राधा और मुरली का बेटा राहुल बचपन से ही बहुत जिद्दी था। हमेशा कुछ ना कुछ मांग करता ही रहता। पापा ये चाहिए, पापा वो चाहिए। जब भी मुरली उसकी मांगी हुई चीज ले आता, तब तो वह ख़ुश होकर मुरली को चूम लेता लेकिन यदि मांग पूरी ना हो पाए तो गुस्सा होकर एक कोने में बैठ जाता। यह उसके स्वभाव का अहम हिस्सा था, जो बचपन से उसके अंदर अपने पैर जमाया हुआ था। यह स्वभाव बड़े होकर भी उसके साथ ही रहा। जब तक वह नादान था, तब तक सब ठीक लगता था। लेकिन बड़े होने पर भी उसे यह एहसास ही नहीं होता कि उसके माता-पिता कितनी मेहनत करते हैं। एक-एक चीज में काट कसर करके उसके लिए ही तो बचा रहे हैं।
वह अब तक दसवीं कक्षा में पहुँच चुका था किंतु अब भी वैसा ही जिद्दी था। संतान कैसी भी हो माँ बाप की जान होती है, उनके दिल का टुकड़ा होती है। धीरे-धीरे स्कूल की पढ़ाई पूरी हो गई। राहुल पढ़ने लिखने में होशियार था। उसे उनके शहर से दूर एक कॉलेज में प्रवेश भी मिल गया । यहाँ की फीस थोड़ी ज़्यादा थी साथ ही हॉस्टल का ख़र्च भी मुरली को उठाना था लेकिन राधा और मुरली यह सोच कर बहुत ख़ुश थे कि उनके सपनों की एक और सीढ़ी उन्होंने चढ़ ली है। वह तो हर हाल में, हर क़ीमत में, अपने सपने को सच करना चाहते थे और उनका सपना था अपने बेटे राहुल के भविष्य को उज्ज्वल बनाना।
राहुल हर हफ्ते दो हफ्ते में फ़ोन करके हमेशा कुछ न कुछ अपनी ज़रूरत उन्हें बताता और मुरली हंसते-हंसते उसे कहता, “राहुल फ़िक्र मत करना, बंदोबस्त हो जाएगा, तुम बस पढ़ाई पर ध्यान दो बेटा,” लेकिन फ़ोन रखने के बाद उदास होकर राधा से कहता, “राधा क्या करूं? कहाँ से लाऊँ? यह पढ़ाई तो बड़ी खर्चीली है।”
“तुम चिंता मत करो मुरली, मैं अपने अस्पताल में लोन की अर्जी लगा देती हूँ।”
“नहीं राधा जब और बड़े खर्चे आएंगे, तब के लिए उसे बाक़ी रखो।”
बसंती अपने बेटे बहू की बातें सुन रही थी।
तभी मुरली ने कहा, “राधा, राहुल को लैपटॉप चाहिए है कम से कम ४०-४५ हज़ार का आएगा। मैंने उसे हाँ तो कह दिया है पर एकदम से …”
उसी समय बसंती ने अपना मंगलसूत्र उतार कर देते हुए कहा, “मुरली यह ले बेटा इसे बेच दे।”
“माँ यह क्या कह रही हो? मंगलसूत्र?”
“तो क्या हुआ मुरली, मेरा सुहाग तो यह बैठा है मेरे सामने। इस मंगलसूत्र से यदि राहुल का लैपटॉप आ जाता है तो इसे गले में पहनने से ज़्यादा अच्छा है मेरे राहुल के हाथ में लैपटॉप हो। हमारी ज़िन्दगी तो बीत गई, उसका भविष्य सुधर जाए।”
मुरली ने ख़ुश होते हुए कहा, “चलो राहुल के लैपटॉप का बंदोबस्त तो हो गया।”
उधर कॉलेज में राहुल पढ़ाई तो बहुत अच्छे से कर रहा था लेकिन अपने शौक भी पूरे कर रहा था। पार्टी करना, मस्ती के साथ-साथ थोड़ी-सी ड्रिंक्स लेना, यह सब हर छुट्टी के दिन का सिलसिला हो गया था। उसकी दोस्त खुशबू से उसकी बहुत पटती थी। खुशबू एक बहुत ही उच्च वर्ग की खूबसूरत रईस लड़की थी। वह हर पार्टी में राहुल के साथ होती। धीरे-धीरे समय आगे बढ़ता गया। दोस्ती और गहरी होती गई और फिर राहुल के दिल में प्यार की लौ जलने लगी। खुशबू के प्यार की भीनी-भीनी महक उसके दिल पर छा गई।
रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)
स्वरचित और मौलिक
क्रमशः