Prayaschit - 8 in Hindi Fiction Stories by Devika Singh books and stories PDF | प्रायश्चित- 8 - Nayi Shuruwat

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प्रायश्चित- 8 - Nayi Shuruwat

पायल और राज दोनों ही एयरपोर्ट से उन दोनो ने लंदन की फ्लाइट पकड़े थे उनकी नई शुरुआत यहा से हो सकती थी लेकिन राज का दिल इंडिया में अंकित के लिए धड़क रहा था सोच रहा था कि का क्या होगा कैसा होगा वह उन लोगों ने उसका कुछ बुरा तो नहीं किया होगा यह सोच सोच कर उसका दिल बैठा जा रहा था पायल हर वक्त उसके साथी उसे दिलासा देते जा रही थी कि एक बार सब शांत हो जाए तो हम वापस जरूर जाएंगे।

राज सोच रहा था इतना बड़ा धोखा मिलने के बाद साल्वे अंकित को छोड़ेगा नहीं क्या पता राज के बदले वह अंकित को मार ही ना दें।

फिर याद आया किसी को पता ही नहीं था कि अंकित को मैं जानता था अंकित से मेरा क्या लेना देना था सिर्फ माथुर को छोड़ कर अगर माथुर और साल्वे एक हो जाए तो शायद वो दोनो मिलकर अंकित पर टॉर्चर कर सकते थे लेकिन साल्वे नहीं जानता था। कि माथुर कहा और है और उसका क्या हुआ उसने सिर्फ राज को ही देखा।

क्या पता शायद अंकित हॉस्पिटल से छूट जाए लेकिन वह छूटने के बाद सबसे पहले मुझे ढूंढेगा और उसके पास तो कोई लोग भी नहीं है मेरा मैंने तो कोई सबूत पीछे छोड़ा ही नहीं था उसे मेरे पास आने का।

इसी कशमकश में रात भर सोच रहा था।




पायल: अब छोड़ो भी टेंशन अब हमारे पास शुरुआत करने के लिए एक नई जिंदगी है तुम कब तक अपने अतीत के पीछे भागते रहोगे अपने कल को सोच कर अपना आज मत खराब करो। तुम भी तो यही चाहते थे ना।

हां राज यह जानता था लेकिन उसे यह नई जिंदगी की नई एक नई शुरुआत किस कीमत पर मिली थी यह सिर्फ वही जानता था।

राज ने कुछ नहीं कहा वह सिर्फ उसकी बातों को सुनकर हा में सिर ही लाता हुआ कुर्सी पर चुपचाप बैठ गया।

पायल: क्यू ना बाहर चले और कुछ खाया जब से आए हैं जब से हम आए है। इसी होटल में पड़े हुए हैं बाहर चलते हैं घूमते हैं हमें भी अच्छा लगेगा राज ने उसे कुछ नहीं कहा और हा में सर हिलाया और कहा

राज: ठीक चलते हैं।

वह एक मार्केट में घूम रहे थे वह

राज को उसक साथ पाकर बहुत अच्छा लग रहा था राज सोच रहा था कि जिंदगी भर उसके साथ ही रहे।

मार्केट घूमने के बाद वह दोनों एक रेस्टोरेंट पर जाकर बैठ गए राज से घूरता हुआ देखे जा रहा था

पायल: देख रहे हो

राज: कुछ नहीं तो

पायल: अब यह शक्ल तुम्हें हमेशा देखनी पड़ेगी तो झूठ मत बोलो मुझसे।

राज: यकीन नहीं होता कि यह सब सच हो गया हम आजाद हो गए और मैं तुम्हारे साथ हूं।

पायल: अच्छा तो तुम्हारे कहने का मतलब कि तुम किसी और के साथ भी होना चाहते हो अगर ऐसा सोच रहे हो ना तो उसको अंदर ही रखना।

राज: अरे नहीं यार मेरे कहने का मतलब यह नहीं था तुम हर बात को उल्टा ही क्यों समझती हो

इतना कहते हुए राज ने पायल के हाथों पर हाथ रखा तो पायल ने कुछ नहीं कहा बस उसे देखती रह गई

पायल: मैं तुमसे मैं तुम्हें बहुत पसंद करती हूं।

राज: अच्छा तो तुम मुझे पसंद करती हो लेकिन अभी तक तुमने मुझे अपना नाम नहीं बताया। अरे क्या तुम मुझे अपना नाम बताना नहीं चाहती।

पायल: मेरा नाम पायल है।

राज: कमाल है ना पायल बहुत से लोग मिलने के बाद ही एक दूसरे से उनका नाम पूछ लेते हैं और यहां मुझे देखो इतना सब कुछ हो जाने के बाद तुमसे तुम्हारा नाम पूछ रहा हूं मुझे तो हंसी आ रही है। खुद पर

पायल: वैसे तुमने क्या सोचा था मेरे नाम के बारे में यह मेरा नाम क्या होगा

राज: हालात ने कभी सोचने का मौका ही नहीं दिया और जब बात करने का मौका मिला तो उस समय हालात ऐसे नहीं थे। क्या तुम मुझसे शादी करोगी? मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं।

पायल: राज अभी तो हम मिले हैं और अभी तो हमने मजे करने चाहिये मैं ऐसा मैं शादी जैसे छोटी चीज के लिए सोच नहीं रही हूं मैं तुम्हारे साथ साथ हूं बस यह मायने रखता है हमारे पास काफी वक्त है हम एक दूसरे को पहले अच्छे से जान लेते हैं शादी तो हम बाद में भी कर लेंगे सही कहा ना मैंने

यह सुनकर राज ने खुश यह सुनकर आज खुश हुआ की पायल ने उसे हां कर दी थी।

राज पायल ने खाना एक साथ खत्म किया और अपने होटल की तरफ लौट चलें होटल में पहुंचने के बाद वह दोनों एक ही बेड पर बेड पर एक दूसरे को देखे जा रहे राज ने उसके गाल पर प्यार से हाथ रखा और उसे सहलाने लगा उसे चलाते-चलाते उसका हाथी रे धीरे उसकी गर्दन तक आ गया था राज ने धीरे से उसे करीब लाकर उसे किस कर लिया पायल भी इसका पूरी तरह से साथ दे रही थी उसे भी अच्छा लग रहा था उसे भी राज के साथ अच्छा लग रहा था। राज से उसकी राज की कमर को कस कर पकड़ता हुआ अपने शरीर से जकड़ लिया वह दोनों दो जिस्म एक जान जैसे लग रहे थे प्यार की गर्मी उन दोनों के सर पर चढ़ती जा रही थी उस पूरे उस पूरे कमरे का माहौल पूरी तरह से गर्म हो चुका था वह दोनों अपनी चरम सीमा तक पहुंच चुके थे और कुछ देर बाद मौसम में जैसी ठंडक सी पड़ गई और वह दोनों लिपट कर सो गए। एक दूसरे के साथ सो गए।




ऐसे ही अब 2 महीने हो चुके थे

वह दोनों साथ में ही रहते हैं साथ में घूमते हैं रात में ही सेक्स करते हैं उन्होंने नई जिंदगी की नई शुरुआत करने के लिए अपना खुद का एक घर भी लिया था । वह ज्यादातर घर में ही बिताया करते थे ज्यादा बाहर आया जाया नहीं करते थे उन्हें जो भी कुछ चाहिए होता वह से मंगा लिया करते थे जिंदगी एकदम आसान हो गई थी माना कि जैसे सोचा हुआ सपना सच हो चुका हो।

उन्हें बस जिंदगी बितानी ही थी।

ऐसे ही एक रात जब पायल और राज एक साथ बिस्तर में थे। पायल राज को किस कर रही थी तो उसी दौरान उसने अपने होंटों के नीचे कुछ गीला महसूस किया पहले तो उसने ध्यान नहीं दिया फिर उसमें थोड़ा सा आंख खोलकर देखा तो पाया कि राज के नाक से खून निकल रहा था वह यह देख कर चौक गई और तुरंत थोड़ा अलग हो गई और राज से पूछा राज यह तुम्हारे नाक से खून क्यों निकल कर रहा है राज देखा तो वह चौक गया असल में राज ने 2 महीनों से अपनी दवा नहीं ली थी यहां आने के कुछ दिनों बाद राज की दवाइयां खत्म हो चुकी थी उसे पता था।

एक ना एक दिन उसका यह हाल जरूर होगा और उसके बारे में उसने पायल को उसने कुछ नहीं बताया था वह उसे बताने के बारे में जब सोचता था तब उसकी हिम्मत नहीं होती थी उसे वह कैसे बताएं पायल को जब यह पता चला

पायल ने उसे हमदर्दी दिखाते हुए कहा

पायल: कोई बात नहीं हम इसका इलाज ढूंढ लेंगे हमारे पास पैसे भी है तुम टेंशन मत लो हम एक अच्छा से अच्छा डॉक्टर तुम्हारे लिए करेंगे तुम बिल्कुल भी टेंशन मत लो मैं तुम्हारे साथ हूं तुम कभी अपने आपको अकेला मत समझना और अपने तबीयत पर ध्यान दो तुमने मुझे इसके बारे में पहले ही बताया होता

तो क्या मैं तुमसे तुम्हें कुछ बुरा मानती तुम्हें ऐसा लग रहा था मैं तुम्हारे साथ हर हाल में खड़ी हूं तुम मुझे ऐसे कैसे समझ सकते हो तुम्हें ऐसा लग रहा था कि मैं यह सब जानकर तुम्हें छोड़ दूंगी यह सुनकर राज ने कहा कि मुझे ऐसा नहीं पता था बस मेरी हिम्मत तुमसे या बताने की नहीं हो रही थी कि तुम मेरे बारे में क्या सोचोगी अब जो है वह तुम्हारे सामने ही है मैं पहले भी यह कोशिश कर चुका था लेकिन अब मैं क्या करूं

पायल: कोई बात नहीं पर हम साथ हैं इससे ज्यादा बड़ी बात कोई नहीं हो सकती।

अपने लिए पायल की हमदर्दी देख राज का दिल भर गया उसे पता नहीं था कि पायल उसे इतना चाहती थी लेकिन राज को पता था कि वह ज्यादा दिन तक नहीं जी पाएगा कोई भी दवा उससे ठीक नहीं कर पाएगी।

असल में राज के बारे में पहले से ही जानता था।

और उधर दूसरी तरफ माथुर भागता हुआ अपने दोस्त के पास जा पहुंच चुका था जो कि उसका पुराना दोस्त हुआ करता था उसका नाम डैनी था।

डैनी एक टाइम माथुर का अच्छा दोस्त हुआ करता था।माथुर अपने बारे में सब कुछ बताता है और यह भी बताता है कि उसके पैसे राज लेकर भाग चुका है उसके साथ धोखा हुआ है उसे वह अपने पैसे किसी भी हाल में वापस चाहिए थे।

डैनी बहुत ही खतरनाक आदमी था उसने 17 लोगो एक साथ मारा था। उसके लिए दया प्रेम कुछ मायने नहीं रखता था। जिंदगी में कभी ही हंसा होगा। उसका चेहरा देखते लोग उससे से डर जाया करते थे डैनी के बारे में लोग बताते थे वह अपने पीछे कोई सबूत नहीं छोड़ता था डैनी जिसके पीछे पड़ता था उसे जिंदगी को पीछे छोड़ना पड़ता था जिंदगी उसके सामने भीख मांगती थी लेकिन डैनी को थोड़ा भी रहम नहीं आता था।

डैनी: उस लड़की के बारे में पता चला जिसमें तुम्हारे बैंक से पैसे निकाले थे। और तुम्हारे अकाउंट से उसने पैसे निकाले तो निकाले कैसे।

माथुर साहब: मुझे उसके बारे में कुछ नहीं पता मेरे पैसे मुझे वापस चाहिए बस और उस राज के बच्चे को तो छोड़ना मत उसे तो मुझे तो मेरे पास लेकर आना मैं उसे सबक सिखाऊंगा।

सबसे बड़ा धोखा तो उसने दिया है मुझे।

डैनी: लेकिन हम उसे पकड़ेंगे कैसे उसकी कोई कमजोरी है हमारे पास।

माथुर साहब: हां एक कमजोरी है उसका दोस्त अभी भी 2 महीनो से हॉस्पिटल में पड़ा हुआ है।

उसे पता होगा कि राज कहां पर गया है। मुझे नहीं लगता उसे पता होगा अगर उसे पता होता तो वह हॉस्पिटल में नहीं होता राज उसे वापस लेने जरूर आता लेकिन राज उसे वापस लेने नहीं आया इसका मतलब राज में उसे भी धोखा देकर भाग गया है तुम सही कह रहे हो

डैनी: लेकिन हम ऐसा कोई चांस नहीं छोड़ सकते। हमारे लिए सबसे बड़ा क्लू अंकित ही है अंकित को ही पता हो सकता है कि राज कहां पर है।

माथुर साहब : तो क्या हम अंकित को हॉस्पिटल से अगवा ले

डैनी: अगर ऐसा करोगे तो पुलिस पीछे पड़ सकती है मैं इसमें पुलिस का झंझट में नहीं चाहता।

माथुर साहब: वैसे ही काफी देर मेरे पीछे भी पुलिस पडी है।

डैनी: एक काम हो सकता है जब 2 महीने रुक चुके हो तो कुछ दिन और ही सही अंकित को हॉस्पिटल से छूटने के बाद हम अंकित को पकड़ सकते हैं अंकित का इस चोरी में कोई भी हाथ नहीं है अंकित इस चोरी में ना तो हमारी तरफ से था। ना ही राज की तरफ से था। और पुलिस में भी उसका कोई रिकॉर्ड नहीं है तो पुलिस वाले उसे आसानी से छोड़ सकते हैं।

और फिर हम अगली चाल अंकित पर चलेंगे।

मैं अपने अपने दो आदमियों को हॉस्पिटल में तैनात कर देता हूं और जब अंकित हॉस्पिटल से रिहां होगा तो तुम मुझसे समझ रहे हो ना मैं क्या कह रहा हूं डैनी माथुर को देखता है और माथुर के चेहरे पर मुस्कान फैल जाती है।




माथुर साहब: हां तुम सही कह रहे हो जी लेने दो बेचारे को अपनी जिंदगी आखिरकार कुछ दिन का मेहमान है।




डैनी और माथुर दोनों अपने ग्लास को उठाते हुए 🥂 करते हैं और शराब की एक-एक घुट अपने मुंह से लगाते हैं।

क्या अंकित को छुड़ाने के लिए राज वापस आएगा और क्या राज की बीमारी ठीक हो सकती है और अब पायल क्या करेगी जानने के लिए पढ़ते रहिए

प्रयाश्चित