मोहिनी ने राहुल की तरफ़ देखते हुए कहा, “मुरली अंकल ने हमसे कहा था उनके बारे में अब किसी को भी कुछ भी नहीं बताना, कुछ भी नहीं …”
"यह क्या कह रही हैं आप," कहते हुए राहुल की आवाज़ थोड़ी ऊँची हो गई।
"इसका मतलब वे यहाँ ख़ुश नहीं थे।"
“देखिये मिस्टर राहुल आवाज़ ऊँची करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि ख़ुश तो वे आपके घर पर भी नहीं थे। इसीलिए तो रात के दो बजे यहाँ हमारे वृद्धाश्रम में चले आए थे। यदि आपने उन्हें प्यार और सम्मान दिया होता तो वे यहाँ आते ही क्यों? और आपको अब उनकी इतनी फ़िक्र क्यों हो रही है? क्या इसलिए कि आपकी पत्नी प्रेगनेंट है और इस समय आपको उनकी सहायता की ज़रूरत है?”
“मैडम घर में छोटी मोटी बातें हो जाती हैं इसका मतलब यह नहीं कि हमें उनकी फ़िक्र नहीं है और आप यह सब कैसे कह सकती हैं।”
“मैं कह रही हूँ राहुल जी क्योंकि मैंने इतने दिनों तक उन्हें यहाँ देखा है, बेटे बहू के होते हुए वृद्धाश्रम में। मैंने उनकी आँखों के आँसुओं को उनके अंदर महसूस किया है और अब मैं जो कहने जा रही हूँ शायद तुम सुन ना पाओगे। यहाँ एक कोई फरिश्ता आया था, जो उन्हें यहाँ से ले गया लेकिन कहाँ वह हम नहीं बता सकते।”
"मोहिनी मैडम वे मेरे माता-पिता हैं और आप के वृद्धाश्रम से गायब हुए हैं। मैं आपके ऊपर केस कर सकता हूँ। पुलिस से आपकी शिकायत कर सकता हूँ।"
"ये आप क्या कह रहे हैं, मिस्टर राहुल? वे कहीं गायब थोड़ी हुए हैं, उन्हें किसी ने गोद ले लिया है।"
"क्या …? क्या? गोद ले लिया है वे कोई छोटे से बच्चे हैं क्या जो गोद ले लिया है और किसने ले लिया है? उसने मांगा और आपने दे भी दिया?"
“राहुल जी जोश में आने से कुछ भी नहीं होगा। यहाँ जो कुछ भी हुआ, आपके माता-पिता की मर्जी से हुआ है यहाँ के सभी वृद्धों के सामने। हमारे पास लेटर पर उन दोनों के हस्ताक्षर भी हैं। आप चाहें तो देख सकते हैं।”
राहुल का शरीर गुस्से में काँप रहा था उसकी आँखों में खून उतर आया था। उसने कहा, “मोहिनी जी कौन था वह? मुझे उसका पता चाहिए? और वह क्यों ले गया मेरे माँ-बाप को? काम करवाएगा, अपने घर का नौकर बनाकर रखेगा उन्हें?”
“सब लोग ऐसे नहीं होते मिस्टर राहुल, वृद्धों से प्यार करने वाले भी अनेक लोग हैं, जो यहाँ वृद्धाश्रम में आते हैं बिल्कुल ही निःस्वार्थ भावना से। इन लोगों के साथ थोड़ा सा ही सही समय व्यतीत करने। उनके साथ बैठते हैं, बातें करते हैं, उनके लिए दवाइयाँ लाकर देते हैं। शारीरिक और आर्थिक दोनों तरह की मदद करते हैं।”
“मुझे आप उस इंसान का पता दीजिए प्लीज़।”
खुशबू एक कुर्सी पर शांत बैठी थी। काटो तो खून नहीं ऐसी हालत थी उसकी। शायद मन ही मन पछता रही थी कि उसने यह क्या कर डाला।
मोहिनी मैडम ने कहा, “राहुल जी दो हफ़्ते पहले एक पति पत्नी का जोड़ा हमारे यहाँ आया था। विजय और रेखा, उन दोनों के माता-पिता के बहुत ही घनिष्ट सम्बंध थे। बचपन की यारी थी, इसीलिए उन्होंने अपने बच्चों विजय और रेखा का विवाह करके अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल दिया था। इस विवाह को अभी छः माह ही हुए थे। उन दोनों के माता-पिता साथ में राजस्थान घूमने गए थे। विजय और रेखा नहीं जा पाए थे। वहाँ जाते समय दुर्भाग्य वश रास्ते में उनकी कार दुर्घटना ग्रस्त हो गई और उन चारों में से कोई भी ज़िंदा नहीं बच पाया। अपने माँ-बाप को खो चुके विजय और रेखा गम के काले अँधेरे साये में डूबते जा रहे थे। तब विजय को उसके पिता की वह बात याद आई जब एक बार उनके पहचान के एक बुजुर्ग दोस्त को उनके बेटे और बहू ने वृद्धाश्रम में छोड़ दिया था। तब विजय के पिता बहुत दुःखी हो गये थे और उन्होंने कहा था काश ऐसे माँ-बाप को जिन्हें उनके बच्चे वृद्धाश्रम में छोड़ देते हैं उन्हें कोई गोद ले-ले तो उनका जीवन संवर जाए। यदि बच्चे गोद लिए जा सकते हैं तो फिर बेसहारा माँ-बाप क्यों नहीं। कोई उनका सहारा क्यों नहीं बन सकता।”
रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)
स्वरचित और मौलिक
क्रमशः