Prayaschit - 2 in Hindi Fiction Stories by Devika Singh books and stories PDF | प्रायश्चित- 2 - Mathur Sahab

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प्रायश्चित- 2 - Mathur Sahab

अब राज कुछ समझे उससे पहले ही अंकित जग गया था

दूसरा आदमी : वहा!!! भाई आपकी नींद तो बहुत जल्दी ही टूट गई, मुझे अब जल्दी उठो




अंकित और राज को ऐसा लग रहा था कि कल रात की सजा देने के लिए यह दोनों आएगा वह दोनों एक दूसरे को देख रहे थे लेकिन मैं अभी तक उनको इसी सवाल का जवाब नहीं मिला थ मिला था तो एक नाम

वो भी कोई माथुर साहब




राज: ठीक है हम चलते हैं बाद में आराम से राज ने अंकित को देखा और अंकित भी अब मन गया वो दोनो खड़े हो गए

रास्ते में राज अंकित से बोलता है कि भाई यह लोग हम को मारना नहीं चाहते हमसे कूछ करवाना चाहते हैं। अगर इनको मारना ही होता तो हमें नींद में भी मार सकते थे,लेकिन यह हमें कहीं लेकर जा रहे हैं इसका मतलब मामला कुछ और है।

अगले कुछ घंटों बाद वो दोनो माथुर साहब के सामने थे।




माथुर साहब: आओ कमीनों या तो तुम दोनों बहुत ही होशियार हो या तो सबसे बड़े बेवकूफ़ तुम्हें पता है तुमने क्या चुराया है और वह किस का सामान था।




राज: देखिए हमसे गलती हो गई हम आपके पैसे वापस कर देते है आप हमे जाने दो हमे नहीं पता था आप इतने बड़े आदमी है।




अंकित: माई बाप हमे पता नही था मेरा दोस्त सही कह रहा है ।




माथुर साहब: अब बस करो मुझे ये दलीलें नहीं चाहिए वो पैसे भी तुम अपने पास ही रखो मुझे बस वो मेरी फाइल चाहिए l




अंकित: क्या फाइल!!! कौन सी फाइल ?

माई बाप मैने तो कोई फाइल नहीं चुराई थी।




राज: मेरा दोस्त सही कह रहा है। साहब मेने कोई फाइल नहीं देखी।




माथुर साहब: अरे ये किन पागलों ले आया तू यह वोही हैं यहां फिर कोई है ।




पहला आदमी: साहब यह लोग वही है कि इन्हीं के पास वो विजिटिंग कार्ड था। और हमेंने इनके घर की तलाशी के ली लेकिन वहा कोई सामान नहीं मिला उन्होंने वह सामान कहीं पर छुपा रखा है।




माथुर साहब: ठीक है तो सुनो बेवकूफो हो तुम दोनों में से एक आदमी यहां पर रहेगा और एक वहां जाकर वो फाइल लेकर आएगा अगर कोई होशियारी की तो तुम्हारा एक दोस्त समझ लो गया और अगर तुम बेवकूफ नहीं हो तो मेरे ख्याल से हो सामान मुझे वापस कर दोगे मुझे पैसों में कोई इंटरेस्ट नहीं है मुझे बस मेरा सामान वापस चाहिए।




राज: ठीक है मैं जाता हूं मैं लेकर आऊंगा लेकिन मेरे दोस्त को कुछ नहीं होना चाहिए।




अंकित: भाई जल्दी आना हीरो का भरोसा नहीं है मुझे तो डर लग रहा है यहां पर।

राजबाला सैनी खड़का सीधा अपने घर जाता है लेकिन घर पर उसे वह बैग मिलता है जो बैग में से पैसे निकालते पैसों नीचे एक फाइल होती है वह फाइल खोल कर देखता है। तो उस पर माथुर का कच्चा चिट्ठा होता है राज समझ जाता है। आखिर माथुर इस फाइल के पीछे क्यू पड़ा है। वो जल्दी से उसकी उसके कॉपी बनाता है। और ओरिजनल कॉपी अपने पास रखता है। क्या पता फाइल मिलते ही वो उन दोनो को जिन्ना मरवा दे

बीच में उसको उस फ्लॉवर शॉप वाली लड़की का भी ख्याल आता है। आज वो उसे मिलने जाने वाला था। और यहां पर फस गया हैं।

पर क्या करे वो भी मजबूर था

फिर वो सीधा माथुर साहब के घर बंगले पर पहुंचता है।

और सीधा माथुर साहब को देता है । लेकिन वो फाइल देख कर माथुर साहब एक दम गुस्सा हो जाता है ।

राज: यार कही इसे पता तो नहीं चल मैने इसे फाइल की कॉपी दी हैं।

माथुर साहब: मुझे बेवकूफ समझ रखा है वो दुसरी फाइल कहा है।

राज: 😯🤔 दुसरी फाइल अब ये दुसरी फाइल कहा है बैग में तो एक ही फाइल थी। मैं झूठ नहीं बोल रहा हूं।




माथुर साहब: सालो तुम दोनो मुझेसे कोई गेम खेल रहे हो मुझे पागल समझ रखा है जान से मार दूंगा।




इतना कहते ही माथुर ने अंकित के पैर में गोली मार दी और यह देखकर राज का तो दिल ही दहल गया।

अंकित का बुरा हाल हो रहा था उसके पैर से खून ही खून निकल रहा था राज को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वह तो वही फाइल लेकर आया जो उसके घर पर थी और दूसरी फाइल में कहां से लाये उसे पता नहीं था।




माथुर साहब: तो अब क्या करना है तुम्हें पता है ना मैं बार-बार तुमसे यह बात नहीं कहूंगा अगर इस बार गलती हो गई तो सीधा मैं मार ही दूंगा।




राज: देखो माथुर साहब मुझे उस फाइल के बारे में कुछ और नहीं पता है मैंने आपके घर से वही फाइलें चुराई है उतना ही पैसा चुराया है और इसके आगे मैं आपके फाइल के बारे में और कुछ नहीं जानता मैंने वह फाइल देखी भी हैं और हम दोनों कोई पुलिस वाले नहीं है हम दोनों चोर हैं।

हमने ही आपका पर्स मारा था!!!




माथुर साहब: अच्छा तो तुम दोनो चोर हो हम्मम!!!

यह तो और अच्छी बात है। मेरा काम तो और आसान हो गया।

राज: आज कुछ समझ नहीं पा रहा था आखिर वह माथूर कहना क्या चाहता था उससे




माथुर साहब: तुम दोनों ने कल जिसके घर में चोरी की असल में वह घर मेरा है ही नहीं वह एक वाकिल था जो मेरे खिलाफ के कोर्ट में केस लड़ रहा था और अब मैंने उसके घर पर एक चोर भेजा था लेकिन वह चोर के आने से पहले तुम दोनों ने यह फाइल चुरा कर भाग गए इसलिए मेरा काम हो नहीं पाया और डर के मारे वह पागल चोर भी वहां से भाग गया तो अब वह फाइल उसी घर में है और वह फाइल मुझे आज ही आज चाहिए तो अब तुम मेरा काम करोगे उस आदमी के बदले।

अब राज को सारी कहानी समझ में आ रही थी।




राज: लेकिन एक बार चोरी हो जाने के बाद वह वकील अब चौकन्ना हो चुका होगा उसने तो वह चीज चुरा छुपाकर कहीं और रखी होगी तो अब उसे चुराना तो बहुत मुश्किल होगा यह काम कैसे करें हम







माथुर साहब: वो सब मुझे नहीं पता




राज: ठीक है मैं वह फाइल लेकर आऊंगा




क्या था वह फाइल में जिसके पीछे माथुर इतना पागल था जानने के लिए पढ़ते रहिए

प्रायश्चित