Kahani Pyar ki - 48 in Hindi Fiction Stories by Dr Mehta Mansi books and stories PDF | कहानी प्यार कि - 48

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कहानी प्यार कि - 48

दादी अब आपकी तबियत कैसी है ? "
संजना ने दादी के पास बैठते हुए पूछा...

" अब ठीक हु... "

" वैसे अचानक ऐसा क्या हो गया दादी की आपकी बिपी बढ़ गई ? "
अनिरूद्ध ने दादी का हाथ पकड़ते हुए पूछा..

" कुछ नही बेटा .. शायद दवाई लेना भूल गई थी..."

" दादी आप ना बड़ी लापरवाह होती जा रही है ये लीजिए दवाई..."
संजू ने मेडिसिन दादी को दी ...

" अब आप आराम करिए दादी हम चलते है ..."
अनिरूद्ध ने कहा और दोनो वापस कमरे में आ गए..

" अब ये लो तुम्हारी मेडिसिन ...."
अनिरूद्ध ने संजना को मेडिसिन खिलाई और दोनो बेड पर बैठ गए...

" कितना अजीब है ना .. रोज कोई ना कोई परेशानी तो आती ही रहती है..."

" हा अनिरुद्ध ... लाइफ है क्या कर सकते है ..! "

" अभी तुम आराम करो.... चलो सो जाओ ..."

" नही ... मन नही कर रहा मेरा..."

" ऐसा मत बोलो ... तुम्हे आराम की जरूरत है..."

" रुको.... "

" क्या कर रही हो संजू....? "

" हम.... अब ठीक है...."
संजू अनिरुद्ध की बाहों पर सिर रखकर सो गई...

" अब मुझे अच्छे से नींद आयेगी...."
संजना ने मुस्कुराते हुए कहा...

अनिरूद्ध भी मुस्कुराया और संजना के सिर पे हल्के से किस की और फिर दूसरे हाथ से उसके माथे को सहलाने लगा... कुछ ही देर में संजना को नींद आ गई...

अनिरूद्ध कुछ सोच रहा था...
" ओह गॉड ये में कैसे भूल सकता हु... अच्छा हुआ अभी याद आ गया... कल में उनको सरप्राइस दूंगा...."

फिर अनिरुद्ध को चैन की नींद आ गई...

करन को डिस्चार्ज मिल गया था... वो आज अपने घर आराम से सोया हुआ था... सुबह खिड़कियों से आती धूप से करन की नींद खुली...

वो बेड पर से खड़ा हुआ और बाथरूम में फ्रेश होने चला गया.. और कुछ देर में तैयार होकर बाहर आया... तभी दरवाजे की घंटी बजी..

" इस वक्त कौन आया होगा...? किंजल ही होगी शायद ... "
करन सोचते सोचते दरवाजे के पास गया और दरवाजा खोला तो सामने करन के पापा राघव शर्मा और करन की मोम प्रीता शर्मा अपने हाथ में बैग लिए खड़े थे...

" मोम डेड.... आप...."
करन उनको देखकर सरप्राइस हो चुका था...
उसने तुरंत अपने मोम और डेड को गले लगा लिया...

" व्हाट ए सरप्राइस....! "
करन बहुत ही ज्यादा खुश हुआ।

करन उनको घर के अंदर ले गया...
" पापा हैप्पी फादर्स डे..." करन ने कहते हुए अपने डेड के पैर छुए ... और राघव जी ने करन को अपने गले लगा लिया...

" में जानता हु पापा आप यहां मेरे लिए आए है... "

" कैसे नही आता बेटा अपने बेटे का साथ उसके पापा नही देंगे तो और कौन देगा हा ? "

" थैंक यू पापा आई लव यू बेटा..."

" लव यू टू माय बॉय...."

" बेटा तुम्हारी बात सुनने के बाद वहा मेरा बिल्कुल मन नही लग रहा था इसीलिए तुम्हे बिना बताए ऐसे ही जल्दी में यहां आ गए... अब तुम कैसे हो ? "

" में ठीक हु पापा पर आपने मम्मी को तो कुछ नही बताया ना ? "

" नही अब दोस्त से किया वादा थोड़ी ना तोड़ सकता हु ! "
करन यह सुनकर हसने लगा...

" चलो मेरे यार कुछ नाश्ता करते है ..."
राघव जी ने करन के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा..

" चलिए यार..." करन ने भी कहा और दोनो नाश्ता करने चले गए...

ओब्रॉय मेंशन में सब नाश्ता करने के लिए होल में आए तो सब हैरान थे...
पूरे हॉल को बहुत ही खुबसूरत तरीके से सजाया गया था...संजना को भी नही पता था की यह सब क्या था ..

अनिरूद्ध वहा आया....
" तो कैसा लगा आप सबको ? "

" अनिरूद्ध यह सब क्या है ...बेटा ? "
रागिनी जी को कुछ समझ नही आ रहा था की अनिरुद्ध ने यह सब क्यों करवाया था ..

" आंटी... वैट सरप्राइस है ..! "

" संजना तुम्हे कुछ पता है क्या ? " सौरभ ने संजना को कान में कहा..

" नही मुझे भी इस बारे में कुछ नही पता..."

"अंकल , चाचू आप यहां आइए...." अनिरूद्ध उन दोनो का हाथ पकड़कर उन्हें एक तरफ ले गया..

" बस आप यही रुकिए..."

" पर क्यों ? " अखिल जी से अब वैट नहीं हो रहा था...

" एक मिनिट...."

अनिरूद्ध ने कहा और जाकर दरवाजा खोला...
सामने राजेश जी , रागिनी जी और मोहित ... खड़े हुए थे...

" मम्मा पापा भाई...! " संजना ने खुश होते हुए कहा..

" नमस्ते...! " राजेश जी और रागिनी जी ने हाथ जोड़ते हुए कहा...

" आइए आइए ...." अखिल जी और मनीष चाचू ने भी उनका अच्छे से वेलकम किया...

संजना तो भागती हुई अपने मम्मी पापा से जाकर लिपट गई..
" मेरी बच्ची खुश रहे...तुमने हमे इतनी बड़ी खबर दी है... हम नाना नानी बनने वाले है ये सुनकर हम इतने खुश है की हम तुम्हे बता भी नही सकते..."
रागिनी जी की आंखो में आंसू आ गए थे...

संजना ने प्यार से रागिनी जी के माथे को चूमा ...

" मेरा बच्चा! कैसी है तू?... " राजेश जी ने संजना ने माथे पर हाथ फेरते हुए प्यार से पूछा

" ठीक हु पापा..."

" अरे भाई आज किसका बर्थडे है क्या ...? अब तो बताओ ये सब डेकोरेशन किस लिए...? "
मनीष चाचू जोर से बोले...

अनिरूद्ध ने मोहित की और देखा ,मोहित समझ गया...उसने राजेश जी का हाथ थामा और उनको भी अखिल जी और मनीष चाचू के पास ले गया...

संजना ने यह देखकर मोहित से पूछा की यह सब क्या हो रहा है ...?
तभी मोहित ने अपना फोन लिया और संजना को मेसेज भेजा और इशारे में मेसेज देखने को कहा...

" बुद्धू आज फादर्स डे है .... "
मोहित का मेसेज पढ़कर संजना को याद आया और उसने मोहित की और देखकर सोरी कहा...
मोहित स्माइल करने लगा...

सौरभ संजना के पास आया
" तुम लोग क्या इशारों में बात कर रहे हो मुझे भी तो बताओ...! "
" ये देखो...."
संजना ने मोहित का मेसेज सौरभ को दिखाया...

" ओएमजी इतनी बड़ी बात में कैसे भूल सकता हु..."

" सो वन टू थ्री.... " अनिरूद्ध ने काउंट किया.. और तभी एक परदा अखिल जी , मनीष चाचू और राजेश जी के पीछे गिरा...

और तभी एक साथ अनिरुद्ध , संजना , मोहित और सौरभ बोले...
" हैप्पी फादर्स डे....."

और यह सुनते ही उन तीनो ने पीछे देखा तो परदे पर हैप्पी फादर्स डे लिखा हुआ था...

तीनो यह देखकर बहुत खुश हुए ...

फिर सब ने मिलकर केक काटी...
और अनिरुद्ध ने तीनो को एक गिफ्ट दी...

" अरे ! बेटा इसकी क्या जरूरत थी..."
राजेश जी को अनिरुद्ध से गिफ्ट लेना अच्छा नही लग रहा था..

" नही पापा जरुरत है... ये मेरी और संजना की तरफ से..."

अनिरूद्ध ने संजना की तरफ देखते हुए कहा..

" थैंक यू अनिरूद्ध..." संजू ने इशारे में कहा ...

अनिरूद्ध का यह प्यार देखकर अखिल जी की आंखो से आंसू बहने लगे थे ...

" क्या हुआ अंकल ? "

अनिरूद्ध ने अखिल जी की आंखो में आंसू देखकर पूछा..

" कुछ नही बेटा.. तुम्हारा प्यार देखकर में खुद को संभाल नही पाया..."

" अंकल पापा और मां के जाने के बाद आप सब ही तो मेरा परिवार है... और आप और चाचू मेरे पिता से भी बढ़कर है..."

अनिरूद्ध की बात सुनकर अखिल जी को अपना अतीत याद आ गया...
" में तुम्हे कैसे बताऊं अनिरुद्ध की तुम जिसे पापा का दर्जा दे रहे हो उसी की वजह से तुम्हारे मोम डेड तुमसे अलग हो गए...! में तुम सब का गुनहगार हु... पर में तुमको खोना नही चाहता बेटा... "

अखिल जी अपने मन में यह सब बोल रहे थे... पर इन सब से अनजान अनिरुद्ध सिर्फ अपने प्रति अखिल जी का प्यार महसूस कर रहा था...

इस तरफ किंजल बाहर बालकनी में खड़ी होकर करन का इंतजार कर रही थी पर उसे करन कही नही दिखाई दे रहा था...

अब उससे सब्र नहीं हुआ और वो करन के घर चली गई...

किंजल को टेंशन हो रही थी की कही करन की तबियत तो खराब नही हो गई है !

वो जल्दी जल्दी में दरवाजा खोलकर करन के घर में जाने लगी ... उसका दुपट्टा फर्श को छू रहा था...
जल्दबाजी में किंजल का दुपट्टा उसके पैर में आ गया और वो गिरने ही वाली थी की करन ने उसका हाथ पकड़ लिया....

करन ने किंजल का हाथ खींचा इस वजह से किंजल करन के बहुत करीब आ गई... किंजल करन की आंखो मे खो गई थी... करन की सांसे किंजल को महसूस हो रही थी...

करन भी किंजल की बड़ी बड़ी सुंदर आंखो में खो गया था...दोनो की धड़कने तेज हो रही थी... पर करन पीछे हट गया...

दोनो के लिए ओकवर्ड मोमेंट हो चुकी थी...

" आई एम सोरी...."
किंजल ने नज़रे जुकाए कहा...

" ऐसे क्यों चल कर आ रही थी ? इतनी क्या जल्दी थी तुम्हे ? " करन ने गुस्से में कहा...

" ओह ! एक में हु जो तुम्हारी चिंता में मरी जा रही थी और तुम हो की मुझ पर गुस्सा कर रहे हो...! "

" ओह रियली... भूल गई कॉलेज में भी तुम ऐसे ही गिरने में एक्सपर्ट हुआ करती थी ! "

" हा तो में जानबूजकर थोड़ी ना कुछ करती थी... बड़े आए ..! में तो तुम्हे यहां देखने आई थी पर तुम यहां अपनी अकड़ मुझे दिखा रहे हो ... में जा रही हू..."

" हा हा जाव जाव... "

करन के कहने पर किंजल मुंह फुलाए चली गई...करन उसे जाता हुआ देखता रहा..

" करन ! कुछ ज्यादा ही नही हो गया..! वो बिचारी तुझे देखने आई थी और तुमने उस पर गुस्सा कर दिया... ! यार.. कोई बात नही में उसे बाद में मना लूंगा..." करन ने कहा और वो अंदर चला गया...

" कौन था बेटा ...? " प्रीता ने करन के पास आते हुए पूछा...

" कोई नही मां...! "

🥰 क्रमश : 🥰