साथ जगह बदलना चाहती हूं"
"ओह ओके नो प्रोब्लम आप आ जाइए" वो आदमी कहता हुआ सीट से उठ गया। उसके आते ही अनिल ने कहा।
"क्या यहां फूलों की चादर बिछी हुई, जो आप यहां आ गई है सीट चेंज करके क्या जरूरत थी एक्स्ट्रा आर्डिनरी दिखाने की"
"आप अंधे हैं क्या?? आपको एक्स्ट्राऑर्डिनरी दिखाई देता है" अनुष्का ने भी इसी अंदाज में जवाब दिया।
"अगर अंधा होता तो यहां नहीं होता" अनिल ने जवाब दिया।
"अगर आप लोगों को इसी तरह लड़ना है तो आ जाइए था मैं अपने सीट पर चला जाता हू"उस आदमी ने कहा।
नहीं नहीं यहां कोई लड़ाई नहीं हो रही है बस थोड़ा थोड़ा इतना तो चलता है अनुष्का ने उस आदमी को जवाब दिया।
"क्या बात है इसे तो अच्छी हिंदी बोलने आती है" अनुष्का धीरे से बोली।
"तुम सबको अपने जैसा समझती हो सब को"
"अकडू कहीं का अनुष्का कहती हुई अपनी मैगजीन में देखने लगी। अनिल ने बिना कुछ कहे आंखें बंद करके सीट से सर टिका लिया। अनिल सीट से सर टिकाए सोच रहा था कि इस लड़की को सब बता देता हु कि मुझे इस्के पापा ने ही भेजा है खास इसकी हिफाजत के लिए मगर इसने वादा किया था मिस्टर मालिक से की इसे पता नहीं लगने देगा इसलिए इसने भी खामोशी से हाथ बांधकर सीट पर आंख बंद करके सो गया।
सारे सफर के दौरान कुछ खास बातचीत नहीं हुई, अनुष्का बस यही सोच रही थी कि अब दोबारा यह मुलाकात कब होगा इसके साथ इसको मजा आने लगा था उसके साथ मगर क्या करती अनिल से बात करती तो बह उल्टा सीधा जवाब देता इसलिए इसने भी खामोश रहना ही पसंद किया।
कुछ ही घंटों बाद फ्लाााईट मुंबई एयरपोर्ट पर पहुंच गई एयरपोर्ट पर चेकिंग हो रही थी वह बैग में पासपोर्ट वीजा रख रही थी की कुछ बदमाश लड़कों ने से छेड़ना शुरू कर दिया।
कहानी जारी है.....