Prayaschit - 9 in Hindi Fiction Stories by Devika Singh books and stories PDF | प्रायश्चित- 9 - Vazir

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प्रायश्चित- 9 - Vazir

राज की हालत खराब थी यह सोचकर पायल ने उसे हॉस्पिटल ले गई हॉस्पिटल में उसे डॉक्टर ने उसे बताया कि यह

डॉक्टर: सर्दियों में या मौसम बदलने पर एक ओर नाक का बंद हो जाना सामान्य बात है. आम तौर पर दो-चार दिन बाद नाक अपने आप खुल जाती है. हालांकि अगर इसके बाद भी एक ओर की नाक बंद रहे तो आपके लिए खतरे की बात हो सकती है. मेडिकल एक्सपर्ट के मुताबिक, यह लक्षण आपमें नाक के कैंसर (Nose Cancer) का संकेत हो सकता है, जिसे Nasopharyngeal Cancer (NPC) भी कहते हैं.

इतना सुनने के बाद पायल के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई थी

उसने डक्टर से कहा क्या

पायल: बचने की उम्मीद कितनी है क्या हम इसे बचा सकते हैं?

वेल हम इसके बारे में कुछ बता नहीं सकते यह बीमारी इन्हें बहुत दिनों से है

पायल: बहुत दिनों से है मतलब क्या है आपका ?




पायल यह सुना तो राज से कहा

पायल: तुमने अपनी बीमारी के लिए क्यू दवाई नहीं ली? तुम इसके बारे में सब जानते थे!!! ना

राज: मेरे पास इतने पैसे नहीं थे कि मैं अपनी बीमारी का इलाज नहीं करा सकता था मैं जानता था मेरे पास कुछ ही दिन बचे हुए और इसीलिए मैं अपना चोरी का काम छोड़ना चाहता था अब मेरे पास जो दिन बचे हुए हैं वो मैं तुम्हारे साथ उसे बिताना चाहता हूं।

उनकी बातें शुरू होते ही डॉक्टर वहां से जा चुके थे अब राज और पायल एक दूसरे को देख रहे थे।

और इस तरफ यहां डैनी और माथुर एक नया प्लान बना रहे थे।

कुछ दिन बीत जाने के बाद।

डैनी के आदमियों का डैनी को फोन आता है। की अंकित हॉस्पिटल से निकल चुका है। कुछ पुलिस वाले उसे अपने साथ ले जा रहे है।




डैनी: ठीक है तुम उसका पीछा करते रहो और मुझे है हर हरकत की खबर देते रहो हमे उसे जबर्दस्ती करने क्या जरुरत नहीं हैं।

इतना सुनते ही माथुर सोचने लग जाता है कि हमें उसका पीछा नहीं करना था उसे अगवा करना था लेकिन डैन के दिमाग में क्या चल रहा है उसे समझ में नहीं आ रहा था

उसने डैनी को कहा कि

माथुर साहब: तुम उसको अगवा क्यों नहीं कर रहे हो हमें तो उसको अगवा करना था ना तुम्हारे दिमाग में क्या चल रहा है तुम मुझे पहले बता दो नहीं तो मुझे कैसे पता चलेगा?

डैनी उसे कहता है कि

डैनी: उसे अगवा करने की क्या जरूरत है वह हमारे शतरंज का एक बहुत बड़ा प्यादा सबित हो सकता है हम उसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

माथूर को लगा डैनी पागल हो गया है अंकित हमारा साथ कैसे दे सकता है जो कि उसका वह दोस्त है उसका।

लेकिन डैनी का दिमाग बहुत ही खतरनाक था उसने ऐसा प्लान सोचा था। जो कोई सोच नहीं सकता था।

डैनी के दिमाग में क्या चल रहा था माथूर को तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था। और से जानना चाहता था कि आखिर कहना क्या चाहता है।

तब डैनी उसे बताता है

डैनी: देखो एक तरफ राज पैसे लेकर भाग चुका है और दूसरी तरफ उसने अंकित पर ध्यान नहीं दिया इसका मतलब अंकित के दिमाग में जरूर कुछ चल रहा होगा कि राज से अकेला छोड़कर भाग चुका है और उसमें उसी का हाथ है तो इसका मतलब यह है कि अंकित राज के पीछे जाएगा और यहां हम उस बात का फायदा उठाएंगे। यही हमारा गोल्डन चांस है हम उसे अपने पास लेकर आएंगे और उसे बताएंगे कि असल में सारा पैसा राज लेकर राज भाग चुका है और तुम्हें इसमे उस्सी ने फसाया है और यह जानकर अंकित राज से गुस्सा होगा और वह हमसे ज्यादा राज को पकड़ने के लिए उतावला होगा। वो उसके पीछे जाएगा तो इसमें हमारा ही काम आसान होगा हमें ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं है बस अंकित के पीछे पीछे रहना है हमें असली रास्ता वही बताएगा वही हमारे शतरंज का वजीर है।

माथूर ने कहा लेकिन

माथुर साहब: हम अंकित पर भरोसा करेंगे कैसे वह तो उसका दोस्त है।

डैनी तुम नहीं समझोगे माथुर एक चोट खाया हुआ शेर बहुत ही खतरनाक होता है। उसे इस बात का पता लगाने के लिए चाहे उसे नर्क में ही क्यों जाना पड़े वह से ढूंढता हुआ वहां तक भी जा सकता है।

बस हमें अब इंतजार करना है और एक सही मौके की फिराक में रहना है जिस दिन अंकित ने राज को पकड़ लिया उस दिन हम राज को पकड़ लेंगे तुम यह सोचो और हम जीत जाएंगे।

लेकिन इसमें एक प्रॉब्लम है जब मैं अंकित से बात करूं तो तुम उसके सामने मत आना अगर तुम उसके सामने आओगे तो वह मुझसे बात करने से मना भी कर सकता है तुमने उसके पैर पर गोली चलाई थी वह तुम्हारे पर भरोसा नहीं कर सकता तो हो सके तुम पीछे ही रहना नहीं तो हमारा पूरा प्लान बर्बाद करने के जिम्मेदार सिर्फ तुम ही होगे।

माथुर साहब: प्लान तो तुम्हारा बहुत ही अच्छा है मैंने तो इसके बारे में सोचा ही नहीं था।

डैनी: सोचोगे भी कैसे दिमाग तो तुम्हारे पास है नहीं एक दो कौड़ी का चोर तुम्हें चूना लगा गया और तुम बस देखते ही रह गए।

हां बेशक तुमने उसको हल्के में लिया होगा तुम उसके बारे में जानते नहीं होगे। तभी तो तुम्हारा यह हाल है।

माथुर साहब: ओह!!! अब भी करो आदमी की शक्ल पर नहीं लिखा होता कि आदमी कैसा है। मैंने उसे हल्के में नहीं लिया मैंने उसके दोस्त को अगवा किया था और उसे तुम समझोगे छोड़ो।

दूसरी तरफ अंकित पुलिस स्टेशन में इंस्पेक्टर के सामने खड़ा था

उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह इस हालात में पुलिस स्टेशन में क्या कर रहा है उसे तो अपने दोस्त की पड़ी थी उसके बारे में जानना चाहता था कि उसका क्या हुआ क्या पुलिस वालों ने उसे मार दिया था। या वो कही भाग गया था?

इन सवालों में वह खड़ा होता हुआ पुलिस स्टेशन में वह इंस्पेक्टर को देखे जा रहा था उसका मन तो यह कर रहा था कि इंस्पेक्टर से पूछ ले कि आखिर राज का क्या हुआ लेकिन उसकी हिम्मत जवाब दिए जा रही थी।

इंस्पेक्टर ने उससे पूछा

इंस्पेक्टर: क्या तुम्हें पता है राज कहां पर होगा

यह सुनने के बाद क्या अंकीत सोचने लगा

इंस्पेक्टर ने कड़क कड़क कर कहा

इंस्पेक्टर: तुम्हारा दोस्त कहां पर है ?

यह सुनने के बाद अंकीत सोच में पड़ गया ।

अंकीत: सर मुझे कैसे पता होगा।

इंस्पेक्टर: यह जो तुम अपने दोस्त को बचाने के फिराक में हों में सब समझ राहा हुं। अगर तुम कुछ भी जानते हो तो बता दो नहीं तो तुम उसमे फस भी सकते हो। तुम्हारे उपर कोई क्रिमिनल चार्ज नहीं है इसलिय में तुम्हें छोड रहा हूं।

अंकित पुलिस स्टेशन से बाहर सोच रहा था की वो कहां जाए उसे समझ नहीं आ रहा था कि

तभी साल्वे उसके सामने खड़ा हो जाता है और कहता है कि कहां है।

साल्वे: मुझे तुम्हारे दोस्त से मिलना है उसने मेरा पैसा चुराया है

अंकित: उसने तुम्हारा पैसा चुराया है तो तुम जा के पुलिस से शिकायत करोना

लेकिन वो ऐसा नहीं करने वाला था वो काला पैसा था शिकायत थाना मैं नहीं कर सकता था। वह भी उसका कुछ नहीं कर सकता था उसके हाथ में अब कुछ नहीं था सबसे ज्यादा गुस्सा उससे पायल पर आ रहा था सबसे बड़ा धोखा तो उसने उससे दिया था वो अब इन सब अब अटक चुका था उसका शातिर से शातिर दिमाग में भी कुछ समझ नहीं आ रहा था।

लेकिन वो उसे छोड़ भी नहीं सकता था असल में वो उसका पैसा था ही नहीं उसने किसी से चोरी किया और चोरो ने उसके घर मे चोरी किया बात बराबर हो गई थी वह तो उसके पीछे बिना फालतू ही पड़ा था।

साल्वे: तुम्हारा दोस्त तो भाग गया अब तुम क्या करोगे उस साले ने मुझे भी बेवकूफ़ बनाया

राज की चालकी सुन अंकित मन ही मन मुस्कुरा रहा था उसे शबासी दे रहा था लेकिन वो राज के सामने बिल्कुल चुप था।

और रोबिन और रॉबर्ट जो डैनी के आदमी थे। अंकित के पीछे ही लगे हुए थे लेकिन साल्वे उसे छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था कुछ देर बाद साल्वे उसे धमकता खाता हुआ चला गया और अंकित मेन सड़क पर आकर खड़ा हो गया दो लोग एक वैन लेकर उसके सामने खड़े हो गए उन्होने अंकित से कहा कि अगर राज से मिलना चाहते हो तो हमारे साथ चलो।

राज का नाम सुनते ही अंकित उन लोगो के साथ चला गया उसे लगा की राज ने ही उन दोनो को भेजा था उससे लाने के लिए

उससे वैन में बैठते साल्वे ने भी देख लिया था वो भी उस वैन का पीछा किया।







क्या डैनी अपनी बनाई चाल में कामब्याब हो जायेगा क्या अंकित राज कों पडकने में उसका साथ देगा और क्या होगा राज का जानने के लिए पढ़ते रहिए







प्रयाश्चित